26 मई को किसान मनाएंगे काला दिवस
द कोरस टीमइस दिन संघ-भाजपा की मोदी सरकार की मजदूर-किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करते हुए ग्रामीण जन अपने घरों व वाहनों में काले झंडे लगाएंगे तथा सरकार का पुतला दहन करेंगे। पूरे राज्य में इस कार्यवाही को छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन से जुड़े 20 से ज्यादा संगठन संगठित करेंगे। किसान आंदोलन ने समाज के सभी तबकों, व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों से इस आंदोलन का समर्थन करने की अपील की है। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के देशव्यापी आह्वान पर छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन और इससे जुड़े घटक संगठन मोदी सरकार की कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के खिलाफ 26 मई को पूरे प्रदेश में काला दिवस मनाएंगे। और इस सरकार की मजदूर-किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करेंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली के देशव्यापी आह्वान पर छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के घटक संगठनों द्वारा 26 मई को काला दिवस मनाते हुए छत्तीसगढ़ में भी किसान अपने घरों, गाड़ियों में काला झण्डा फहराएंगे तथा निरंकुश शासक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और संवेदनहीन कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर का घर घर पूतला जलाएंगे।
दिल्ली सीमाओं पर जारी किसान आन्दोलन के 6 महीने होंगे पूरे
जिस प्रकार हर साल दो करोड़ बेरोजगारों को रोजगार देने, प्रत्येक भारतीयों के बैंक खातों में 15'5 लाख रुपये देने का वायदा किया था उसी प्रकार किसानों को उनके उपजों का स्वामीनाथान आयोग की सिफारिशो के अनुरुप लागत से डेढ़ गुणा समर्थन मूल्य देने का वायदा किया था जो आज झूठा साबित हो चुका है।
उल्टे कृषि को काॅरपोरेटों के हवाले करने और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को बाजार के हवाले करने की नियत से 5 जून 2020 को अध्यादेश लाकर मोदी सरकार ने काॅरपोरेट परस्त व किसान कृषि और आम उपभोक्ता विरोधी कानून को जबरदस्ती थोपा है जिसके खिलाफ किसानों का आन्दोलन निरंतर जारी है।
मोदी सरकार सभी सार्वजनिक संस्थानों जैसे रेल्वे, बैंक, बीमा, भेल, हवाई आदि को नीजि हाथों में बेच रहा है, कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए ही श्रम कानूनों में संशोधन कर मजदूर विरोधी चार कोड बिल बनाया, कोरोना जैसे महामारी के पहले चरण में नमस्ते ट्रंप किया और दूसरे चरण में पांच राज्यों के विधनसभा चुनाव के बहाने कोरोना संक्रमण की गंभीरता को हल्के में लिया और जब भारत की लाखों जनता कोरोना से अपनी जान गवां चुके हैं, आज भी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराया हुआ है उसे दुरुस्त न कर अनावश्यक रूप से करोड़ों रुपए खर्च कर सेंट्रल वीष्टा बनाने में लगा हुआ है।
आपदा को अवसर में बदलकर आवश्यक वस्तुओं की महंगाई बढ़ाने वाले मुनाफाखोरों, कालाबाजारियों पर मोदी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। अर्थात् मोदी सरकार हर मोर्चे पर असफल साबित हुआ है जो देश के मेहनतकश मजदूर किसानों और आम उपभोक्ताओं के लिए किसी अंधकारमय दिन से कम नहीं है इसलिए ’’घर घर किसान, हर घर मोदी का पूतला दहन ’’ की आशय के साथ किसान 26 मई को काला दिवस मनएंगे।
उक्त आशय की जानकारी देते हुए जिला किसान संघ बालोद के संयोजक एवं पूर्व विधायक जनकलाल ठाकुर, अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के उपाध्यक्ष मदन लाल साहू तथा सचिव तेजराम विद्रोही, नदीघाटी मोर्चा के संयोजक गौतम बंध्योपाध्याय, किसान समन्वय समिति सदस्य पारसनाथ साहू, गजेन्द्र कोसले, कृषक बिरादरी के संयोजक डाॅ. संकेत ठाकुर, किसान भुगतान संघर्ष समिति महासमुन्द के संयोजक जागेश्वर जूगनू चन्द्राकर, किसान मोर्चा धमतरी के संयोजक अधिवक्ता शत्रुघन साहू, अखिल भारतीय किसान महासंघ के संयोजक डाॅ. राजाराम त्रिपाठी, आदिवासी भारत महासभा के अध्यक्ष भोजलाल नेताम एवं संयोजक सौरा, राजधानी प्रभावित किसान संगठन नया रायपुर के संयोजक रूपन चंद्राकार, छत्तीसगढ निवेशक एवम अभिकर्ता कल्याण