प्रधानपाठ में एक करोड़ का स्टॉपडेम पुल का हुआ निर्माण

भ्रष्टाचार में फंसे गेट नम्बर 2 का निर्माण अब तक नहीं 

द कोरस टीम

 

स्वराज के पत्रकार मनोज मिश्रेकर की रिपोर्ट की माने तो बैराज का गेट खोले जाने से पूरा पानी बहकर बैराज खाली हो गया था। जिससे सूखे का दंश झेल रहे 14 गांवों के किसानों को सिंचाई के लिए एक बूंद पानी नहीं मिल पाया था। दो साल पहले की बात है राजनांदगांव जिले और महाराष्ट्र सीमा के जंगल में चार दिनों तक रुक रुक हुई तेज बारिश के चलते प्रधान पाठ बैराज में पानी का दबाव बढ़ गया और पानी निकासी के दौरान गेट खोलने से लगभग 65 करोड़ रुपये की लागत से बने बैराज का गेट क्रमांक 2 क्षतिग्रस्त हो गया था।

30 साल से था इंतजार

स्थानीय जिला पंचायत सदस्य और सहकारिता सभापति विप्लव साहू ने बताया कि मध्यप्रदेश और थाना गातापार क्षेत्र को जोडऩे के लिए इस मार्ग में पुल की जरूरत और मांग लंबे समय से की जा रही थी। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से कई जनप्रतिनिधियों को आवेदन और मांग की जाती रही लेकिन अब जाकर लघुरूप में निर्माण संभव हो पाया है।

पंचायत प्रतिनिधियों का प्रयास

पंचायत चुनाव 2020 के निर्वाचन के पश्चात जिला पंचायत सदस्य विप्लव साहू, जनपद पंचायत अध्यक्ष लीला प्रकाश मंडावी, जनपद सदस्य वंदना वर्मा,  स्थानीय सरपंचों में देवकी धुर्वे चंगुरदा,  मन्नूलाल वर्मा बैगाटोला, भारती वर्मा टेकापार, कुमारी घनश्याम सिन्हा मुड़ीपार, कमलेश वर्मा लछना, पूर्व जनपद सदस्य भागी नेताम, प्रेमलाल मंडावी, कन्हैया लिल्हारे आदि लोगों ने पुल निर्माण को लेकर बैठक लिया था। अंचलवासियों के प्रयास के लिए सभी जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों का आभार किया है।

कम समय और कम बजट  

जन प्रतिनिधियों की मांग के पश्चात जल संसाधन विभाग ने कार्यवाही को आगे बढ़ाया और जुलाई 2020 के महीने में  कलेक्टर टी के वर्मा ने मौके पर दौरा किया। बाद में उन्होंने 99.86 लाख की स्वीकृति दी। हालांकि परिवहन और नदी के दबाव के अनुसार बड़ा पुल अधिक व्यवहारिक होता। 

प्रधानपाठ बैराज गेट नम्बर दो में भारी भ्रष्टाचार

स्वाराज के रिपोर्ट के अनुसार बताया जाता है कि दो साल पहले बारिश के समय बैराज के सभी चारों गेट को खोल दिया गया था। आमनेर नदी का जल स्तर बढ़ गया था। वहीं इस क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति निर्मित हो गई थी। हालांकि समय रहते सिंचाई विभाग इन क्षेत्रों के लोगों को अलर्ट रहने की मुनादी करा दी थी जिससे जान माल की हानि नहीं हुई थी। प्रधानपाठ बैराज का जलग्रहण क्षेत्र 42 दशमलव 62 वर्ग है। वहीं जल भराव क्षमता 34484 मिलियन किलोमीटर है।

जल स्तर बढऩे पर समय समय पर बैराज का गेट खोला जाता है। इसी के तहत गेट खोला गया था बैराज का गेट खोलने के दौरान गेट क्रमांक 2 क्षतिग्रस्त हो गया था। जिसके चलते चारों गेट खोल दिये गये थे। चारों गेट खोल दिये जाने से पानी बहने से बैराज सूखा हो गया था। जिससे अल्प वर्षा की मार झेल रहे इन किसानों को सिंचाई के लिए उस वर्ष बैराज से पानी का एक बूंद नहीं मिला। बताया जाता है कि इस बैराज से 14 गांवों के किसानों को सिंचाई का लाभ मिलता है।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार तत्कालीन ईई ए ग्राहम व एसडीओ वायके शर्मा को कार्य में लापरवाही बरतने का दोषी पाते हुए पद से निलंबित कर दिया गया है। बैराज का मेंटनेंस करने वालों को कार्यवाही में साफ तौर पर बख्शा गया है। क्योंकि बैराज के मेंटनेंस की जवाबदारी प्रभारी सब इंजीनियर व ईएंडएम की होती है। वर्तमान कार्रवाई की गाज फिलहाल बैराज मे निर्माण के दौरान ईई रहे ए ग्राहम व तत्कालीन अवधि में सब इंजीनियर रहे वायके शर्मा पर ही गिरी है।

