संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देशभर में राष्ट्रव्यापी काला दिवस


 

अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा छत्तीसगढ़ के उपाध्यक्ष मदन लाल साहू ने कहा कि साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने ’’हर हर मोदी, घर घर मोदी’’ का नारा दिया था। इसी के साथ साथ बहुत हो गई महंगाई की मार अबकि बार मोदी सरकार, बहुत हो गई भ्रष्टाचार अबकि बार मोदी सरकार जैसे नारे दिए थे, पेट्रोल डीजल की दामों को कम करने जैसे लोक लुभावन वायदे किये थे। लेकिन आज मोदी के सात साल पूरे होने को है और उनके वायदे केवल जुमले बनकर रह गये। जिस प्रकार हर साल दो करोड़ बेरोजगारों को रोजगार देने, प्रत्येक भारतीयों के बैंक खातों में 15 - 15 लाख रुपये देने का वायदा किया था उसी प्रकार किसानों को उनके उपजों का स्वामीनाथान आयोग की सिफारिशो के अनुरुप लागत से डेढ़ गुणा समर्थन मूल्य देने का वायदा किया था जो आज झूठा साबित हो चुका है।

दिल्ली सीमाओं पर जारी किसान आन्दोलन को हुआ 6 महीने पूरा 

 किसान व जनविरोधी मोदी सरकार के निरंकुश शासन का भी हुआ सात साल पूरा 

उल्टे कृषि को काॅरपोरेटों के हवाले करने और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को बाजार के हवाले करने की नियत से 5 जून 2020 को अध्यादेश लाकर मोदी सरकार ने काॅरपोरेट परस्त व किसान कृषि और आम उपभोक्ता विरोधी कानून को जबरदस्ती थोपा है जिसके खिलाफ किसानों का आन्दोलन निरंतर जारी है। प्रदर्शन पश्चात् राष्ट्रपति के नाम नायब तहसीलदार राजिम अंकुर रात्रे को ज्ञापन सौंपा गया।

अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के सचिव तेजराम विद्रोही ने कहा कि मोदी सरकार सभी सार्वजनिक संस्थानों जैसे रेल्वे, बैंक, बीमा, भेल, हवाई आदि को नीजि हाथों में बेच रहा है, कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए ही श्रम कानूनों में संशोधन कर मजदूर विरोधी चार कोड बिल बनाया,  कोरोना जैसे महामारी के पहले चरण में नमस्ते ट्रंप किया और दूसरे चरण में पांच राज्यों के विधनसभा चुनाव के बहाने कोरोना संक्रमण की गंभीरता को हल्के में लिया और जब भारत की लाखों जनता कोरोना से अपनी जान गवां चुके हैं, आज भी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराया हुआ है उसे दुरुस्त न कर अनावश्यक रूप से करोड़ों रुपए खर्च कर सेंट्रल वीष्टा बनाने में लगा हुआ है।

आपदा को अवसर में बदलकर आवश्यक वस्तुओं की महंगाई बढ़ाने वाले मुनाफाखोरों, कालाबाजारियों पर मोदी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। अर्थात् मोदी सरकार हर मोर्चे पर असफल साबित हुआ है जो देश के मेहनतकश मजदूर किसानों और आम उपभोक्ताओं के लिए किसी अंधकारमय दिन से कम नहीं है।  

अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा छत्तीसगढ़ के सह सचिव ललित कुमार ने कहा काला दिवस का विरोध करने वाली आरएसएस की किसान संगठन भारतीय किसान संघ द्वारा किसानों द्वारा काला दिवस का विरोध करने पर किसान नेताओं ने कहा कि छै महीने से जारी किसान आंदोलन ने भारतीय किसान संघ के जन आधार को समाप्त कर दिया है वह अपने शासक भारतीय जनता पार्टी और कॉर्पोरेट जगत का गुलाम हो चुका है इसलिए वे "खिसियानी बिल्ली, खंभा नोचे" कहावत  की  तरह शांतिपूर्ण किसान आंदोलन को बदनाम करने में लगा रहता है।धरना प्रदर्शन में  धनेश्वरी, संगीता, मनोज कुमार, मोहन लाल, रमेश कुमार, संतोषी, पीली बाई सम्मिलित रहे।

