डॉक्टर ने दी कुछ जरूरी हिदायत
सभी आम नागरिकों के नाम पाती
डॉ. के. बी. बंसोड़े, अतिरिक्त वरिष्ठ चिकित्साधिकारीलोग बिना अधिक जानकारी खुद मेडिकल स्टोर्स से दवा लेकर खा रहे हैं। जिसका नुकसान अब यह हो रहा है कि बीमारी के बढ़ने के बाद आगे के उपचार के लिये उन्हें अस्पताल में भी सम्हालना मुश्किल हो रहा है।जिसे चिकित्सकीय भाषा में ड्रग डिपेंडेंस/ड्रग इन्टॉलरन्स/ड्रग रेसिस्टेन्स कहा जाता है।

प्रिय साथियों,
कुछ बातों का ध्यान रखें
1 किसी भी स्तिथि में अपने बॉडी टेम्परेचर को नॉर्मल मेंटेन रखें । अनेक प्रकार के बैक्टीरियल, वाईरल एवम पैरासाइटिक इंफेक्शन में बुखार आता है।
अक्सर बुखार की दवा जैसे पैरासिटामोल वगैरह से बुखार उतर जाता है। लेकिन कई बार इंफेक्शन की तीव्रता के कारण बुखार नही उतर पाता है। तब हमें बुखार को बाहरी जतन/उपाय से बुखार कम करना जरूरी होता है। इसलिये यदि बुखार 100°f से अधिक हो तो, पूरे शरीर के कपड़े हटाकर मरीज को किसी गीले कपड़े से तब तक पोछते रहें, जब तक कि बुखार 100°f तक ना आ जाये।
इससे शरीर की आंतरिक क्रिया गड़बड़ नही होती है। प्रमुख रूप से डिहाइड्रेशन (शरीर का पानी कम हो जाना), तथा अनेक तत्व जैसे सोडियम, पोटेशियम, इत्यादि अनेक तत्व जिसकी शरीर की आंतरिक कार्य प्रणाली में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका होती है, वह सामान्य तथा स्थिर रहती है। उन तत्वों की कमीं या अधिकता भी नुकसान पहुंचाती है। जिसे मेडिकल टर्मिनोलॉजी में इलेक्ट्रोलाइट इमबेलेन्स कहते है, उससे बचा जा सकता है।
2 गर्मी के कारण हमारे शरीर का पानी कम हो जाता है, इसके लिये चौबीस घंटे सामान्य स्तिथि में ज्यादा से ज्यादा पानी या अन्य तरल पदार्थ जैसे मट्ठा, लस्सी फलों का रस इत्यादि पीना चाहिये। इस क्राइसिस के समय जब गले का इंफेक्शन होने की जरा भी सम्भावना है तब कोल्ड ड्रिंक्स या आइसक्रीम जैसी अत्यधिक ठंडी वस्तुओं के सेवन से बचना चाहिये।
3 चूंकि अभी कोरोना बीमारी अत्यधिक प्रचलन में है इसलिये घर पर ही पकाया खाना बेहतर होगा। होटल/ ढाबे/नुक्कड़ के ठेले वाली वस्तुओं या किसी सार्वजनिक स्थलों में यानी शादी ब्याह में पकाये खाने को ना खायें।
कारण यह है कि जितनी साफ सफाई से हम अपने घर पर खुद ही कोई खाना खाते हैं, तो उसके कारण हमारा पाचन तंत्र ठीक से कम करता है। बाहर के वस्तुओं से पाचन तंत्र के खराब होने की संभावना होती है। पाचन तंत्र की गड़बड़ी के कारण भी हमारे शरीर में आवश्यक न्यूट्रिएंट्स की कमी हो जाती है। जो हमारे शरीर की समस्त प्रतिरोधक क्षमता को कम कर सकती है।
4 किसी भी बीमारी का उपचार खुद करने का एक व्यापक प्रचलन हमारे देश में हजारों सालों से है। इसी कारण लोग बिना चिकित्सक की सलाह से किसी भी मेडिकल स्टोर्स से दवा खरीद कर खाते हैं। जो मूलतः गलत है।
दवा बेचने वाला मात्र फार्मासिस्ट होता, जिसे दवा की ही मात्र जानकारी होती है।
जबकि बीमारी के उदगम से लेकर उसके सम्पूर्ण विस्तार की विस्तृत जानकारी चिकित्सक को होती है।
इसलिये मेरा कहना है कि कोई भी दवा बिना किसी चिकित्सक के सलाह ना खरीदें।
वर्तमान समय में यही गड़बड़ी हो रही है। लोग बिना अधिक जानकारी खुद मेडिकल स्टोर्स से दवा लेकर खा रहे हैं। जिसका नुकसान अब यह हो रहा है कि बीमारी के बढ़ने के बाद आगे के उपचार के लिये उन्हें अस्पताल में भी सम्हालना मुश्किल हो रहा है।जिसे चिकित्सकीय भाषा में ड्रग डिपेंडेंस/ड्रग इन्टॉलरन्स/ड्रग रेसिस्टेन्स कहा जाता है।
4 कभी भी किसी एक चिकित्सक से ही अपना उपचार करवायें। एक साथ अनेक चिकित्सक की सलाह से आप मुश्किल तथा भ्रमित होकर अपना नुकसान कर सकते हैं।
इसलिये होमिओपेथी/आयुर्वेद या एलोपैथी की खिचड़ी मत पकाईये।
इसे हम मिक्सोपेथी कहते हैं, जो नुकसानदेय है। सभी थेरेपी अलग अलग है, तथा सभी थेरेपी की दवाओं से यदि फायदा होता है, तो नुकसान की संभावना भी होती है। यानी सभी थेरेपी की दवा का एक्शन तथा रियेक्शन होना स्वाभाविक होता है। अतः यह गड़बड़ ना करें।
यह सब एक सामान्य जानकारी है जिसे हमें प्राथमिक उपचार पद्धति के अनुसार देखना चाहिये।
धन्यवाद
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