स्वास्थ्य जनता के जिन्दा रहने का स्तम्भ है
तुहिन देवजिम्मेदार विज्ञान रिपोर्टर और जनपक्षीय पत्रकार सूचना के सबसे अच्छे स्रोत हैं और इस नाते उन्हें कोशिश से संबंधित मुद्दों पर ख़बरें देने की पूरी आजादी होनी चाहिए। योगी द्वारा उत्तर प्रदेश में आक्सीजन की की रिपोर्ट देने वाले के खिलाफ एन एस ए की कार्यवाही करने की धमकी देने जैसी फासीवादी कदमों के मद्देनजर यह अत्यंत आवश्यक है।

आज मोदी राज में, महामारी से तबाह झेल रहा भारत अपने इतिहास में एक सबसे बड़े मानवीय संकट से गुजर रहा है।
पहले ही आर्थिक व सामाजिक ध्वंस की मार सहने के साथ साथ, भारत के कोरोना सुनामी की इस दूसरी लहर का केन्द्र बन जाने के परिणामस्वरूप, इस फासीवादी निजाम की क्रूरता, लापरवाही और जनता के जीवन और आजीविका की रक्षा करने की जिम्मेदारी से पूरी तरह मुंह मोड़ लेने वाले कदम का पर्दाफाश हो गया है, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है।
हालात इतने भयावह हैं कि मोदी द्वारा जन भावनाओं के दोहन का काम, जिसे अनुगत कारपोरेट गोदी मीडिया का समर्थन है, छिपा पाने में निष्प्रभावी है।
एक साल पहले जब भारत में महामारी ने कदम रखा था, तब ताली बजाओ, थाली बजाओ, दीया जलाओ जैसे पुरातनपंथी कदमों से शुरू कर, तीन महीने से ज्यादा समय तक देशव्यापी पीड़ादायक लाकडाउन लगाने से, जिसे मोदी ने 138 करोड़ भारतीयों पर थोप दिया था, जनता का जीवन और आजीविका पूरी तरह छिन्न भिन्न हो गई थी।
इस अवधि में ''आत्म निर्भरता" के बारे में उपदेशों की झड़ी लगा देने के बावजूद, मोदी ने दवाओं की उपलब्धता और अति आवश्यक आक्सीजन की आपूर्ति का इंतजाम करने सहित, स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने और निजी कारपोरेट अस्पतालों को सामाजिक नियंत्रण में लाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया।
महामारी के दौरान मोदी की नीतियों के फलस्वरूप, जहां ऊपरी एक प्रतिशत महाअमीरों ने अपनी सम्पत्ति को 35 प्रतिशत बढ़ाया, वहीं वर्ष 2020 में और भी 7.5 करोड़ भारतीयों को गरीबी में धकेल दिया गया।
इस बीच, उत्क्रमित कोरोनावायरस की दूसरी लहर की वैश्विक चेतावनी और यूरोप के कई देशों द्वारा वर्ष 2020 की अंतिम तिमाही से इससे बचाव के लिए कलम उठाए जाने की पृष्ठभूमि में, मोदी और उसके जन सम्पर्क प्रबंधकों का रवैया, जो कोरोनावायरस पर "जीत" का जश्न मनाने में लगे थे, निर्दय, आपराधिक अनदेखी करने वाला रहा।
इस संदर्भ में, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के बारे में संसदीय कमेटी ने, आसन्न खतरे को समझते हुए, लोकसभा के अध्यक्ष और राज्य सभा के चेयरमेन को नवम्बर 2020 में सौंपी गई अपनी 123वीं रिपोर्ट में, जिसे संसद के दोनों सदनों में 2 फरवरी 2021 को रखा गया था, अस्पतालों में आक्सीजन सिलेंडर की गंभीर कमी के बारे में चेतावनी दी थी कि और "कोविड'9 पर नियंत्रण व उपचार के लिए जीवन्त रणनीति" तथा "अस्पतालों में मांग के अनुसार आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए आक्सीजन का पर्याप्त उत्पादन करने" का सुझाव दिया था।
