संयुक्त किसान मोर्चा को 26 मई को काला दिवस नहीं मनाने की सलाह

आप बुद्ध पूर्णिमा की पवित्रता से छेड़छाड़ न करें 

द कोरस टीम

 

पूरे राज्य में किसान 26 मई को दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के तथा पिछले वर्ष आयोजित देशव्यापी मजदूर हड़ताल के 6 महीने पूरे होने जा रहे हैं। इस दिन ही भाजपा की मोदी सरकार के 7 साल भी पूरे होने जा रहे हैं। इसलिए इस दिन आयोजित कार्यवाहियों का विशेष महत्व बताया जा रहा है।      

इंसाफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमृतलाल सरजीत सिंह ने संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 मई, बुद्ध पूर्णिमा दिवस को काला दिवस के रूप में मनाये जाने के निर्णय पर विचार करने को कहा है। उनका कहना है कि आपका यह निर्णय आपत्तिजनक है तथा आपके लिए आत्मघाती भी है। तथागत बुद्ध ज्ञान और बौद्धिकता के प्रवर्तक और प्रतीक हैं। किसी भी कारण से इनके जन्मदिवस को काला दिवस के रूप में नहीं मनाया जाना चाहिये।

यदि आपने ऐसा किया तो देश -विदेश के करोड़ों फूले-अंबेडकरवादी और बुद्धिस्ट आपके विरुद्ध हो जाएंगे और अपना सहयोग बंद कर देंगे। इनके सहयोग को आर्थिक और शारीरिक आधार पर आंकना गलती होगी। बौद्धिकता और वैचारिकी के आधार पर ही इस वर्ग के सहयोग का सही आकलन किया जा सकता है।

वे कहते हैं कि आंदोलन में सिख सहयोगियों से जानना चाहूंगा कि यदि भाजपा का शपथग्रहण दिवस खालसा पंथ की स्थापना का दिन होता, गुरु गोविंद सिंह, गुरु नानक या किसी अन्य गुरु का जन्म-दिन होता, या अन्य किसी खुशी का दिन होता, तो क्या आप इसे काला दिवस मनाने का निर्णय लेते? निश्चित तौर पर आप ऐसा नहीं करते। विरोध के लिए जरूरी नहीं है कि कालादिवस ही मनाया जाए। आप अन्य तरह से भी विरोध प्रकट कर सकते हैं। कालादिवस मनाकर आप अनायास, अनचाहे ही भाजपा को महत्वपूर्ण बना देंगे। इससे भाजपा को ताकत मिलेगी। आपका मुद्दा केंद्र में नहीं रह पाएगा बल्कि भाजपा का शपथ ग्रहण दिवस प्रमुख बन जाएगा।

हो सकता है कि यह फैसला लेते वक्त आपका ध्यान बुद्ध- पूर्णिमा के पावन पर्व की तरफ ना गया हो। परंतु जब आपने यह फैसला कर लिया है तो वर्तमान परिपेक्ष्य में यह प्रश्न महत्वपूर्ण हो जाएगा कि बुद्ध पूर्णिमा का पवित्र, पावन दिवस काला दिवस क्यों है? हमें इसमें बीजेपी द्वारा इसे किसी ना किसी रूप में चालाकी से प्रभावित करने की बू आती है। विषय को लंबा नहीं करते हुए हम आपसे आग्रह करते हैं कि आप अपने आत्मघाती फैसले को तुरंत बदलें। यदि आप बुद्ध-पूर्णिमा दिवस को काला दिवस मनाते हैं, तो इसे पावन दिवस के अपमान तथा किसानों के हितों के विरुद्ध मानते हुए, हम आपसे अपना समर्थन वापस लेने के लिए विचार करने पर मजबूर होंगे। 
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आप बुद्ध पूर्णिमा की पवित्रता से छेड़छाड़ न करें 

डॉ अम्बेडकर राष्ट्रीय एकता मिशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओ पी गौतम ने कहा है कि श्रधेय राकेश टिकैत जी से अपील है कि आपके संज्ञान में काला दिवस के बारे में लाना कि 26 मई 2021 को बुद्ध पूर्णिमा का महापवित्र दिन है, और आपने बुद्ध पूर्णिमा को जाने या अनजाने में काला दिन घोषित कर दिया है वह विश्व के बौद्ध अनुयाइयों के लिए एक अपमान के अलावा कुछ नहीं है? ब्राह्मणवादियों ने बगैर सोच- विचार किये ही जैसा कि पहले भी आरएसएस ने 6 दिसम्बर का दिन बाबरी मस्जिद को तोडऩे का रखा था शायद ऐसे ही तो नहीं किया गया है अगर ऐसे नहीं किया है तो आपसे पुन: अनुरोध है कि आप अपने काले दिवस की तारीख को बदलने पर अमल करें। 

आपके लिए हुए निर्णय से बौद्ध अनुयाई अपने को आहत और ठगा सा महसूस कर रहे हैं। आपके संज्ञान में भी है कि किसान आंदोलन को बाबासाहेब, बौद्ध अनुयाइयों एवं बौद्ध भिक्षुओं ने पूरी निष्ठा और दम के साथ साथ दिया है, और उसके बाबजूद भी आपने बुद्ध पूर्णिमा को ही काला दिन बतला दिया।  आप इस बात को न भूलें कि दुनिया में भारत वर्ष की गरिमा या भारत का नाम तथागत गौतम बुद्ध के कारण ही है। बुद्ध का मतलब ही समता, स्वतंत्रता, बन्धुता एवं न्याय को इंगित करता है। यह पूरे भारतीय संस्कृति पर कालिख पोतने वाली बात है।

अभी भी देर नहीं हुई है, देश व्यापी किसानों के पवित्र  आन्दोलन के साथ भद्दा मजाक मत होने दो, देश- विदेश में सर्वत्र किसान आन्दोलन की प्रतिष्ठा धूल में मिल जाएगी। इतना ही नहीं सरकार और मीडिया भी बुद्ध पूर्णिमा के इस काले दिवस को आपके पाले में डालकर अपने देश में ही नहीं दुनियां में ढिढोरा पीट पीटकर किसान आंदोलन को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। हमको आशा और पूर्ण विस्वास है कि आप काले दिवस के दिन को बदलकर कोई अन्य दिन की घोषणा करेंगे।

आप झूठी, झूठ का प्रचार करने वाली, मक्कार सरकार का विरोध बुद्ध पूर्णिमा को बड़े पैमाने पर दीए जलाकर और मोमबत्तियां आदि जलाकर एवं खुशी मना कर भी कर सकते हैं। आप कह सकते हैं कि सरकार को सद्बुद्धि मिले और वह काले कानून वापस लेकर एमएसपी की गारंटी का कानून बनाए, इसलिए आप बुद्ध पूर्णिमा के शुभ दिन को बड़े पैमाने पर मना रहे हैं। यह सकारात्मक होगा और विश्व के अनेक बौद्ध देश भी आपके सरोकारों को चर्चा का विषय बनाएंगे। देश के करोड़ों अंबेडकरवादी व बुद्धिस्ट भी प्रसन्न होकर आपका सहयोग करते रहेंगे। 


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