माओवादियों ने बंधक जवान राकेश्वर सिंह को किया रिहा
द कोरस टीमछत्तीसगढ़ के बीजापुर में माओवादियों और सुरक्षाबलों के बीच हुई मुठभेड़ के बाद कोबरा बटालियन के जवान राकेश्वर सिंह मन्हास को माओवादियों ने आज उन्हें रिहा कर दिया है। रूखमणि सेवा संस्थान के प्रमुख पद्मश्री धर्मपाल सैनी की उपस्थिति में नि:शर्त माओवादियों ने जवान को रिहा किया। बताया जा रहा है जवान तर्रम से बासागुड़ा पहुंच गये हैं। धर्मपाल सैनी, गोंडवाना समाज के अध्यक्ष तेलम बोरैया समेत सैकड़ों ग्रामीणों की मौजूदगी में माओवादियों ने जवान को रिहा किया है।

माओवादियों ने इससे पहले राकेश्वर सिंह मन्हास की तस्वीर सोशल मीडिया पर जारी की थी। इसके अलावा एक प्रेस नोट भी जारी किया था। छत्तीसगढ़ के सुकमा-बीजापुर में शनिवार 3 अप्रैल को हुई मुठभेड में 22 जवान शहीद हो गए जबकि 4 नक्सलियों को भी मार गिराया गया था।
वहीं इस मुठभेड़ के दौरान माओवादियों ने सेना के जवान राकेश्वर सिंह मनहास को अगवा कर लिया गया था। नक्सलियों ने अब उसकी तस्वीर भी जारी की थी। राकेश्वर सिंह की 5 वर्षीय बेटी समेत परिजनों ने माओवादियों से उनकी रिहाई की अपील की थी।
हालांकि माओवादियों ने राकेश्वर सिंह की तस्वीर जारी की तो परिजनों की उम्मीद और बढ़ गई। अब उनकी वापसी की खबर है। इससे पहले माओवादियों ने प्रेस नोट जारी कर लिखा था कि 3 अप्रैल को बस्तर आईजी सुंदरराज पी के नेतृत्व में सुकमा, बीजापुर जिले के गांवों पर भारी हमला करने के लिए 200 पुलिस बल आ गए।
अगस्त 2020 में अमित शाह के नेतृत्व में दिल्ली में एक बैठक में इस सैनिक अभियान की योजना बनी थी। उसके बाद रायपुर केंद्र बनाकर काम करने वाले विजय कुमार के नेतृत्व में अक्टूबर महीने में पांच राज्यों के पुलिस अधिकारियों के सात तेलंगाना-वेंकटीपुरम में इस सैनिक अभियान की जमीनी स्तर पर योजना बनायी गई।
बस्तर आईजी सुंदरराज पी को इस सैनिक अभियान का प्रभारी बनाया गया। केंद्र सरकार के इस अभियान की कार्रवाई के लिए विशेष अधिकारी के रूप में अशोक जुनेजा (डीजीपी) को नियुक्त किया गया है।
माओवादियों की ओर से दावा किया गया कि नवंबर 2020 में शुरु हुए इस सैनिक अभियान में 150 से ऊपर ग्रामीण जनता की हत्या की गई। इसमें उनके पार्टी के कुछ नेता और कार्यकर्ता भी शामिल थे। हजारों को जेल में डाल दिया। महिलाओं पर अत्याचार करके हत्या की है। जनता की संपत्ति को लूट लिया है।
एक तरफ इस हत्याकांड को बढ़ाते हुए, दूसरी तरफ पुलिस कैम्प निर्माण, कैम्प अनुसंधान करने वाले सडक़ बना रहे हैं। इसी को विकास का नाम देकर झूठा प्रचार कर रहे हैं। जनकल्याण के लिए चल रहे स्कूल और हॉस्पिटल को अभियान में ध्वस्त कर रहे हैं। दूसरी ओर झूठा प्रचार कर रहे हैं कि माओवादी विकास विरोधी हैं। पुलिस कैम्प और सरकार के खिलाफ हजारों की संख्या में बड़े आंदोलन हो रहे हैं। स्कूल और अस्पताल मांग रहे हैं।
पुलिस कैम्प को हटाने की मांग कर रहे हैं। प्रेस नोट में आगे लिखा था, साम्राज्यवाद अनुकूल और जनविरोदी फासीवादी मोदी का 2000 पुलिस बल 3 अप्रैल की तारीख में एक बड़ा हमला करने के लिए जीरागुड़ेम गांव के पास आया। इसको रोकने के लिए पीएलजीए ने प्रतिहमला किया है। इस वीरतापूर्वक प्रतिहमले में 24 पुलिसवाले मर गए, 31 घायल हुए।
एक पुलिसकर्मी बंदी के रुप में हमको मिला और बाकि पुलिस वाले भाग गए। इस घटना से पहले जीरागुड़ेम गांव का माड़वी सुक्काल को पकडक़र उसकी हत्या की और झूठ बोल रहे हैं कि एक माओवादी फायरिंग में मारा गया।
रूखमणि सेवा संस्थान के प्रमुख पद्मश्री धर्मपाल सैनी की उपस्थिति में नि:शर्त माओवादियों ने जवान को रिहा किया। बताया जा रहा है जवान तर्रम से बासागुड़ा पहुंच गये हैं। धर्मपाल सैनी, गोंडवाना समाज के अध्यक्ष तेलम बोरैया समेत सैकड़ों ग्रामीणों की मौजूदगी में माओवादियों ने जवान को रिहा किया है।
रिहाई के बाद मध्यस्थता करने गई टीम जवान को लेकर बासागुड़ा लौट रही है। जवान की रिहाई के लिए मध्यस्ता कराने गयी टीम के साथ बस्तर के 7 पत्रकारों की टीम भी मौजूद थी ।
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