संघ के अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण चंद्राकर, किसान संघर्ष समिति रायगढ़ के संयोजक लल्लू सिंह, किसान मजदूर महासंघ बिलासपुर के संयोजक श्याम मूरत कौशिक आदि ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने ’’हर हर मोदी, घर घर मोदी’’ का नारा दिया था। इसी के साथ साथ बहुत हो गई महंगाई की मार अबकि बार मोदी सरकार, बहुत हो गई भ्रष्टाचार अबकि बार मोदी सरकार जैसे नारे दिए थे, पेट्रोल डीजल की दामों को कम करने जैसे लोक लुभावन वायदे किये थे। लेकिन आज मोदी के सात साल पूरे होने को है और उनके वायदे केवल जुमले बनकर रह गये।
संयुक्त किसान मोर्चा और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के देशव्यापी आह्वान पर काला दिवस
वहीं संयुक्त किसान मोर्चा और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के देशव्यापी आह्वान पर छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन और इससे जुड़े घटक संगठन मोदी सरकार की कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के खिलाफ 26 मई को पूरे प्रदेश में काला दिवस मनाएंगे। और इस सरकार की मजदूर-किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करेंगे।
आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम व आलोक शुक्ला, संजय पराते, नंद कश्यप आदि ने बताया कि इस दिन संघ-भाजपा की मोदी सरकार की मजदूर-किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करते हुए ग्रामीण जन अपने घरों व वाहनों में काले झंडे लगाएंगे तथा सरकार का पुतला दहन करेंगे। पूरे राज्य में इस कार्यवाही को छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन से जुड़े 20 से ज्यादा संगठन संगठित करेंगे। किसान आंदोलन ने समाज के सभी तबकों, व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों से इस आंदोलन का समर्थन करने की अपील की है।
उल्लेखनीय है कि 26 मई को दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के तथा पिछले वर्ष आयोजित देशव्यापी मजदूर हड़ताल के 6 महीने पूरे होने जा रहे हैं। इस दिन ही भाजपा की मोदी सरकार के 7 साल भी पूरे होने जा रहे हैं। इसलिए इस दिन आयोजित कार्यवाहियों का विशेष महत्व है।
किसान आंदोलन के नेताओं ने बताया कि किसान विरोधी तीनों काले कानून और मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं को वापस लेने, सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का कानून बनाने, रासायनिक खादों के मूल्यों में की गई वृद्धि वापस लेने, रासायनिक खादों के मूल्यों में की गई वृद्धि वापस लेने, सभी कोरोना मरीजों का मुफ्त इलाज करने तथा देश के सभी नागरिकों का बिना किसी भेदभाव के मुफ्त टीकाकरण करने, महामारी को देखते हुए सभी गांवों में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ कोविड अस्पताल खोलने तथा दवाओं व ऑक्सीजन की कालाबाज़ारी पर रोक लगाने आदि मांगों को केंद्र में रखकर ये विरोध कार्यवाहियां आयोजित की जा रही है।
छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन ने प्रदेश के किसानों, ग्रामीण जनता, प्रदेश में कार्यरत सभी किसान संगठनों तथा ट्रेड यूनियनों सहित समाज के सभी तबकों से अपील की है कि देश को बचाने की इस लड़ाई में वे शामिल हों, ताकि भारत को 'कॉर्पोरेट इंडिया' में बदलने की मोदी सरकार की साजिश को विफल करें।
(छत्तीसगढ़ किसान सभा, आदिवासी एकता महासभा, राजनांदगांव जिला किसान संघ, हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति (कोरबा, सरगुजा), किसान संघर्ष समिति (कुरूद), आदिवासी महासभा (बस्तर), दलित-आदिवासी मजदूर संगठन (रायगढ़), दलित-आदिवासी मंच (सोनाखान), भारत जन आन्दोलन, गाँव गणराज्य अभियान (सरगुजा), आदिवासी जन वन अधिकार मंच (कांकेर), पेंड्रावन जलाशय बचाओ किसान संघर्ष समिति (बंगोली, रायपुर), उद्योग प्रभावित किसान संघ (बलौदाबाजार), रिछारिया केम्पेन, छत्तीसगढ़ प्रदेश किसान सभा, छत्तीसगढ़ किसान महासभा, परलकोट किसान कल्याण संघ, वनाधिकार संघर्ष समिति (धमतरी), आंचलिक किसान संघ (सरिया) आदि संगठनों की ओर से सुदेश टीकम, संजय पराते, आलोक शुक्ला आदि द्वारा जारी)
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