नक्सलियों के साथ मुठभेड़, कई सुरक्षा जवानों की मौत
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के नक्सल प्रभावित तरम थाना क्षेत्र के जोनागुडा के जंगल में शनिवार दोपहर सुरक्षाबलों व नक्सलियों के बीच मुठभेड़ में पांच जवान मारे गये हैं। 28 जवानों के घायल होने की खबर है। सूत्रों के मुताबिक शहीद व घायल जवानों की संख्या बढ़ सकती है। घायल जवानों को बीजापुर जिला अस्पताल लाया गया जबकि गभीर घायल जवानों को इलाज के लिए हेलीकॉप्टर से रायपुर ले जाया गया है।

घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुये आंबेडकराईट पार्टी ऑफ इंडिया के प्रदेश सचिव बीपीएस पोया ने वर्तमान बीजापुर सुकमा बॉर्डर पर हुए हमले को लेकर कांग्रेस सरकार के नीतियों पर निशाना साधा है और कहा है कि सरकार के पास छत्तीसगढ़वासियों को सुरक्षा देने के लिए एक भी विशेष नीति अभिवचन नहीं है जो छत्तीसगढ़वासियों को सुरक्षित कर सकें।
पोया ने बताया कि मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद कांग्रेस की सरकार आई उसके बाद लगातार 15 वर्ष बीजेपी सरकार ने राज किया और 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में नक्सली समस्या का समाधान करने का वादा किया था। कांग्रेस पूर्ण बहुमत से अपनी सरकार बनाने के बाद भी अपने वादे नहीं निभा पा रही है।
लगातार छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले होते आ रहे हैं और सैकड़ों जानें चली गई। पुलिस को मेडल मिला और नक्सलियों के सेरेंडर से सहायता राशि प्राप्त हुई। नक्सली हमला क्यों होता है इसका कारण कभी जानने का प्रयास नहीं किये नक्सली हमले कौन-कौन से क्षेत्र में है, नक्सली हमला क्यों? नक्सलियों का क्या है लक्ष्य?
नक्सलियों को संचालन करने के पीछे किसका हाथ? सरकार प्रशासन इन पर एक्शन करने पर चुप्पी क्यों? तमाम ऐसे सवाल हैं जो नागरिकों के मन में उठे रहे हैं इसका जवाब सरकार से पूछना चाहता हूं।
➡️ मुख्यमंत्री श्री बघेल ने नक्सली हिंसा की घटना में जवानों की शहादत पर गहरा दुख प्रकट किया
— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) April 3, 2021
➡️ नक्सली हिंसा की घटना की कड़ी निंदा की
➡️ घायल जवानों को बेहतर इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने के दिए निर्देश
अभी तक देखा गया है कि जिन क्षेत्रों में खनिज संपदा, वन संपदा, जलसंपदा से परिपूर्ण है वह क्षेत्र अनुसूचित क्षेत्र के अंतर्गत आता है। जहां लगभग 90 प्रतिशत आदिवासी मूलनिवासी पिछड़ी जनजाति के लोग निवासरत हैं जो अपने जल जंगल जमीन और संस्कृति को बचाने, प्रकृति संतुलन को बनाए रखने, जीवन यापन कर रहे उन लोगों को स्वतंत्र रूप से जीने का अधिकार नहीं है।
सरकार द्वारा अनुसूचित क्षेत्रों में बहुत सारे स्पेशल पुलिस फोर्स बटालियन लगाकर नागरिकों को डराया जाता उनके साथ बलात्कार, टॉर्चर, फर्जी नक्सली कर उन्हें एकाउंटर भी कर दिया जाता है।
पोया कहते हैं कि वहां के लोगों को शैक्षणिक सामाजिक आर्थिक सांस्कृतिक रूप से कमजोर करना चाहती है जिससे वे अपने हक अधिकार की लड़ाई आंदोलन ना लड़ सकें। मैंने सरकार की जो रिपोर्ट देखी है उसमें अधिकांश पुलिस (सुरक्षा बल) वाले भी आदिवासी मूलनिवासी हैं और मारे जाने वाले नक्सली भी आदिवासी है।
जब भी नक्सली हमला या पुलिस एक्शन लेती है तो जाने सिर्फ और सिर्फ छत्तीसगढ़ के आदिवासी मूलनिवासी युवाओं की जाती है इसलिए मैं कहता हूं जान पुलिस (सुरक्षा बलों) की हो या नक्सलियों की या फिर आम नागरिकों की ही जान क्यों ना हो सबको प्रकृति में जीने का अधिकार है।
राजधानी के रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल पहुंचकर आज बीजापुर में हुए नक्सली मुठभेड़ में घायल जवानों का कुशलक्षेम जाना और डॉक्टरों को बेहतर ईलाज के निर्देश दिए।
— Tamradhwaj Sahu (@tamradhwajsahu0) April 3, 2021
हमलें में घायल एवं शहीद हुए पराक्रमी जवानों की बहादुरी को मैं सलाम करता हूँ।
शहीद हुए जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। pic.twitter.com/hQKyZR4yhw
पोया सरकार से कहते हैं कि इस मामले पर स्पेशल टीम गठित करें और नक्सली जैसे बड़ी समस्या पर समाधान निकालें समाधान निकालने का 5 बड़े उपाय है जिसे सरकार को अपनाना चाहिए। आपस में एक दूसरे से बात करना होगा।
नक्सली हमला को लेकर स्पेशल कानून बनाना होगा। अनुसूचित क्षेत्रवासियों को उनके जल, जंगल तथा जमीन का मालिकाना हक देना होगा, आदिवासियों के जमीन में अगर माइनिंग होता है तो शेयर होल्डर बनाना होगा।
प्रभावित क्षेत्र के डेवलपमेंट के लिए विकास कार्य करने होंगे क्षेत्र में शिक्षा को लेकर बड़ी जनजागृति करने की जरूरत है। सरकार को पहल करनी होगी और निर्णायक कदम उठाकर छत्तीसगढ़ में रहने वाले अंतिम छोर के गांवो, जंगलों पहाड़ों तक रहने वाले लोगों का संपूर्ण विकास करना होगा। सरकार इन समस्या को जल्द से जल्द समाधान करें जल, जंगल तथा जमीन और संस्कृति और संविधान को बचाना है।
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