केन्द्र सरकार द्वारा किसानों के खिलाफ तीन कृषि कानूनों जिसे बीना चर्चा किये गुपचुप तरीके से पास किये उन कानूनों को वापस करने के मांगो को लेकर दिल्ली के बार्डर पर किसान धरना दिये हुवे हैं। उसे 26 मई को छह माह पूरे होने पर संयुक्त किसान मोर्चा ने पूरे देशभर काला दिवस मनाने का आह्वान किये थे उसी के परिपेक्ष्य में सुबह 11 बजे से छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव के जयस्तम्भ चौक में किसान मजदूर व महिलायें एकजुट होकर वहां से काले झंडे लेकर नारेबाजी करते हुये मानव मंदिर चौक, सिनेमा लाइन से भारतमाता चौक  होते हुवे कामठी लाइन से गुड़ाखू लाइन होकर जय स्तम्भ चौक पहुंच कर विरोध प्रर्दान समाप्त किये। उक्त प्रदर्शन में प्रमुख रूप से किसान नेता सुदेश टीकम, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के नेता भीमराव बागड़े, वीरेन्द्र उइके, रमाकांत, बंजारे, तुलसी देवदास, गोपाल सोनी, राम सेवक यादव एवं बड़ी संख्या में गंज मंडी की महीला श्रमिक उपस्थित थी। 

छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में काला दिवस : जले मोदी के पुतले

कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ पूरे प्रदेश में 'काला दिवस', जले मोदी सरकार के पुतले, किसान संगठनों ने लिया राज्य सरकार को भी निशाने में, कहा : नहीं टिक सकती किसानों-आदिवासियों से टकराव लेने वाली कोई सरकार

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति, छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन और छत्तीसगढ़ किसान सभा के आह्वान पर मोदी सरकार द्वारा बनाये गए तीन किसान विरोधी कानूनों और चार मजदूर विरोधी श्रम संहिताओं को निरस्त करने और सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का कानून बनाने, कोरोना महामारी से निपटने सभी लोगों को मुफ्त टीका लगाने तथा ग्राम स्तर पर बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने, गरीब परिवारों को मुफ्त राशन और नगद सहायता देने आदि प्रमुख मांगों पर आज प्रदेश में सैकड़ों गांवों में काले झंडे फहराए गए तथा मोदी सरकार के पुतले जलाए गए। माकपा सहित प्रदेश की सभी वामपंथी पार्टियों और सीटू सहित अन्य ट्रेड यूनियनों व जन संगठनों के कार्यकर्ता भी इस आंदोलन के समर्थन में आज सड़कों पर उतरे। 

मोदी सरकार के कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ प्रदेश में छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के बैनर तले 20 से ज्यादा संगठन एकजुट हुए हैं और कोरबा, राजनांदगांव, सूरजपुर, सरगुजा, दुर्ग, कोरिया, बालोद, रायगढ़, कांकेर, चांपा, मरवाही, बिलासपुर, धमतरी, जशपुर, बलौदाबाजार व बस्तर सहित 20 से ज्यादा जिलों के सैकड़ों गांवों-कस्बों में, घरों और वाहनों पर काले झंडे लगाने और मोदी सरकार के पुतले जलाए जाने की खबरें आ रही हैं। लॉक डाऊन और कोविद प्रोटोकॉल के मद्देनजर अधिकांश जगह ये प्रदर्शन 5-5 लोगों के समूहों में आयोजित किये जा रहे हैं।

आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम और छत्तीसगढ़ किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष संजय पराते ने इस सफल आंदोलन के लिए किसान समुदाय और आम जनता का आभार व्यक्त किया है और कहा है कि देश और छत्तीसगढ़ की जनता ने इन कानूनों  के खिलाफ जो तीखा प्रतिवाद दर्ज किया है, उससे स्पष्ट है कि मोदी सरकार के पास इन जनविरोधी कानूनों को निरस्त करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। किसान संघर्ष समन्वय समिति के कोर ग्रुप के सदस्य हन्नान मोल्ला ने भी प्रदेश में इस सफल आंदोलन के लिए किसानों, मजदूरों और आदिवासियों को बधाई दी है। 

आंदोलन की सफलता का दावा करते हुए इन संगठनों ने आरोप लगाया है कि इन कॉर्पोरेटपरस्त और कृषि विरोधी कानूनों का असली मकसद न्यूनतम समर्थन मूल्य और सार्वजनिक वितरण प्रणाली की व्यवस्था से छुटकारा पाना है। उन्होंने कहा कि देश मे खाद्य तेलों की कीमतों में हुई 50% से ज्यादा की वृद्धि का इन कानूनों से सीधा संबंध है। ये कानून व्यापारियों को असीमित मात्रा में खाद्यान्न जमा करने की और कंपनियों को एक रुपये का माल अगले साल दो रुपये में और उसके अगले साल चार रुपये में बेचने की कानूनी इजाजत देते हैं। इन कानूनों के बनने के कुछ दिनों के अंदर ही कालाबाज़ारी और जमाखोरी बढ़ गई है और बाजार की महंगाई में आग लग है। इसलिए ये किसानों, ग्रामीण गरीबों और आम जनता की बर्बादी का कानून है। 

किसान आंदोलन से जुड़े नेताओं ने बताया कि कांग्रेस सरकार की नीतियों के खिलाफ भी छत्तीसगढ़ के किसान आंदोलित हैं और उन्होंने आज सुकमा जिले के सिलगेर में आदिवासी किसानों पर की गई गोलीबारी की निंदा करते हुए इसकी उच्चस्तरीय न्यायिक जांच कराने और दोषी अधिकारियों को दंडित करने की भी मांग की है। वनोपजों की सरकारी खरीदी पुनः शुरू करने और आदिवासी किसानों को व्यापारियों-बिचौलियों की लूट से बचाने का मुद्दा भी आज के किसान आंदोलन का एक प्रमुख मुद्दा था। उन्होंने कहा कि कॉरपोरेटों की तिजोरी भरने के लिए देश के किसानों से टकराव लेने वाली कोई सरकार टिक नहीं सकती।

छत्तीसगढ़ किसान आन्दोलन की ओर से सुदेश टीकम, संजय पराते, आलोक शुक्ला, रमाकांत बंजारे, नंदकुमार कश्यप, आनंद मिश्रा, दीपक साहू, जिला किसान संघ (राजनांदगांव), छत्तीसगढ़ किसान सभा, हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति (कोरबा, सरगुजा), किसान संघर्ष समिति (कुरूद), आदिवासी महासभा (बस्तर), दलित-आदिवासी मजदूर संगठन (रायगढ़), दलित-आदिवासी मंच (सोनाखान), भारत जन आन्दोलन, गाँव गणराज्य अभियान (सरगुजा), आदिवासी जन वन अधिकार मंच (कांकेर), पेंड्रावन जलाशय बचाओ किसान संघर्ष समिति (बंगोली, रायपुर), उद्योग प्रभावित किसान संघ (बलौदाबाजार), रिछारिया केम्पेन, आदिवासी एकता महासभा (आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच), छत्तीसगढ़ प्रदेश किसान सभा, छत्तीसगढ़ किसान महासभा, परलकोट किसान कल्याण संघ, अखिल भारतीय किसान-खेत मजदूर संगठन, वनाधिकार संघर्ष समिति (धमतरी), आंचलिक किसान संघ (सरिया) 

बिहार

बिहार में संयुक्त किसान मोर्चा व केंद्रीय ट्रेड यूनियन के आह्वान पर काला दिवस मनाया गया

