आम्बेडकर जयंती के अवसर पर सविंधान बचाओ और किसान बहुजन एकता दिवस मनाया जाएगा
14 अप्रैल आम्बेडकर जयंती पर संयुक्त किसान मोर्चा ने अपील की है कि इस दिन वैशाखी व खालसा पंथ का स्थापना दिवस को संयुक्त रूप से मनाया जाएगा दिल्ली की सीमाओं पर इस अवसर पर किसान बहुजन एकता को मजबूत करने की कोशिश की जाएगी। खेती के तीन कानून व बिजली बिल 2020 को वापस कराने के लिए संघर्ष में एकताबद्ध होने देशवासियों से आह्वान किया गया है।

देशभर के किसानो के धरनास्थलों पर आंदोलन के 137 वें दिन अर्थात आज 12 अप्रैल को सयुंक्त किसान मोर्चा ने आह्वान पर देशभर के किसानो के धरनास्थलों पर 14 अप्रैल को आम्बेडकर जयंती के अवसर पर सविंधान बचाओ दिवस और किसान बहुजन एकता दिवस मनाया जाएगा।
इस दिन देशभर के दलितों आदिवासियों व बहुजनो को दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के धरनों में शामिल होने का भी आह्वान किया जाता है। बहुजन समाज के अनेक नुमाइंदे 14 अप्रैल को सिंघु, टिकरी, गाज़ीपुर व अन्य बोर्डर्स पर पहुंचकर किसानों को समर्थन देंगे।
डॉ भीमराव आम्बेडकर देश के शोषित, उत्पीड़ित लोगों की आजादी के सपनो के नायक थे। हम उन्हें संविधान निर्माता के रूप में जानते हैं, जिस संविधान में आजादी के दिये गये कई मौलिक अधिकारों पर आज आरएसएस-भाजपा की मोदी सरकार तीखे व क्रूर हमले कर रही है।
आज, जब बेरोजगारी बेइंतहा तेजी से बढ़ रही है और खेती में घाटा व कर्जदारी बढ़ रही है, तब इसके चलते खेती से जुड़े लोगों पर सकंट बढ़ता जा रहा है।
खेती के लिए बनाए गये ये तीन कानून और बिजली बिल 2020 भी मोदी सरकार के गरीब विरोधी नीतियों में अगला कदम है। आज ये कानून दोनों जमीन वाले व बिना जमीन वाले किसानों के लिए खतरा बन गए हैं।
खेती का यह नया प्रारूफ़ बटाईदार किसानों के लिए और भी घातक है क्योंकि खेती को लाभकारी बनाने के लिए कम्पनियां बड़े पैमाने पर इसमें मशीनों का प्रयोग कराएंगी और बटाईदारों का काम पूरा छिन जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता डॉ दर्शन पाल ने बताया कि बटाईदारों की बड़ी संख्या बहुजन समाज से आती है। देश के मेहतनकशों के लिए एक उत्साह की बात है कि जमीन वाले किसान और इनके संगठन, इन कानूनों को रद्द कराने के लिए लड़ रहे हैं।
इससे पहले कल खालसा पंथ के स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान इस कार्यक्रम को पूरे पारंपरिक ढंग से मनाएंगे।
किसानों मजदूरों व सामाजिक न्याय के लिए लंबे समय से संघर्षशील खालसा पंथ पर सिंघु बॉर्डर पर भी कार्यक्रम होंगे। टिकरी बॉर्डर पर भी "कैलिफोर्निया पिंड" में वैशाखी के सांस्कृतिक, खेल व अन्य पारंपरिक कार्यक्रम होंगे।
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