हैसटैग अब पता चलने दो का क्या मतलब?
द कोरस टीमआदिवासी क्षेत्रों में आज भी मासिक धर्म के समय महिलाओं को घर से बाहर अन्यत्र रहने के लिये मजबूर किया जाता है। इस बात पर कितनी सच्चाई है यह नहीं जानता लेकिन कई यह भी कहते हैं कि जो महिलाये मासिक धर्म से निवृत होती है वह अपने बालों को साफ कर खुले छोड़ देती है। मासिक धर्म में ही ऐसा करना समझ से परे है। आंध्रप्रदेश के कुछ निवासियों में देखा यह गया है कि उनमें जब मासिक धर्म की शुरूआत होती है समारोह का आयोजन करते हैं। मासिक धर्म के संबंध में ज्ञानवर्धक जानकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम में जोड़ते हुये अविभावक को अपने बच्चों को इस सम्बंध में खुल कर बताने की जरूरत है।और शासन प्रसाशन को भी इस विषय में जागरूकता अभियान चलानी चाहिये।

जानकारी के अनुसार एक बार यौवनावस्था शुरू होने पर, आपका पहला मासिक धर्म होना तय है। सब ठीक होगा—यह आपके मासिक चक्र का केवल एक हिस्सा है। लेकिन मासिक धर्म सबसे अधिक ध्यान आकर्षित करता है क्योंकि इसी समय आपके शरीर से खून प्रवाहित होता है।
आपका मासिक चक्र प्रत्येक महीने तब शुरू होता है जब आपका गर्भाशय रक्त युक्त झिल्ली की एक ताजा परत बनाता है। यह अंडे के निषेचित या फर्टिलाइज होने पर आपके शरीर द्वारा उसे समायोजित करने की तैयारी है।
अगला चरण है अण्डोत्सर्ग (ओव्यूलेशन), जब आपके एक अण्डाशय से एक अण्डा निकलता है और आपके गर्भाशय तक यात्रा करता है।
यदि अण्डे की आपके गर्भाशय तक की यात्रा के दौरान उसे एक शुक्राणु (स्पर्म) मिलता है और निषेचन होता है, तो आप गर्भवती हो जाती हैं। यदि ऐसा नहीं होता, तो आपका शरीर आपके गर्भाशय की रक्त युक्त झिल्ली जिसका उपयोग नहीं हुआ है उसको हटा देगा। यह आपका मासिक धर्म है।
आपका मासिक धर्म शुरू होता है और आपको 3 से 7 दिनों तक रक्तस्राव होता है। लेकिन चिंता न करें, आपके शरीर से केवल 20 से 60 मिलीलीटर रक्त बहेगा, आसान भाषा में- 4 से 12 छोटे चम्मच!
ये सभी चरण प्रत्येक महीने में तब तक एक दोहराव चक्र बनाते हैं जब तक आप गर्भवती नहीं हो जाती या जब तक आपकी रजोनिवृत्ति शुरू नहीं हो जाती। यह चरण एक महिला के आमतौर पर चालीसवें वर्ष में पहुँचने तक ज़ारी रहता है और यह व्यक्तिगत रूप से भिन्न हो सकता है, और यह किसी महिला के प्रजनन चक्र के अंत का प्रतीक है।
गरीब, बेघर महिलाएं कहती हैं कि हम माहवारी को बंद नहीं करा सकते, इस वक़्त हम फटे-पुराने कपड़ों, अख़बार या कागज से काम चलाते हैं। ऐसी महिलायें कहती हैं कि जहां दो टाइम का खाना मुश्किल से मिलता है और सडक़ किनारे रात बितानी हो वहां हर महीने सैनिटरी नैपकिन खरीदना उनके बस का नहीं?
महिलायें बताती है कि कपड़ा प्रयोग करने से दिक्कत तो बहुत होती है लेकिन क्या करें...ऐसे ही चल रहा है। हमारा चमड़ा छिल जाता है और दाने हो जाते हैं, तकलीफ़ें बहुत हैं और पैसों का अता-पता नहीं।
यह भी कहा जाता है कि गरीब औरतें पीरियड्स के दौरान राख, अख़बार की कतरनें और रेत का इस्तेमाल करने के सिवाय और कोई विकल्प नहीं है। ये सेहत के लिए कितना ख़तरनाक है, बताने की ज़रूरत नहीं है।
नेशनल फ़ैमिली हेल्थ सर्वे (2015'6) की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में 48.5 प्रतिशत महिलाएं सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं जबकि शहरों में 77.5 प्रतिशत महिलाएं. कुल मिलाकर देखा जाए तो 57.6 प्रतिशत महिलाएं इनका इस्तेमाल करती हैं।
गरीब महिलाएं हर महीने सैनिटरी नैपकिन के लिए सैकड़ों रुपये खर्च नहीं कर सकतीं. ऐसे में उन्हें फटे-पुराने और गंदे कपड़ों से काम चलाना पड़ाता है। उनके लिए मासिक धर्म का वक्त बेहद मुश्किल होता है. वो तमाम तरह के संक्रमणों का शिकार हो जाती हैं और ऐसे ही जीने पर मजबूर हैं।
आदिवासी क्षेत्रों में आज भी मासिक धर्म के समय महिलाओं को घर से बाहर अन्यत्र रहने के लिये मजबूर किया जाता है। इस बात पर कितनी सच्चाई है यह नहीं जानता लेकिन कई यह भी कहते हैं कि जो महिलाये मासिक धर्म से निवृत होती है वह अपने बालों को साफ कर खुले छोड़ देती है। मासिक धर्म में ही ऐसा करना समझ से परे है। आंध्रप्रदेश के कुछ निवासियों में देखा यह गया है कि उनमें जब मासिक धर्म की शुरूआत होती है समारोह का आयोजन करते हैं। मासिक धर्म के संबंध में ज्ञानवर्धक जानकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम में जोड़ते हुये अविभावक को अपने बच्चों को इस सम्बंध में खुल कर बताने की जरूरत है।और शासन प्रसाशन को भी इस विषय में जागरूकता अभियान चलानी चाहिये।
मासिक धर्म में सेनेटरी पेड का उपयोग सबसे अच्छा है। अक्सर महिलाओं को देखा गया है कि वह मासिक धर्म के कपड़ों को लोगों के नजरों से छुपाकर रखती है उन्हें इसे सूर्य की रोशनी में सुखाना चाहिए। डॉक्टरों का कहना है कि आप सूती कपड़े धोकर, सूखाकर उसके बाद प्रेस कर इसे उपयोग में ला सकते हैं। कुल मिलाकर स्वच्छता का ध्यान रख पेड और कपड़ों का उपयोग करना चाहिए। गरीब महिलाओं के लिये मुफ्त में पेड मुहैया करना चाहिए।
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