बिहार के विभिन्न जिलों के जिला मुख्यालयों, प्रखंड मुख्यालयों, कस्बों व गांवों  में काला दिवस के तहत देश बेचू आदमखोर - मोदी शाह गद्दी छोड़,  तीनों काला कृषि कानून और चार श्रम कोड वापस लो, सांप्रदायिक फासीवादी कंपनी राज मुर्दाबाद के नारे लगाए गए। विरोध स्वरूप कई जगह नरेंद्र मोदी के पुतले दहन किए गए। किसानों ने अपने घरों पर काला झंडा फहराया और व्यापक तौर पर अपने बाजू पर कालापट्टी बांधा।

सड़कों पर अखिल भारतीय किसान महासभा के साथ ऐक्टू, आशा कार्यकर्ता, इंसाफ मंच, भाकपा-माले तथा अन्य संगठन भी उतरे

पटना में अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव राजा राम सिंह, ऐक्टू नेता जितेंद्र कुमार आशा नेत्री शशि यादव, किसान महासभा के राष्ट्रीय नेता केडी यादव,  उमेश सिंह, माले नेत्री समता राय,  एक्टू के राष्ट्रीय नेता एस के शर्मा सहित कई नेता एक्टू व किसान महासभा के संयुक्त बैनर से कार्यक्रम में उतरे।

दरभंगा में नैना घाट गांव में इंसाफ मंच के मकसूद आलम तथा नगरोली में नेयाज आलम काला दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए।

आरा कार्यालय में माले पोलित ब्यूरो के सदस्य स्वदेश भट्टाचार्य व किसान नेता व विधायक सुदामा प्रसाद सहित कई नेता शामिल हुए। नवादा जिला के सदर प्रखंड के जंगल बेलदारी गांव में सुदामा देवी, काशीचक में प्रफुल्ल पटेल तथा पकरी बरामा एवं नवादा जिला मुख्यालय में भोलाराम, पटना जिला के पालीगंज में संत कुमार पटना सिटी में शंभू नाथ मेहता, मसौढ़ी के नाथनगर, नौबतपुर प्रखंड के निसरपुर गांव में किसान महासभा के राज्य सचिव कृपा नारायण सिंह, पटना सिटी के संदलपुर में राष्ट्रीय किसान नेता राजेंद्र पटेल अमरपुरा के भवानी चक, मसौढ़ी के नाथ नागनाथ, दुल्हन बाजार, सुपौल जिला के शिव नगर में कमलेश्वरी यादव, अरवल जिला के निगमा गांव में अखिल भारतीय किसान महासभा के राज्य सचिव रामाधार सिंह, अरवल में जितेंद्र कुमार, नालंदा जिला के बिहार शरीफ आलमगंज बाजार , हिलसा ,थरथरी, कराएं पशुराय , तथा चंडी में कार्यक्रम हुए जिसमें पाल बिहारी लाल तथा मुनीलाल यादव काला दिवस मनाने में शामिल रहे।

शेखपुरा जिला में अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिव सागर शर्मा शामिल हुए। आरा जिला के जगदीशपुर में विनोद कुशवाहा, बेगूसराय में बैजू सिंह, जहानाबाद के सुलेमानपुर गांव में जिला अध्यक्ष शौकीन यादव ने कार्यक्रम का नेतृत्व किया। सिवान में हंस नाथ राम , मुजफ्फरपुर के गायघाट में जितेंद्र यादव, गया जिला के टिकारी प्रखंड अंतर्गत जमुआवां गांव में रोहन यादव, कैमूर में मोरध्वज तथा जम्मूई में मनोज पांडे नेतृत्व किया। वैशाली जिला में विशेश्वर यादव, सिवान में जय नाथ यादव। समस्तीपुर जिला के ताजपुर में, सुपौल के कई गांव में कार्यक्रम हुए। मुजफ्फरपुर जिला कार्यालय में माले जिला सचिव कृष्ण मोहन जी ने काला दिवस मनाया।


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