झारखंड : लाॅकडाउन के दौरान दारोगा द्वारा आम आदमी को पीटना पड़ा मंहगा

रूपेश कुमार सिंह, स्वतंत्र पत्रकार

 

मालूम हो कि 4 मई, 2020 की रात्रि 11 बजे मनोज मोदी अपनी मोटरसाईकिल से स्थानीय आर्यन अस्पताल से घर जा रहे थे। आर्यन अस्पताल में इनकी पत्नी को आपरेशन के जरिए बच्ची पैदा हुआ था।

जब ये तिलैया थाना के गेट के पास पहुंचे, तो सिविल ड्रेस में वहां पर मौजूद नशे में धुत्त दारोगा अखिलेश कुमार सिंह ने उन्हें रोक दिया और पूछताछ करने लगा। विदित हो कि उस समय पूरे देश में लाॅकडाउन लगा हुआ था।

मनोज मोदी ने दारोगा को अस्पताल से आने के बारे में बताया, तो दारोगा अस्पताल का पर्ची दिखाने बोले। मनोज के पास अस्पताल का पर्ची नहीं था, इसलिए उन्होंने अस्पताल से पता करने के लिए दारोगा को बोल दिया। इतना बोलना था कि दारोगा ने मनोज को पीटना शुरू कर दिया।

मनोज की काफी पिटाई की गयी और मोटरसाइकिल भी थाना में रखवा लिया। बाद में जब मनोज पैदल ही अपने घर की ओर जाने लगे, तो रास्ते में उनका बेटा मिला।

जब बेटे को पूरा माजरा पता चला, तब उन्होंने काफी लोगों को फोनकर जमा किया और थाने पहुंचा, लेकिन फिर नशे में धुत्त दारोगा ने सबको भगा दिया।

यह खबर उस समय 6 मई को सभी अखबारों ने प्रमुखता से छापा था। ‘दैनिक भास्कर’ में छपी खबर को आधार बनाकर 6 मई को ही मानवाधिकार कार्यकर्ता ओंकार विश्वकर्मा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत कर दी।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए कोडरमा एसपी को पत्र भेजा।

कोडरमा एसपी ने कोडरमा के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी से मामले की जांच करायी, जिसमें पीड़ित मनोज मोदी द्वारा लगाये गये आरोप को सही पाया गया।

कोडरमा एसपी ने तुरंत ही दारोगा को निलंबित कर दिया था व विभागीय जांच की कार्रवाई भी शुरू की गई थी।


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