छः महीने के भीतर भागलपुर के बिहपुर पुलिस लाॅकअप में दूसरी हत्या

पुलिस मामले की लीपापोती में बता रही है आत्महत्या! तो भी सवाल बनता है कि आत्महत्या क्यों?

विशद कुमार, स्वतंत्र पत्रकार

 

मां पुष्प देवी और भाई आहुत दास का आरोप पुलिस ने मारते- मारते विभूति की ली जान।

विभूति रविदास एक मैट्रिक पास नौजवान था, जो हँसमुख और मिलनसार था। बचपन से अपने रिटायर्ड आर्मी दादा अर्जुन दास का दुलारा पोता रहा है।

2017 में दादाजी की मौत के बाद घर की आर्थिक हालत खराब हो जाती है। पिता शंभू दास मुम्बई में राजमिस्त्री का काम करने लगता है और बेटा ड्राइवरी। यहां छः बच्चे और एक सासु मां का ख्याल रखने के लिए माता पुष्पा देवी है। 

छोटा सा घर ईंट-छत का है। पांच भाई में विभूति सबसे बड़ा है। एक बहन खुशी कुमारी है जो अभी मैट्रिक बोर्ड पास कर सबको खुशी दी थी। बहन भाई मां, दादी की ख़ुशी के लिए विभूति कभी डीजे बजाने चला जाता था तो कभी चार पहिया का ड्राइवर बन जाता था। लेकिन 23 को शाम में जिंदा निकला विभूति रविदास की जब मौत की खबर लौटी।

पड़ोस के ही फुलो मंडल उर्फ चंद्रशेखर सिंह आजाद की स्कॉर्पियो गाड़ी संख्या-BR10-PB/5542 जिसका ये दो महिने से ड्राइवर था, आज गाड़ी लेकर बारात के लिए भेजा गया था।

थाली में रोटी-सब्ज़ी, नमक-प्याज का चार कौर खाया ही था कि फुलो मंडल का बेटा सुमन मंडल और रोहित ने आकर कहा जल्दी जाइये बारात लेकर आपको जाना है, इंतजार कर रहा है। बाबू बोले है आपको जल्दी निकलने।  

आधा पेट खाकर ही विभूति रविदास खरीक प्रखंड के ध्रुवगंज से बारात लेकर बिहपुर प्रखंड के मड़वा गांव चला जाता है।

रास्ते में घात लगाए बदमाशों ने इसकी गाड़ी सहित इसका अपहरण कर लेता है। बेगूसराय जिला के साहेबपुर कमाल के पास इसके मुँह को बांधकर बाहर धकेल फेंक देता है और बदमाश गाड़ी लेकर फरार हो जाता है।

विभूति रविदास किसी तरह अपने मालिक फूलो मंडल को उक्त बातों की जानकारी मोबाइल से दिनांक 23 अप्रैल को रात 2:50 बजे (जो समय के अनुसार24 अप्रैल हो जाता है) मोबाइल नंबर 9801655407 से मोबाइल नंबर 9122972650 गाड़ी मालिक ललन कुमार (FIR के अनुसार) जानकारी दे देता है कि मुझे पांच व्यक्ति ने मिलकर गाड़ी सहित हथियार के बल पर जमालपुर स्कूल के पास से अगवा कर साहेबपुर कमाल पेट्रोल पंप के समीप छोड़ दिया एवं पांचो व्यक्ति गाड़ी लेकर भाग गया। ललन कुमार आगे FIR में कहता है कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि विभूति कुमार उर्फ मनीष कुमार ने ही अपने पांच साथियों के साथ मिलकर गाड़ी पचाने के नीयत से गायब कर दिया। 

पुलिस सूचना के आधार पर 24 अप्रैल की सुबह झंडापुर चौक से विभूति रविदास को गिरफ्तार कर ओपी लाती है। पूछताछ के लिए गौरीपुर गांव इसके घर और फूलो मंडल के घर तक आती है और वापस झंडापुर ओपी हाजत में बंद कर देती है।

25 अप्रैल को मां अपने बेटा विभूति से मिलने झंडापुर ओपी गई तो पुलिस डांट-फटकार,  गाली गलौज कर थोड़ी देर में ही भगा देती है। 27 अप्रैल को सुबह फिर मां-भाई और पड़ोस की एक दो महिला जाती है जहां झंडापुर पुलिस फिर इन लोगों को डांट-फटकार कर भगा देती है। पुलिस कहती है दो घंटे के बाद आना तब विभूति से मुलाकात हो जाएगी। 

विभूति की मां झंडापुर गांव में ही रिश्तेदार के यहां चली जाती है। दो घंटे बाद फिर झंडापुर ओपी आती है तो कहता है तुम्हारा बेटा ठीक-ठाक है, पर वो नौगछिया अस्पताल में चेकअप कराने गया है। थोड़ी देर बाद आना। 

ये सीधा-साधा दलित-बहुजन परिवार को तीन दिनों तक बहलाए रखा जाता है। मां भाई का दिल घबराने लगा, उन्हें पुलिस के रवैए से लगा जरूर कुछ गड़बड़ है। तब सब लोग जहां हो सका फोन से जानकारी देने लगे। उनके नौगछिया अनुमंडल अस्पताल पहुंचने पर पता चलता है कि विभूति तो रात में ही मर गया है, शव बाहर रखा हुआ है।

बेटा को देखते ही चित्कार कर उठी मां

परिजनों ने देखा मृत शरीर के अंग-अंग पर बेरहमी से मारने का निशान है। नाक से खून बह रहा है। गुप्तांग तक में मारपीट का निशान है, अगर आप जख्म देख सकेंगे तो कह देंगे, ये पुलिस आदमखोर हो गयी है। हथेली हो या तलवा कलेजा हो या पीठ नाक, कान,आँख से लेकर सभी जगह सिर्फ पीटने के निशान और जख्म थे। 

