8 घण्टे की काम हमारा हक है,  कॉरपोरेट राज के खिलाफ़ किसानों मजदूरों एक हो 

द कोरस टीम

 

आज से 135 वर्ष पूर्व 1मई 1886 को अमेरिका में मजदूरो का सँघर्ष शुरू हुआ,4 मई कोअमेरिका के शिकागो शहर के हे मार्केट में दमन का एक और भयावह रूप सामने आया था।8 बेगुनाह मजदूर नेताओ को जेल में बंद कर दिया गया और4निर्दोष मजदूर नेताओ को फांसी पर लटका दिया गया था।अल्बर्ट पर्सन्स,और ऑगस्ट स्पाइस की आवाज आज भी गुंजायमान है।मजदूर वर्ग का अंतरराष्ट्रीय संगठन द्वारा 1889 से 1मई को पूरी दुनिया में मजदूर दिवस के रूप में मनाने का एलान किया था।  

साम्राज्यवाद, पूंजीवाद मानव जाति की रक्षा नही कर सकता। इनकी नव-उदारवादी नीतियां,इनका खोखला पन एंव इनकी हकिकत दुनिया के सामने आ चुका है,कोविड एंव लॉक डाउन जैसे  कठिन समय में भी फसिस्ट मोदी सरकार ने जाति और धर्म  के नाम पर नफरत फैलाने का काम किया है,मौजुदा इस संकट का बोझ मजदूर-किसानों के पिठ पर लाद देना चाहती हैं,जनता इलाज के आभाव में, भूख से मर रही है, सरकार के पास कोई ठोस योजना नहीं है।

लम्बे सँघर्ष  से हासिल किये गए श्रम कानून एंव अधिकारों को खत्म कर दिया गया है, मालिको के हित में चार श्रम संहितांए लाने जा रही हैं।वहीं दूसरी ओर कृषि को निजी हाथों में देने के लिए तीन कृषि कानून बनाया है।जिसके खिलाफ किसान दिल्ली बॉडर पर विगत छह महीनों से आंदोलनरत है।लगभग 400 किसानों ने शहादत दी है।फिर भी आरएसएस/बीजेपी की फाशिस्ट सरकार लाशो के ढेरों पर चुनाओं में मसगूल है।

आज मेहनतकशो पर दमन तेजी से बढ़ने लगी है,12 घण्टे का कार्य दिवस ,ट्रेड यूनियनों पर रोक,वेतन में कटौती,जैसे हमलो को रोकने के लिए औऱ  मेहनतकशो की मुक्ति के लिए मजदूरों-किसानों को एक साथ मिलकर इस शोषणकारी व्यवस्था के खिलाफ सँघर्ष कोऔर तेज करने की जरुरत है।

कॉरपोरेट राज के खिलाफ़ किसानों मजदूरों एक हो 

वहीं दूसरी ओर - केन्द्र सरकार द्वारा कथित कृषि सुधार के नाम पर पारित कॉरपोरेट परस्त व किसान, कृषि और आम उपभोक्ता विरोधी कानून को वापस लेने, न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी कानून लागू करने, बिजली संशोधन बिल 2020 रद्द करने, प्रदूषण नियंत्रण कानून 2020 में किसान विरोधी कॉलम को निरस्त करने की मांग को लेकर दिल्ली सीमाओं सिंघु, टीकरी, शाहजहांपुर, गाजीपुर और पलवल में किसान आंदोलन जारी है।

सीमाओं पर जारी आंदोलन को पांच महीना बीत चुका है और चार सौ के करीब किसानों ने अब तक अपनी कुर्बानी दी चुके हैं। जिस तरह से खेत और किसानों को नष्ट करने का कानून केन्द्र सरकार ने लाया है ठीक उसी तरह से श्रम कानूनों को संशोधित कर चार श्रम कोड बिल बनाकर मोदी सरकार ने अपने कॉरपोरेट आकाओं की सेवा की है। मोदी सरकार ने करोना जैसे वैश्विक महामारीकी आपदा को अपने कॉरपोरेट मित्रों के लिए लूट के अवसर में तब्दील किया है।  

आंदोलन के मोर्चों पर संयुक्त किसान मोर्चा ने एक मई अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर मजदूर किसान पंचायत दिवस के रूप मे मनाने का निर्णय लिया है जिसे सफल करने अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के सचिव तेजराम विद्रोही, झारखण्ड राज्य संयोजक कॉमरेड वशिष्ठ, अखिल भारतीय क्रांतिकारी महिला संगठन के उपाध्यक्ष उर्मिला, ट्रेड यूनियन सेंटर ऑफ इंडिया राजस्थान के संयोजक रितांश, अखिल भारतीय क्रांतिकारी विद्यार्थी संगठन के सचिव अक्षय ने संयुक्त आहवान किया है। 


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