फूल खिलते रहेंगे दुनिया में 

पीयूष कुमार

 

पहली तस्वीर में नीली टीशर्ट में दिख रहे हैं, शाहनवाज शेख, मुम्बई से। पिछले साल मुम्बई में कोविड के कहर में इनके दोस्त की बहन हॉस्पिटल के सामने ऑटो में ही दम तोड़ गयी थी ऑक्सीजन सिलिंडर नहीं मिलने के कारण। इन्होंने अपनी महंगी कार बेच दी और 100 सिलिंडरों के साथ कोविड जरूरतमंदों को सेवा देनी शुरू की और अब भी जरूरतमन्दों को ऑक्सीजन सिलिंडर सप्लाई कर रहे हैं। इन्हें 'ऑक्सीजन मैन' कहा जाता है। मुम्बई में किसी को ऑक्सीजन की जरूरत हो तो इनके कॉन्टेक्ट नम्बर 9892012132 पर कॉल कीजिये। नम्बर कन्फर्म है।

दूसरी तस्वीर है राहुल की। मेरा पढ़ाया स्टूडेंट है। स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत है। अभी जिला कोविड केंद्र, बलरामपुर, छत्तीसगढ़ में कोविड पीड़ितों को पिछले साल भर से दवाइयां दे रहा है। इसने अब तक हजार से ज्यादा कोविड पीड़ितों को दवाइयां दी हैं और वे सब ठीक हो चुके हैं। राहुल ने कल मुझे फोन किया हालचाल जानने के लिए और बताया कि स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार काम करता हूँ पर पीड़ित का मेडिकल बैकग्राउंड तफसील से देखकर दवा और बाकी सलाह देता हूँ। सालभर के अनुभव ने इसे पारखी बना दिया है कि कोविड से दवा और अन्य तरीकों से कैसे लड़ा जा सकता है।

दुर्ग, छत्तीसगढ़ के युवा ऋषि की जो प्लाज्मा डोनेट करने खुद सामने आये। मैंने आज ऋषि के दिये नम्बर पर बात की। उन्होंने बताया कि रायपुर में अभी ही प्लाज्मा देकर आ रहे है और 15 दिन बाद फिर से प्लाज्मा दे सकते हैं। ऋषि एक पीएचडी (इकोनॉमिक्स) स्टूडेंट हैं। ऋषि ने बताया कि अपने जैसे कुछ को जोड़कर आगे यह काम जारी रखना चाहते हैं। फोन पर ऋषि की आवाज और जज्बे से लगा, युवा ऐसे ही होने चाहिए।

आगे भी बातचीत होती रहे, इसलिए हम दोनों ने एक दूसरे का नम्बर सेव कर लिया है। चौथे चित्र में सत्याग्रह कोविड 19 हेल्पलाइन के नम्बर्स हैं। कल मैनें छत्तीसगढ़ के लिए निर्धारित नम्बर पर कॉल किया तो अनंत नाम के युवा ने फोन उठाया। उन्होंने बताया कि कुछ युवाओं के समूह ने देशभर में अपनी सेवा देने के लिए यह ग्रुप बनाया है और हम काम कर रहे हैं इसलिए हर स्टेट के अलग नम्बर हमने दिए हैं। अनंत की आवाज में आत्मविश्वास और जिम्मेदारी झलक रही थी। आपमें किसी को किसी तरह की मदद चाहिए तो सत्याग्रह कोविड 19 में राज्यवार दिए नम्बर पर बात कर सकते हैं।

भारत  60 करोड़ युवाओं का देश है, उनमें से उदाहरण स्वरूप यह चार हैं जिनसे मैनें बात भी की है। इनके अलावा तमाम लोग अपने स्तर पर अपने ढंग से सहायता कर रहे हैं उनकी, जिन्हें वे न जानते हैं न कभी शायद उनसे कोई संपर्क हो। यह एका, यह जज्बा बेहतर समाज का प्राण है। यह हर विपत्ति में बना रहेगा, पूरी उम्मीद है।


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