अंबाराम : 2200 साल पुरानी बौद्ध विरासत
अंबाराम - अखनूर- जम्मू से लौटते हुये
विश्वास मेश्रामतांबे के बरतन के भीतर चांदी का बरतन था और उसके भीतर स्वर्ण पात्र में रखी गई थी तथागत बुद्ध की दंतधातु।

29 मार्च 2021/ यहां बुद्ध की दंतधातु सुरक्षित रखी गई थी।
व्हेनसांग के अनुसार एशिया का बहुत बड़ा शिक्षा का केंद्र था अंबाराम।
आठ अरिय सच्च बताती है धम्मचक्र की आठ स्पोक वाली पट्टियां।
चनाब उर्फ अस्किनी उर्फ चन्द्रभागा नदी के दाहिनी तट पर स्थित है यह ऐतिहासिक बौद्ध विरासत स्थल।
यहां आने के लिए बस अथवा ट्रेन अथवा प्लेन से जम्मू पहुंचे। वहां सावित्रीबाई फुले हायरसेकंडरी स्कूल अथवा गुरु रविदास गुरुद्वारा अथवा किसी होटल में रुक सकते हैं। यहां से 30 किलोमीटर दूर अखनूर जाने के लिए बस या टेक्सी मिल जाती हैं। अखनूर के ठीक पहले चनाब नदी का पुल पार करते ही अंबाराम बौद्ध विरासत स्थल है।
अखनूर चौक पर, जहां बसे रुकती हैं वहां पर बिल्कुल नजदीक ही 50 कदम पर गुरु रैदास जी का बहुत सुंदर गुरुद्वारा है। वहां जाकर आप सहयोग प्राप्त कर सकते हैं।
छत्तीसगढ़ में जिस तरह सिरपुर की बौद्ध विरासत को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हो रही है भविष्य में इसी तरह अंबाराम का यह प्राचीन बुद्ध विहार और शिक्षा केंद्र भी अंतरराष्ट्रीय ख्याति अर्जित करेगा।
हमें अपने जीवन में कम से कम एक बार अंबाराम की इस प्राचीन बौद्ध विरासत को जरूर देखना, जानना और इस पर खोज तथा अध्ययन करना चाहिए।
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02/04/2021
PARMAL SINGH
I suggest that at all places related to Buddha ,Buddhists should develop residential area and start living there.And ceremonies should be organised on the occasion of Buddha Poornima, and other incidents like his pavajja , start of Dhamma Deshna,etc.
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