राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ जनादेश
निराशा, हताशा और मौतों के दमघोंटू माहौल में बंगाल, केरल और तमिलनाडु की जनता ने ताजा हवा के झोंके का एहसास
द कोरस टीमराज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ जनादेश का स्वागत किया, जिसके आज परिणाम सामने आए। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में, यह स्पष्ट है कि जनता ने भाजपा की विभाजनकारी सांप्रदायिक राजनीति को खारिज कर दिया है।

मशहूर आलोचक सियाराम शर्मा लिखते हैं कि मीडिया में बनाई गई हवा ने मन में डर पैदा कर रखा था। हालांकि विवेक समझाता था कि यह बनाई गई हवा है। फुलाया हुआ गुब्बारा ।डर यह भी था कि अगर यह नाकारा, नाटकबाज जमूरा बंगाल में सफल हुआ तो एनआरसी, धारा 370, कृषि कानूनों और श्रमिकों पर लाद दी गई नई श्रम संहिताओं समेत सारे कुकर्मों को जायज ठहरायेगा।
विकल्पहीनता के शून्य को और भी चौड़ा कर देगा। इस निराशा, हताशा और मौतों के दमघोंटू माहौल में बंगाल, केरल और तमिलनाडु की जनता ने ताजा हवा के झोंके का एहसास दिलाया है।
देश को बांटने, बेचने और बर्बाद करने की सांप्रदायिक फासीवादी ताकतों के मंसूबे पर उसने पानी फेर दिया है। अभी फासीवादी ताकतों से लड़ाई लंबी है। इन चुनावों ने हमें संभलने का अवसर दिया है। हमें इस अवसर का भरपूर उपयोग करना चाहिए।
भाकपा-माले लिबरेशन के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने मीडिया को कहा कि पश्चिम बंगाल चुनाव परिणाम ऐतिहासिक हैं। बिहार चुनावों के बाद, जिनमें भाजपा हार से किसी तरह बच गई थी, आया पश्चिम बंगाल का स्पष्ट भाजपा विरोधी जनादेश भारत के संविधान, लोकतंत्र और संघीय ढांचे,और विविधताओं से भरी भारतीय पहचान को बचाने की लड़ाई को मजबूत करेगा।
नन्दीग्राम में बेहद मामूली मतों से ममता बनर्जी की अंतिम घोषणा में बताई गई हार से यह जबर्दस्त जनादेश कहीं से भी कमजोर नहीं होता है।
पश्चिम बंगाल की जनता ने राज्य को जीतने की भाजपा की आक्रामक व निर्लज्ज कोशिशों के विरुद्ध जनादेश दिया है। बंगाल में सत्ता कब्जाने के लिए जनसंहारों, मतदाताओं को धमकाने और दलबदल कराने की भाजपा की साजिशों पर इस जनादेश ने विराम लगा दिया है।
धार्मिक उन्माद, साम्प्रदायिकता और नफरत की राजनीति करने वालों को बंगाल की प्रगतिशील व समावेशी विरासत ने मुंहतोड़ जवाब दिया है. यह जनता की आजीविका और जीवन पर हमला करने वाली कॉरपोरेट लूट के खिलाफ जिन्दगी की जद्दोजहद में लगी जनता के सम्मान व अधिकारों के लिए संघर्षों की जीत है।
आज सत्यजित राय की जन्म शतवार्षिकी के मौके पर लोकतंत्र और बंगाल की अमूल्य विरासत के पक्ष में आए जनादेश के लिए हम बंगाल की समझदार व सजग जनता का हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं।ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस को बधाई।
2021 का आवाहन (एकुशेर डाक) और ‘नो वोट टू बीजेपी’ अभियान की प्रतिक्रिया में बंगाल के छात्रों व युवाओं एवं विभिन्न धाराओं के जनान्दोलनों ने राज्य के कोने कोने में भाजपा के फासीवादी मंसूबों को शिकस्त देने के लिए जी-जान लगा कर प्रचार किया।
अखिल भारतीय किसान आन्दोलन के प्रतिनिधियों ने भी राज्य की जनता से अपने मत का प्रयोग भाजपा को हरा कर मोदी सरकार के किसान विरोधी कृषि कानूनों को वापस लेने के आन्दोलन को मजबूत करने का आवाहन किया। ये प्रयास भाजपा के विरुद्ध स्पष्ट जनादेश बनने में मददगार बने और हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले दिनों में ऐसी शक्तियां लोकतंत्र की जागरुक पहरेदार बनी रहेंगी।
हम बंगाल के तमाम वामपंथ समर्थकों से अपील करते हैं कि वे इस जनादेश को लोकतंत्र की विजय और पश्चिम बंगाल की जनता की फासीवाद विरोधी सशक्त दावेदारी के रूप में देखें. इन चुनाव परिणामों के आलोक में बंगाल के कांग्रेस-वाम मोर्चा नेतृत्व को अपने राजनीतिक स्टेंण्ड का पुनर्मूल्यांकन जरूर करना चाहिए। मैं आशा करता हूँ कि तृणमूल कांग्रेस सरकार अपने तीसरे शासनकाल में जनभावनाओं और लोकतंत्र के मूलभूत उसूलों का पालन करेगी।
भट्टाचार्य ने कहा कि अभी बंगाल की जनता हेतु सबसे जरूरी कार्यभार कोविड19 संकट से निपटने, महामारी को परास्त करने, लोगों का जीवन बचाने और कोविड19 पीड़ित लोगों की मदद करने का है। इतनी लम्बी चुनाव प्रक्रिया ने पश्चिम बंगाल में इस खतरे को और बढ़ा दिया है।अब सरकार और समाज के लिए इन हालातों को शिकश्त देना ही सर्वप्रथम कार्यभार है।