ईई ग्राहम व एसडीओ शर्मा को राज्य शासन ने तत्काल प्रभाव निलंबित कर दिया है। 7 सितंबर की शाम 6:30 बजे बारिश के दबाव के बाद प्रधानपाठ बैराज का मुख्य गेट टूट गया। घटिया क्वालिटी का गेट 90 फीसदी पानी का दबाव भी नहीं सह पाया। बैराज अभी सीमा से कुछ फीसदी ही भरा था कि गेट खरीदी में हुए भ्रष्टाचार की कलई खुल गई। और गेट के दोनों आर्म मुड़ गए। बैराज का सारा पानी बाहर निकल गया। विभागीय अधिकारियों ने पहले तो मामले को दबाने की कोशिश करते हुए कहा कि बैराज के गेट खोले गए हैं।

लेकिन देर रात गेट टूटने की जानकारी सामने आई। बैराज का मेंटनेंस व गेट खोलने व बंद करने की जवाबदारी भी चौकीदार को सौंपी गई। कोई भी तकनीकी अधिकारी या सब इंजीनियर इतनी बारिश के बावजूद बैराज के रख रखाव के लिए मौजूद नहीं था। चौकीदार के सहयोग के लिए एक नॉन टेक्निकल स्टॉफ को रखा गया था। जिसे न ही गेट खोलने के तरीके की जानकारी थी। यदि घटिया निर्माण के बाद भी बैराज को आधा भरने के बाद धीरे धीरे खोला जाता तो संभवत बैराज को हुए नुकसान से बचा जा सकता था। 

बैराज के निर्माण में शुरू से अनियमितताएं बरती गईं। गलत ड्राइंग डिजा़इन बनाया गया। जहां पर बांध बनाया जाना चाहिए था, वहां गलत डिजाइनिंग के आधार पर बैराज बना दिया गया। आवश्यकता से 7 साल पहले ही गेट की खरीदी की जा चुकी थी, और गेट को जंगल में फेंक दिया गया था। पार्ट परचेजिंग भी भ्रष्टाचार की नीयत से किया गया। सभी पार्ट बेहद ही घटिया क्वालिटी के रहे। निर्माण के दौरान भी अनियमितता बरती गई। बैराज में घटिया निर्माण के बावजूद लागत लगातार बढ़ती गई और कुल लागत 59 करोड़ तक जा पहुंची। डिज़ाईनिंग, ड्राईंग, पार्ट परचेसिंग से लेकर निर्माण तक जिस अधिकारी को मौका मिला।

उसने पूरी तरह से बैराज निर्माण के पैसे का दोहन किया। लेकिन कार्रवाई की ज़द में अभी दो ही अधिकारी आए हैं। साल 2006 में बैराज की तकनीकी स्वीकृति मिलते ही सिविल वर्क से पहले कमीशन के लालच में गेट के सामान खरीदे गए। जो 7 साल तक जंगल में पड़ा रहा। लूज गेट व गेंट्री के्रन की क्वालिटी खुद मैकेनिकल डिपार्टमेंट नकार चुका है। ठेकेदार ने 11 सालों में कई बार काम रोका, लगातार इस्टीमेट रिवाइज्ड कर लागत बढ़ाई गई। अधिकारियों व ठेकेदारों ने सामूहिक रूप से मिलकर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया।

बहरहाल स्थानीय जिला पंचायत सदस्य और सहकारिता सभापति विप्लव साहू ने जिला कलेक्टर टी के वर्मा को धन्यवाद ज्ञापित किया, साथ ही जल संसाधन विभाग उप संभाग खैरागढ़ का भी आभार व्यक्त किया है। साथ ही सभी अंचलवासियों और सक्रिय रहे सभी जनप्रतिनिधियों और जिम्मेदार साथियों विशेष रूप से सिवनी वासियों को बधाई दिया है कि 30 वर्षों से प्रतीक्षारत प्रधानपाठ स्टापडेम पुल का निर्माण हुआ है अब सवाल यह है कि गेट नम्बर 2 का निर्माण किन कारणों से अटकी पड़ी है और प्रधानपाठ में फंसे भ्रष्टाचार का जांच आखिरकार कौन करेगा?


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