चलते रहोगे हमेशा

गुलाम हैदर मंसूरी, मशहूर फिल्मकार

 

किसी भी मुश्किलों और मसअलों में तुम ये क्यों भूल जाते हो। कि तुम कुदरत का एक हिस्सा हो।

कुदरत ने तुम्हें धूप दी है तो छांव भी बख़्शी है। पतझड़ दिया है तो सावन की बारिशें भी।

आंखों में अगर आंसु दिये हैं तो होंठों पे मुस्कान भी। दर्द में अगर आहें हैं तो सुकून में राहत भी। 

कुदरत ने दी है तुम्हें बहती हुई नदियां। उड़ते हुए पंछी। खुला आसमान। जंगलों का असीमित अस्तित्व।

कुदरत ने तुम्हें हर तकलीफों से लड़ने का साहस दिया है। हर मंज़िल को पाने लेने की हिम्मत दी है।

हर चुनौती का सामना करने का हौंसला दिया है और सबसे बड़ी बात ज़िंदा रहने के लिए ख़्वाब देखने का हुनर दिया है।

सुनो ग़ौर से बारिश के पानी की ये बूंंदें, हवाओ की रवानगी की ये रफ्तार, पंछियों के कलरव का ये उत्साह और अंधेरे में टिमटिमाकर रौशनी की उम्मीद जगाते ये जुग्नु।

 ये तुमसे कुछ कह रहे हैं। ये कह रहे हैं की कहीं किसी एक जगह पर जाकर किसी की दुनिया ख़त्म नही होती।

उसके पहले भी बहुत कुछ था और उसके बाद भी बहुत कुछ होगा।

दुनिया के कोई भी जज़्बात ज़िंदगी का एक हिस्सा हैं मुक़म्मल ज़िंदगी नही। अपने आपसे आज ये वादा करो कि चलते रहोगे हमेशा।

ख़ुदा हमेशा चलते रहने वालों के साथ होता है और तुम जहां कहीं भी रहो।

तुम्हारा ख़ुदा हमेशा तुम्हारे साथ होगा।

जानते हो न, कुदरत भी चलती रहती है और तुम भी कुदरत का एक हिस्सा हो।

इसी अहसास के साथ अपने लिए एक बार मुस्करा दो।

 


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