कोरोना प्रभावित जनता को राहत देने पूरे प्रदेश में किया किसान सभा

कार्यकर्ताओं ने किया वर्चुअल प्रदर्शन

द कोरस टीम

 

प्रदेश के 15 से ज्यादा जिलों में ये प्रदर्शन आयोजित किये गए। आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर की चेतावनी मिलने के बाद भी सरकारें हाथ पर हाथ धरे बैठी रही, जिसके कारण ऑक्सीजन, दवाईयों और बिस्तरों के अभाव में लाखों देशवासियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है।

सभी को मुफ्त टीका देने का केंद्र सरकार का वादा दूसरी वादों की तरह फिर जुमला साबित हुआ है और मुफ्त सार्वभौमिक टीकाकरण की अपनी जिम्मेदारी से मोदी सरकार मुकर गई है।

उन्होंने कहा कि जो सरकार अपने मरीजों के लिए ऑक्सीजन, दवाईयों और टीकों का इंतज़ाम न कर सके, उसे सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।

किसान सभा नेताओं ने कहा कि राज्य सरकारें लॉक डाऊन करने के लिए बाध्य हुई है और लाखों प्रवासी मजदूर फिर से घर-वापसी के लिए बाध्य हुए हैं। लोगों की आजीविका खत्म होने का नतीजा यह हो रहा है कि वे भुखमरी का शिकार हो रहे हैं और सूदखोरों के चंगुल में फंस रहे हैं।

लेकिन अभी तक सरकार ने पीड़ित लोगों की मदद के लिए कोई कदम नहीं उठाए हैं, जबकि उन्हें मुफ्त अनाज किट और नगद आर्थिक सहायता की सख्त जरूरत है।

किसान सभा ने सरकार की वैक्सीन नीति की भी तीखी आलोचना की है तथा कहा है कि यह नीति आम जनता के एक बड़े हिस्से को टीकाकरण से दूर करेगी, जिससे कोरोना महामारी पर नियंत्रण पाना मुश्किल होगा।

जन स्वास्थ्य क्षेत्र के निजीकरण का नतीजा यह स्पष्ट दिख रहा है कि केंद्र सरकार के संरक्षण में दवा कंपनियां इस बीमारी को अपनी जीवन रक्षक दवाओं पर अनाप-शनाप मुनाफा कमाने के अवसर के रूप में देख रही है।

कोविशील्ड और को-वैक्सीन की तीन अलग-अलग कीमतें इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।

किसान सभा ने मांग की है कि मुफ्त सार्वभौमिक टीकाकरण के लिए केंद्रीय बजट में इस हेतु आबंटित 35000 करोड़ रुपयों का उपयोग किया जाएं।

किसान सभा नेताओं ने बताया कि इन मांगों के साथ ही इस प्रदेशव्यापी वर्चुअल प्रदर्शन के जरिये किसान विरोधी तीनों कानूनों को वापस लेने और सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने का कानून बनाने की भी मांग की।

उन्होंने कहा कि देश की कृषि व्यवस्था का कॉरपोरेटीकरण करने वाले इन कानूनों को जब तक निरस्त नहीं किया जाता, देशव्यापी किसान आंदोलन जारी रहेगा।


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