मतदाताओं ने सिरे से नकारी भाजपा की साम्प्रदायिकता और अनैतिक राजनीति व तीन खेती कानून
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि ऐसे गंभीर संकट के समय में जब देश अपने स्वास्थ्य सेवा संबंधी बुनियादी ढाँचे के मामले में आपदा का सामना कर रहा है, अनेक योजनाओ के अभाव के कारण बहुत से निर्दोष नागरिक इस सरकार की घोर उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं, और ऐसे समय में जब लोगों को आजीविका के बड़े संकट का सामना करना पड़ रहा है, बीजेपी ने अपने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के एजेंडे को फैलाने की कोशिश की। चुनाव आयोग पर संस्थागत हमले व मिलीभगत कर भाजपा ने चुनाव जीतना चाहा। चुनाव आयोग से अनैतिक व गैरकानूनी सहायता और चुनाव अभियानों में भारी संसाधनों को खर्च करने के बावजूद इन राज्यों में भाजपा की हार होना यह दर्शाता है कि नागरिकों ने भाजपा और उसके सहयोगी दलों के इस एजेंडे को खारिज कर दिया है।
“प्रदर्शनकारी किसान पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि भाजपा का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण एजेंडा अस्वीकार्य है; यह नागरिकों का एक साझा संघर्ष है, जो अपनी आजीविका की रक्षा करने के साथ साथ देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बचाने के लिए भी है। विभिन्न राज्यों के मतदाताओं ने भाजपा को दंडित करने के सयुंक्त किसान मोर्चा के अभियान को सफल बनाया है। भाजपा का यह एजेंडा बिल्कुल फेल रहा है जिसमें उन्होंने नागरिकों की आजीविका के मुद्दों – किसान विरोधी केंद्रीय कृषि कानूनों और मज़दूर-विरोधी श्रम कोड को चुनावी मुद्दा ना बनाने में प्रयास किये।
हम बंगाल और अन्य राज्यों के नागरिकों को किसानों को समर्थन देने के लिए बधाई देते हैं। हम अब पूरे भारत के किसानों से अपील करते हैं कि वे अपने प्रतिरोध को मजबूत करें, और अधिक से अधिक संख्या में आंदोलन में शामिल हों। यह आंदोलन उन लोकतांत्रिक मूल्यों को प्रसारित करना जारी रखेगा, जो हमारे संविधान की सुरक्षा करते है व उद्देश्यों को पूरा करते हैं। किसान अपनी मांगें पूरी होने तक खुद को और मजबूत करेंगे”.
अब भाजपा की नैतिक जिम्मेदारी है कि आज के परिणामो को स्वीकार करें व किसानों से बातचीत कर तीन कृषि कानून रद्द करें व MSP की कानूनी गांरटी दे। हम एक बार पुनः स्पष्ट कर रहे है कि किसानों का यह आंदोलन तब तक खत्म नहीं होगा जब तक मांगे नहीं मानी जाती। साथ ही भाजपा व सहयोगी दलों का बॉयकॉट भी जारी रहेगा। सरकार किसानों मजदूरो को अपना दुश्मन बनाने की बजाय कोरोना महामारी व अन्य आर्थिक संकट से लड़े।
सयुंक्त किसान मोर्चा की 9 सदस्यीय कोर कमेटी ने युवा आन्दोलनकारी मोमिता बासु के आकस्मिक निधन पर शोक व्यक्त किया है। पश्चिम बंगाल से किसानों के धरने में पहुंची मोमिता लगातार किसान मोर्चो पर डटी हुई थी। उनका यह बलिदान किसानी संघर्ष में याद रखा जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता बलवीर सिंह राजेवाल, हनन मौला, जोगिंदर सिंह उग्राहां, जगजीत सिंह डल्लेवाल, गुरनाम सिंह चढूनी, योगेंद्र यादव, युद्धवीर सिंह, डॉ दर्शन पाल, अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि कोरोना के नाम पर पंजाब सरकार द्वारा लगाए जा रहे प्रतिबंध और किसानों पर दर्ज पुलिस केसों की कड़ी निंदा की है।
नेताओं ने कहा नूरपुर-बेदी (रोपड़) में हुई किसान कांफ़्रेस में पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष रणवीर सिंह रंधावा, राज्य वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरदीप कौर कोटला, कीर्ति किसान मोर्चा के नेताओं बीर सिंह, जगमनदीप सिंह पढ़ी, रूपिंदर संदोया, मिस्त्री मजदूर यूनियन के नेता तरसेम सिंह जटपुर और गायक पम्मा डुमेवाल पर पंजाब पुलिस नूरपुरबेदी (रोपड़) द्वारा मामला दर्ज किया गया है।
कुछ दिन पहले मोगा पुलिस ने युवा किसान नेता सुखजिंदर महेश्री और विक्की महेश्री के खिलाफ भी मामला दर्ज किया था। पंजाब सरकार को लोगों के संघर्षों पर रोक लगाना तुरंत बंद करें और युवा किसान नेताओं के खिलाफ दर्ज पर्चे को तुरंत रद्द करें अन्यथा इन कार्यों के खिलाफ संघर्ष किया जाएगा।
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