मोबाईल नंबर में ‘एनी डेस्क’ डाउनलोड करवाकर 4 लाख 84 हजार रूपये की ठगी

सायबर सेल ने प्रार्थी को वापस कराया 1 लाख 28 हजार रूपये

द कोरस टीम

 

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में सायबर सेल पुलिस ने ऑनलाईन ठगी के मामले में  मुस्तैदी दिखाते हुए संचार माध्यम से शिकायतकर्ता को एक लाख आठ्ठाईस हजार रूपये वापस करवाये हैं। मामला 13 मई का बताया जा रहा है।

खबर के अनुसार पुलिस कप्तान डी श्रवण के निर्देशन एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजनांदगांव प्रज्ञा मेश्राम, जयप्रकाश बढ़ई तथा नगर पुलिस अधीक्षक लोकेश देवांगन के मार्गदर्शन में सायबर सेल टीम ने तत्काल कार्यवाही कर सायबर ठगों से 1 लाख 28 हजार रूपये प्रार्थी के एकाउंट में वापस जमा कराया।

13 मई को कुंज विहार काॅलोनी राजनांदगांव निवासी 69 वर्षीय द्वारिका प्रसाद लोन्हारे (सेवानिवृत सहायक आयुक्त) ने सायबर सेल में उपस्थित होकर बताया कि 12 मई को उसे एक एसएमएस प्राप्त हुआ। उक्त एसएमएस में मोबाईल को रिचार्ज करने हेतु लिखा गया था एवं नहीं करने पर मोबाईल नंबर ब्लाॅक करने की जानकारी दी। प्रार्थी द्वारा उक्त एसएमएस को पढ़कर उसमें दिये गये मोबाईल नंबर से संपर्क किया गया।

मैसेज में दर्ज अज्ञात मोबाईल नंबर धारक से बात करने पर प्रार्थी को बीएसएनएल के रिचार्ज साईट पर जाकर 10 रूपये का रिचार्ज करने कहा गया। प्रार्थी उसके बातों में आकर बीएसएनएल के रिचार्ज साईट से एसबीआई के इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से 10 रूपये का रिचार्ज किया गया। साथ ही उस व्यक्ति द्वारा प्रार्थी के मोबाईल में धोखे से रिमोट एक्सेस मोबाईल एप एनीडेस्क डाउनलोड कराकर प्रार्थी के एसबीआई इंटरनेट बैंकिंग में रजिस्टर्ड 2 एकाउंट से कुल 4 लाख 84 रूपये ठगी कर लिया गया।

उक्त ठगी की सूचना प्राप्त होने पर सायबर सेल टीम द्वारा प्रार्थी का बैंक स्टेंटमेंट चेक किया गया। बैंक स्टेंटमेंट एनालिसिस पर प्रार्थी की रकम विभिन्न बैंक एकाउंट, ई-वैलेट एवं शाॅपिंग साईट के माध्यम से ट्रांसफर होना पाया गया। सायबर सेल टीम द्वारा तत्काल ई-वैलेट एवं शाॅपिंग साईट के नोड़ल से फोन एवं वाट्सअप के माध्यम से संपर्क कर रकम वापस करने कहा गया। सायबर सेल टीम की त्वरित कार्यवाही के फलस्वरूप 1 लाख 28 हजार रूपये प्रार्थी को वापस दिलाने में सफलता मिली।

राजनांदगांव पुलिस की अपील है कि किसी भी व्यक्ति से अपनी बैंक संबंधित गोपनीय जानकारी जैसे एकाउंट नंबर, डेबिट, केडिट कार्ड नंबर, सीवीवी नंबर एवं ओटीपी नंबर आदि शेयर ना करें और ना ही किसी अज्ञात लिंक, अज्ञात एप्स को डाउनलोड करें। जागरूक रहे, शतर्क रहें। 
 


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