मानवता को तार-तार कर दिया है। यह कोई प्रोफेशनल बदमाश नहीं था। एक 20 वर्षीय मासूम नौजवान था जिसके हजारों सपने थे उस सपना का भी हत्या हुई है। बहन की शादी, दादी के लिए प्यारी सी बहु लाने का सपना, भाई को पढ़ाने का सपना, दादाजी के तरह भाई को देश की सेवा करने के लिए आर्मी बनने का सपना, एक बढ़िया घर, अच्छी सी बाथरुम बनाने की हसरत सहित हजारों सपने.....पर आज सबके सब की हत्या इस वर्दी वाले गुंडे ने कर दी।

दलित-पिछड़ों की राजनीतिक रोटी सेंकने वाले, हिन्दुत्व की राजनीति करने वाले जनप्रतिनिधि सब अपने खोपचे में वातानुकूलित कमरे का आनंद ले रहा है। एक दो दिन बाद आकर घड़ियाली आँसू बहाकर अपनी राजनीतिक कोरम पूरी कर लेंगें। पर न्याय तो इनके आँगन के कुएँ में पानी भरती है।

इसी बिहपुर पुलिस ने 24 अक्टूबर 2020 को बिहपुर थाना मुख्यालय में इसी तरह पीट-पीटकर पुलिस ने आशुतोष पाठक की हत्या कर दी। पर आरोपी आज भी फरार है। वाह रे पुलिस-प्रशासन और न्याय के साथ विकास वाली बिहार सरकार।

अभी तक झंडापुर ओपी का प्रभारी और ड्युटी पर तैनात पुलिस को न्यायिक हिरासत में क्यों नही ली गई है? क्या इसके भी भागने का इंतजार हो रहा है!

नौगछिया पुलिस अधीक्षक अबतक प्रेस कांफ्रेंस क्यों नहीं किया है? ये सवाल यहां के नागरिक समाज, बुद्धिजीवी-छात्र-नौजवान, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्त्ता कर रहे हैं।

क्या रक्षक ही भक्षक बनता रहेगा। जदयू-भाजपा की सरकार पुलिस को खुली छूट दे दी है ? लोग-बाग हजारों तरह के सवाल कर रहे हैं।

सामाजिक न्याय आंदोलन, बिहार के संयोजक व बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन, बिहार के संरक्षक गौतम कुमार प्रीतम ने कहा कि नौगछिया पुलिस, दलाल और चाटुकार के इशारे पर काम करती है। सड़क पर अवैध वसूली से लेकर तमाम तरह के गलत काम करते रहते हैं। अब यह कमजोर निस्सहाय को पैर की जूती समझते हुए मार-मारकर जान ले रहा है। प्रीतम ने यह भी कहा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अविलंब इन सभी आरोपित पुलिस को निलंबित कर न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेजे, दूसरी मांग पीड़ित परिवार के बयान पर दफा 302 सहित एससी एक्ट व अन्य धारा लगाते हुए एफआईआर दर्ज हो,  तीसरी मांग दस लाख मुआवज़ा के साथ-साथ सभी भाई बहन-भाई की पढ़ई की गारंटी करे और चौथी मांग सुरक्षा की गारंटी सरकार करे।

कोरोना के इस कहर में जिले भर में पुलिस के इस दमन की घोर निंदा हो रही है।

विभूति रविदास के पिताजी का मुम्बई में रो-रोकर बुरा हाल है,पता नहीं उस बेचारे का क्या होगा?

पुलिस संध्या 5 बजे  में मायागंज अस्पताल शव को भेज दिया है, जहां पोस्टमार्टम होने के बाद आधी रात को अपने गांव गौरीपुर लौटता है सभी लोग नाराज है। ये खबर जंगल की आग के तरह फैल गई है। 

सुबह मृत शरीर को सड़क पर रख दिया लोग न्याय के लिए आवाज बुलंद करने लगे।

क्षेत्र के समाजसेवी पहुंच गए पुलिस-प्रशासन के लोग भी पहुंच गए। पीड़ित परिवार कई बार आक्रोशित हुए पर शांति प्रिय नेतागण संयमित होकर बने रहे। प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचलाधिकारी ने उपस्थित लोगों से बातचीत कर मांग पर चर्चा किया लेकिन वार्ता सफल नहीं हुई। उच्च और सक्षम अधिकारीगण आए। जिसमें एसडीएम, डीएसपी नौगछिया ने पीड़ित परिवार के पक्ष से सोशलिस्ट नेता गौतम कुमार प्रीतम, का. बिन्देश्वरी मंडल, राजद नेता मोइन राईन, सामाजिक कार्यकर्त्ता चंदन कुमार, नसीब रविदास, अजय रविदास, बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन, बिहार के दीपक पासवान, दीपक रविदास से वार्त हुई।

जिसमें मांग की गई कि आरोपी दरोगा हरिकिशोर सिंह सहित संलिप्त सभी पुलिस को हत्या का दफा 302 और 120 सहित एससी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कर स्पीडी ट्रायल चलाकर जल्द-से-जल्द सजा की गारंटी हो। 25लाख पीड़ित परिवार को लाभ मिले, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी की गारंटी हो, केश का अनुसंधान न्यायिक मजिस्ट्रेट या जिला मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में हो।

इधर दलित-बहुजन समाज सहित अन्य लोगों में पुलिस और सरकार के प्रति काफ़ी गुस्सा और नाराज़गी है। लोग कह रहे हैं पुलिस आदमखोर बन गयी है। 


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