सिलगेर में पुलिस कैम्प के खिलाफ आदिवासी, 3 की मौत
द कोरस टीमसिलगेर में स्थापित नए कैम्प के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों पर गोलीबारी होने से 3 ग्रामीणों की मौत की खबर आ रही है वहीं बताया जा रहा है कि वे ग्रामीण नहीं नक्सली थे। ग्रामीणों और अन्य संगठनों ने इसका विरोध किया है। जिले के अंतिम छोर में कैम्प स्थापित करने की जिद पर इलाके में हजारों की संख्या में आदिवासी एकजुट होकर विरोध कर रहे हैं। ग्रामीणों पर बिना पूर्व सूचना के गोलीबारी शुरू कर दिया गया। बीजापुर जिले के सुरक्षाबलों ने सिजगेर गाँव में नये कैम्प स्थापित किया है। उसके बाद से सुकमा बीजापुर जिले के अलग-अलग 15 गांव के हजारों की संख्या में आदिवासी ग्रामीण सिलगेर इलाके में एकजुट होकर सुरक्षाबलों के कैम्प का विरोध करते हुए लामबंद हुवे।

जब देशवासी कोरोना महामारी से जूझ रही है वहीं छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार कोविड से जनता की रक्षा करने के बजाये संविधान के खिलाफ जाकर आदिवासियों पर गोली चला रही है।
बताया जा रहा है कि कैम्प स्थापित करने की जानकारी मिलते ही बीते गुरुवार से ग्रामीणों का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। लगातार अलग अलग इलाके से और भी ग्रामीण प्रदर्शन कर रहे हैं।
शुक्रवार को ग्रामीण जिले के लिमपुरम गाँव में एकत्रित होकर नारेबाजी के साथ विरोध जताया है। विरोध प्रदर्शन के बाद तिमपुर गाँव से पैदल चलकर विरोध जताते हुए सुरक्षाबलों के कैम्प के विरोध में नारेबाजी की है।
बताया यह भी जा रहा है कि पुलिस कैम्प के विरोध में जिले के 15 गांव के ग्रामीण प्रदर्शन में शामिल हुवे हैं। पुलिस और ग्रामीणों के बीच उठ रहे विवाद को SDOP विनोद मिंज की समझाइश के बाद भी काबू में नहीं किया जा सका। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस मारपीट के कारण विरोध प्रदर्शन में शामिल दो दर्जन से ज्यादा ग्रामीण घायल हुवे हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि यह विरोध प्रदर्शन सुरक्षाबलों के कैम्प हटाने तक जारी रहेगा, जब तक कैंप नहीं हटेगा वे लगातार विरोध जताते रहेंगे। घटना पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने सुकमा जिले के सिलगेर गांव में सैनिक कैम्प बनाये जाने का पिछले तीन दिनों से विरोध कर रहे आदिवासियों पर गोली चलाय जानेे, आंसू गैस के गोले छोड़े जाने तथा मारपीट किये जाने की तीखी निंदा की है और दोषी अधिकारियों के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही करने की मांग की है। इस गोली चालन में तीन आदिवासियों के मारे जाने की पुष्टि प्रशासन ने की है।
बयान में कहा कि आदिवासियों के विरोध प्रदर्शन को दबाने के लिए थाने पर नक्सली हमला बताए जाने तथा प्रदर्शनकारी तीन ग्रामीण मृतकों को नक्सली प्रचारित किये जाने की भी भर्त्सना की है। पार्टी ने मृतक आदिवासियों को दस लाख रुपये तथा घायलों को दो लाख रुपये मुआवजा देने तथा उनका पूरा उपचार कराए जाने की भी मांग की है। पार्टी ने ग्रामीणों की मौतों को ‘राज्य प्रायोजित हत्याएं’ करार दिया है।
संजय पराते ने कहा है कि कांग्रेस सरकार की कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के चलते प्रदेश के आदिवासी इलाकों में प्राकृतिक संसाधनों की लूट तेज हो रही है। आज बस्तर में हर पचास नागरिकों पर एक बंदूकधारी खड़ा है। बस्तर के इतने सैन्यीकरण के पीछे एकमात्र मकसद यही है कि बस्तर की जमीन पर कॉरपोरेटों के आधिपत्य को सुनिश्चित किया जाए।
माकपा नेता ने कहा कि इन नीतियों के खिलाफ पनप रहे असंतोष को दबाने के लिए यह सरकार भी अपने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की तरह ही सैन्य समाधान खोज रही है, जो आम जनता को स्वीकार नहीं है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की जनता यदि कैम्प नहीं चाहती, तो शांति बहाली के लिए सरकार को सैन्य कैम्प हटा लेना चाहिए।
पराते ने कहा कि पेसा और 5वीं अनुसूची के प्रावधान भी सरकार को इस इलाके में मनमाने तरीके से सैनिक बलों के कैम्प खोलने की इजाजत नहीं देते। उन्होंने कहा कि इस इलाके का सैन्यीकरण आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए नहीं, बल्कि उनके अधिकारों के हनन और विरोध के लोकतांत्रिक अधिकारों के दमन के लिए हो रहा है।
वहीं दूसरी ओर आदिवासी भारत महासभा के अध्यक्ष भोजलाल नेताम ने कहा है कि ग्रामसभा की अनुमति के बिना जबरन सुकमा बीजापुर जिले की सीमा पर स्थित गांव सिलगेर में सुरक्षाबलों के कैम्प बनाये जा रहे थे, जिसका 15 गांव के हजारो ग्रामीण 14 मई से कैंप हटाने का मांग कर रहे थे।
17 मई को निर्मम रूप से पुलिस द्वारा फायरिंग किया गया जिसमें 3 लोगो की मृत्यु हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए हैं तथा कई लोग लापता भी हैं। इस घटना ने आदिवासियों की हितैषी होने का ढोल पीटने वाली भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार की निरंकुश फासीवादी चेहरा सामने आ गया है।
तथाकथित माओवादी एवं नक्सलियों के आड़ में आदिवासियों की जिंदगी को तबाह कर दिया गया है। महिलाओं एंव युवतियों के साथ आये दिन बलात्कार हो रहा है व हत्या किया जा रहा है। हजारो आदिवासीयो को जेलों में बंद करके रखा गया है, बस्तर में एक लाख के करीब पैरामिल्ट्री एवं पुलिस को लगा रखा है जिसका दमन चक्र जारी है।
केंद्र की फाशिस्ट मोदी सरकार एंव राज्य की निरंकुश सरकार की इस जन विरोधी कृत्य की हम निंदा करते हुए सरकार से मांग करते है, कि इस कोविड महामारी के दौर में पेसा कानून को दर किनार करते हुए एंव ग्राम सभा की अनुमति के बिना बनाई जा रही सुरक्षाबलों का कैम्पों को बंद किया जाय।
सिलगेर पुलिस फायरिंग का न्यायिक जांच किया जाय। पीडि़त परिवार को 10लाख रुपये की मुवावजा दिया जाय एवं लापता लोगों को शीघ्र उनके रहवास में पहुंचाया जाए तथा गिरफ्तार किये गए लोगो को तत्काल रिहा किया जाये।
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