समीक्षा : धमतरी नगर का सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक अनुशीलन
के. मुरारी दास
के. मुरारी दासइस शोध अध्ययन के दूसरे अध्याय में धमतरी शहर की भौगोलिक एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का परिचयात्मक विवरण तथा ग्रंथ के तीसरे अध्याय में मराठा कालीन,ब्रिटिश कालीन और सन 1881 के पश्चात नगर की स्थिति को उल्लेखित किया गया है.

शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय धमतरी में पदस्थ श्रीमती डॉ. हेमवती ठाकुर का शोध प्रबंध छत्तीसगढ़ के धमतरी नगर का सामाजिक,आर्थिक व सांस्कृतिक अनुशीलन पर अपनी समीक्षात्मक चर्चा करने का प्रयास करूंगा.
राष्ट्रीय इतिहास को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण कड़ी इसका क्षेत्रीय इतिहास होता है. ताकि इसके बिखरे हुए तथ्यों को एकत्रित कर अतीत के गर्भ में छिपे हुए रहस्यों को उजागर कर इस पर क्रमबद्ध एवं प्रमाणिक इतिहास लिखा जा सके. छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी महानदी के किनारे स्थित धमतरी ,प्राचीन संस्कृति व सभ्यता का केंद्र रहा है. सभ्यता के विकास से लेकर अद्यतन समय चक्र के अनुसार परिवर्तन के विविध आयामों को आत्मसात करते हुए 21वीं सदी में विकास पथ पर अग्रसर है.
अपनी संस्कृति,सामाजिक समरसता,आर्थिक समृद्धि एवं राजनीतिक जागरूकता जैसी विशिष्टताओं के कारण धमतरी शहर का देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी इसका शान रहा है.राजा धर्म देव के नाम पर पड़ा धर्मपुरी आगे चलकर धमतरी के रूप में स्थापित होता है. प्रो.श्रीमती हेमंवती ठाकुर के इस शोध प्रबंध में धमतरी नगर के विभिन्न पहलुओं पर बारीक से बारीक व पैनी लेखनी के माध्यम से विश्लेषण किया गया है.
धमतरी नगर के इतिहास एवं संस्कृति का क्रमबद्ध अध्ययन करते हुए प्रस्तुत शोध प्रबंधन को सात भागों में विभाजित किया गया है.
इस ग्रंथ के प्रथम अध्याय के अंतर्गत देश के हृदय स्थल में स्थित प्राचीन काल का कोसल,दक्षिण कोसल, महाकौशल अर्थात नवगठित छत्तीसगढ़ का भौगोलिक एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का उल्लेख मिलता है. जिसके अंतर्गत छत्तीसगढ़ के घने जंगल, पर्वत श्रृंखला तथा इसके मैदानी इलाकों में महानदी,शिवनाथ,सोंढूर,पैरी, हसदो व अरपा और जोंक नदी के उपजाऊ भू भाग तथा मराठा कालीन,ब्रिटिश कालीन व स्वातंत्र्योत्तर पूर्व राजाओं के उत्थान-पतन पर प्रकाश डाला गया है.
इस शोध अध्ययन के दूसरे अध्याय में धमतरी शहर की भौगोलिक एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का परिचयात्मक विवरण तथा ग्रंथ के तीसरे अध्याय में मराठा कालीन,ब्रिटिश कालीन और सन 1881 के पश्चात नगर की स्थिति को उल्लेखित किया गया है.
शोध अध्ययन के चतुर्थ सोपान में राजनीतिक, व राष्ट्रीय आंदोलनों की विभिन्न गतिविधियों पर प्रकाश डाला गया है. इसी तरह इस ग्रंथ के पंचम अध्याय में नगर के जनजातीय समाज ,नगरीय समाज एवं यहां के परंपरागत व्यवसायिक जातियों का जिक्र है. कृषि, वनोपज, उद्योग, व्यापार एवं यातायात साधनों का उल्लेख इसके षस्ठम अध्याय में दिया गया है.
इसके सप्तम व अंतिम अध्याय में धमतरी नगर का सांस्कृतिक झलक का दिग्दर्शन करवाया गया है. जैसे यहां की धार्मिक आस्थाएं, शिक्षा का विकास, तथा साहित्य व लोकजीवन एवं लोक परंपराओं की एक प्रकार से झांकी दिखाई पड़ती है.
इतिहास अध्ययन शाला पं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष डॉ रमेंद्रनाथ मिश्र के कुशल मार्गदर्शन और प्रोत्साहन से इस शोध कार्य को पूर्णता प्राप्त हुई है. उनके शोध ग्रंथ के अध्ययन से मुझे ऐसा लगता है कि यह ग्रंथ जो धमतरी नगर की संपूर्णता को समिता गया है मुझे नहीं लगता कि धमतरी शहर के बारे में किसी भी प्रकार की जानकारियां छूट पाई हो. निश्चित ही इस ग्रंथ के सृजन में जिसमें 5 से 7 वर्ष का समय अवश्य लगा होगा.ISBN क्रमांक प्राप्त इस ग्रंथ मैं डॉ श्रीमती हेमवती ठाकुर का यह प्रयास धमतरी व क्षेत्रीय इतिहास पर पकड़ रखने वाले प्रत्येक अध्ययनरत शोधार्थी छात्र छात्राओं के लिए यह ग्रंथ उपयोगी एवं सार्थक सिद्ध होगी. ऐसा मैं मानता हूं.
कृति - छत्तीसगढ़ के धमतरी नगर का सामाजिक आर्थिक एवं सांस्कृतिक अनुशीलन सन (1881 ई. से 2001 तक)
लेखिका-डॉ. हेमवती ठाकुर
प्रकाशक - वैभव प्रकाशन रायपुर
पृष्ठ संख्या - 471
मूल्य - 635 रूपये
समीक्षक - के. मुरारी दास
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