किन्तु संसदीय समिति के इन सुझावों का पालन करने के बजाय और इसकी पूरी तरह अवहेलना करते हुए, मोदी ने महामारी पर विजय का झूठा दावा करते हुए विभिन्न राज्यों में अंधाधुंध बड़ी चुनावी रैलियां की, कुंभ मेले का आयोजन किया गया, आदि, आदि, जिसमें कोविड प्रोटोकॉल और नियमों की धज्जियां उड़ाई गई, जबकि पूरा देश तेजी से फैलते महामारी से अस्त-व्यस्त है, जहां रोजाना संक्रमित होने वाले की संख्या चार लाख के ऊपर पहुंच गई है (भारत में 1 भी 2020 को कोरोना मरीजों की संख्या 2394 थी) और हर दिन 3000 से अधिक लोगों की मौत हो रही है।
आज भगवान फासीवादी मोदी सरकार सबसे अधिक जन विरोधी और प्रतिक्रियावादी सरकार के रुप में सामने आई ए जो कोविड के मामलों और मौतों की संख्या को छुपाने में लगी हुई है और तथ्यों की खबरों को सामने नहीं लाने के लिए मीडिया पर नंगा दबाव डाल रही है और यहां तक कि स्वतंत्र मीडिया कर्मियों पर भगवा गुंडों द्वारा हमला किया जा रहा है।
इस अत्यंत भयावह परिस्थिति में, असमानता और गरीबी बढ़ने के साथ साथ, सार्वजनिक नियंत्रण में चिकित्सा सुविधा और स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने के बजाय, और इस प्रकार जनता के लिए सार्वभौमिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के बजाय, मोदी सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित हर चीज को नियंत्रणमुक्त करके इस पर चोट कर रही है।
स्वास्थ्य जनता के जिन्दा रहने का स्तम्भ है और यहां तक कि साम्राज्यवादी देशों ने भी अपने नागरिकों को मुफ्त टीका, आक्सीजन प्रदान किया है और कम कीमतों पर दवा उपलब्ध किया इस। दूसरी तरफ, टीका के उत्पादन और वितरण के मामले में कारपोरेट घरानों को छूट देकर, फासीवादी मोदी ने भारत की जनता पर दुनिया में सबसे ज्यादा कीमत पर टीका थोप दिया है, जो एक ऐसा देश रहा है जो सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जनता के लिए मुफ्त टीका और सस्ती दवा की पैरवी करता रहा है।
और जब जो सांस लेने के लिए तड़प रही है और प्राणदायी आक्सीजन के अभाव में दम तोड रही है, तब पूरे देश में आक्सीजन सिलेंडर की जमाखोरी और कालाबाजारी चरम पर है।
इस भयावह परिस्थिति में, हमारी फौरी मांग है
1. टीका के उत्पादन, क्रय व वितरण को तत्काल राज्य के नियंत्रण में लाया जाए, जिसके लिए महामारी बीमारी एक्ट, पैटेंट एक्ट के तहत अनिवार्य लाइसेंस और दवा नियंत्रण एक्ट के प्रावधानों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
2. सबके लिए मुफ्त टीका उपलब्ध किया जाए।
3. देश में आक्सीजन के उत्पादन और वितरण का राष्ट्रीयकरण किया जाए।
4. देश में जन स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत किया जाए, अस्पतालों में बिस्तरों और दवाओं की पर्याप्त व्यवस्था की जाए जिसका भार जनता वहन अन्य सके, स्वास्थ्य सुविधाओं का घरों तक विस्तार किया जाए।
