कोरोना वॉरियर में शामिल ओमप्रकाश चौहान

मनोज व्यास

 

क्योंकि सालभर से मेडिकल कालेज में  यही तो सैम्पल की जांच कर बता रहे थे कि कोरोना पॉजिटिव है या नेगेटिव। 

सोचिए जब रायपुर में पहला केस आया, तब डर के कारण शहर में कर्फ्यू जैसा सन्नाटा हो गया था और ये अपनी जान दांव पर लगाकर टेस्ट कर रहे थे। उसी वायरस का पता लगा रहे थे, जिससे हमें दो गज की दूरी रखने कहा जा रहा है। जान दांव पर थी ही और 17 अप्रैल को चली गई। ओपी 14 अप्रैल को पॉजिटिव आया और अम्बेडकर अस्पताल में मौत हो गई।

लेकिन विडंबना देखिए हमारी जान की सलामती के लिए अपनी जान जोखिम में डालने वाले ओपी के घरवालों को वॉरियर के घरवालों का तमगा मिलने के बजाय पिछ्ले तीन माह के बचे वेतन के लिए भटकना पड़ रहा है, क्योंकि ओपी दैनिक वेतनभोगी था। इसलिए 20 लाख का सरकारी बीमा भी नहीं। 

ओपी या उसके जैसे तमाम वॉरियर किन परिस्थितियों में काम कर रहे थे, या सरकार ने अपने वादे के मुताबिक दैनिक वेतन भोगी और संविदा को परमानेंट क्यों नहीं किया, इन सवालों के बजाय फिलहाल मुख्यमंत्री  Bhupesh Baghel  और स्वास्थ्य मंत्री Tribhuwaneshwar Saran Singh Deo  से गुजारिश कि ऐसे वॉरियर के लिए भी आर्थिक मदद और बीमे की व्यवस्था करें जो हाई रिस्क जोन में काम कर रहे हैं।

फिलहाल वेतन और कोई आर्थिक मदद पहुंचा सकें तो परिवार को बड़ी राहत होगी।

विपक्ष के नेताओं Dr Raman Singh Dharamlal Kaushik Brijmohan Agrawal Ajay Chandrakar आदि से भी आग्रह कि वे ओपी और उसके जैसे सैकड़ों वॉरियर के लिए पहल करें।
Manoj Vyas की पोस्ट


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