5. एक अध्यादेश के जरिए निजी अस्पतालों को सार्वजनिक नियंत्रण में लाया जाए।
6. संबंधित मेडिकल विशेषज्ञों से चिकित्सा सलाह ली जानी चाहिए, जिसमें इम्यूनोलॉजिस्ट और वायरोलॉजिस्ट भी शामिल हों और इसे जनता को उपलब्ध कराया जाना चाहिए और जानकारियों के लिए फार्मा कंपनियों पर सरकार की निर्भरता कै खत्म किया जाना चाहिए।
7. जिम्मेदार विज्ञान रिपोर्टर और जनपक्षीय पत्रकार सूचना के सबसे अच्छे स्रोत हैं और इस नाते उन्हें कोशिश से संबंधित मुद्दों पर ख़बरें देने की पूरी आजादी होनी चाहिए। योगी द्वारा उत्तर प्रदेश में आक्सीजन की की रिपोर्ट देने वाले के खिलाफ एन एस ए की कार्यवाही करने की धमकी देने जैसी फासीवादी कदमों के मद्देनजर यह अत्यंत आवश्यक है।
8. छवि संवारने की कसरत, सेन्ट्रल विष्ठा परियोजना जैसे कार्य को बन्द किया जाना चाहिए और इससे होने वाली जनता के पैसे की बचत का उपयोग जनता के जीवन और आजीविका को सुनिश्चित करने में लगाया जाना चाहिए।
9. महिअमीरों पर उचित महामारी टैक्स लगाने, सम्पत्ति के अद्वितीय केन्द्रीयकरण के मद्देनजर फिर से प्रापर्टी टैक्स लगाने और आवश्यक धनराशि की व्यवस्था करने के लिए कारपोरेट टैक्स बढ़ाने के लिए तत्काल कदम उठाया जाए।
10. ठेका और कैजुअल मजदूरों, भूमिहीन गरीब किसानों, वंचित व उत्पीड़ित जनता, दलितों, आदिवासियों, मछुआरों सहित समस्त जनता की आजीविका सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि उचित कोशिश प्रबंधन के जरिए उनके जीवन की रक्षा करना। मनरेगा कार्यक्रम को पुनर्जीवित करने और एफसीआई के पास मौजूद अनाज के स्टाक का मुफ्त वितरण करने के साथ साथ, राज्य व स्थानीय सरकारों की भागीदारी के साथ, गरीबों
और प्रवासी मजदूरों के लिए मुफ्त अनाज, दवा, शेल्टर एवं अन्य सहूलियतें सुनिश्चित करने के लिए देशव्यापी पहल की जानी चाहिए।
11. ग्रामीण डाक्टरों और सफाई कर्मचारियों को शामिल कर इस वक्त मेडिकल स्टाफ की कमी की समस्या का फौरन समाधान किया जाना चाहिए।
12. कोशिश प्रबंधन प्राथमिक तौर पर स्वास्थ्य का विषय है, इसलिए पुलिस की अनावश्यक दखलअंदाजी और उनके द्वारा जनता को परेशान किया जाना बन्द किया जाए।
13. महामारी से निपटने के लिए, रक्षा बजट को कम करने के साथ ही, स्वास्थ्य संबंधी बजट को बढ़ाया जिए।
14. किसान विरोधी काले कानूनों को सीधे तौर पर रद्द किया जाए और जब तक किसान आंदोलन चल रहा है, तब तक आन्दोलन के सभी केन्द्रों पर कोशिश जांच और इलाज की पूरी व्यवस्था की जाए।
मेडिकल विशेषज्ञों, राजनीतिज्ञों, अर्थशास्त्री और संबंधित विद्वानों को शामिल कर एक शक्तिसंपन्न ऊंच स्तरीय कमेटी को उक्त मांगों पर अमल करने कार्यभार सौंपना चहिए।
पार्टी पीड़ित जनता के साथ एकजुटता घोषित करती है और उनसे एकताबद्ध होकर आगे आने की अपील करती है जिससे सरकार को इन फौरी न्यूनतम मांगों पर अमल करने के लिए बाध्य किया जा सके।
पोलित ब्यूरो,भाकपा (माले) रेड स्टार का बयान
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