मूलनिवासियों के अस्मिता के प्रतीक रामकृष्ण जांगड़े हमारे बीच नहीं रहे
अधिवक्ता रामकृष्ण जागड़े का आकस्मिक निधन हम सबके लिए बहुत स्तब्धकारी और दुखद है
छत्तीसगढ़ के सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता रामकृष्ण जागड़े का आकस्मिक निधन हम सबके लिए बहुत स्तब्धकारी और दुखद है. वह समाज के उत्पीड़ित वर्गों और समुदायों के हित के लिए निरंतर सक्रिय रहे. इसके लिए सिर्फ सरकारी दफ्तरों या अदालतों में ही आवाज नही उठाई, जरूरत पड़ी तो सड़क पर आकर उन्होंने संघर्ष भी किया.

छत्तीसगढ़ प्रदेश में बहुजन आंदोलन के प्रतीक और मूल निवासियों की अस्मिता की आवाज माने जाने वाले पिछड़े, दलित, शोषित व अल्पसंख्यकों के हितों की लड़ाई लड़ने वाला जाना माना सामाजिक क्रांति का योद्धा एडवोकेट रामकृष्ण जांगड़े जी हमारे बीच नहीं रहे वो 56 साल के थे। कोविड 19 से संक्रमित हो जाने के कारण पहले उन्हें रायपुर के मेकाहारा में व बाद में एम्स में इलाज के लिए भर्ती कराया गया जहां वो ज़िन्दगी की जंग हार गए। उन्होंने दिनांक 25 मार्च 2021 की दोपहर लगभग 1 बजे अंतिम सांस ली।
इस दुखद खबर से प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई और समूचा बहुजन समाज स्तब्ध है। उनका जन्म 1 अप्रैल 1965 को छत्तीसगढ़ के बौड़ाबाजर जिले के बिलाईगढ़ विकासखंड के ग्राम कुसमुंडा में एक अति सामान्य परिवार में हुआ वो सतनामी समाज जो दलित समाज में आता है से आते थे। उनका स्कूली शिक्षा बिलाईगद में ही हुई । जांगड़े जब हाई स्कूल में थे तभी मान्यवर कांशीराम छत्तीसगढ़ आए और छत्तीसगढ़ में बहुजन आंदोलन चला रहे थे तब मान्यवर कांसीराम की नजर छात्र रामकृष्ण जांगड़े पड़ी , उनकी पारखी नजर ने किशोर रामकृष्ण की प्रतिभा को पहचान लिया और उन्हें छत्तीसगढ़ बहुजन पार्टी का प्रदेश छात्र संगठन का अध्यक्ष बना दिया ।
कालांतर में मान्यवर कांसीराम ने रामकृष्ण जांगड़े को अपने साथ 1984 में भोपाल ले गए और अपने साथ ही अपने बच्चे की तरह रखा। रामकृष्ण जांगड़े ने मान्यवर कांसीराम के सानिध्य में भोपाल में रहते हुए ही स्नातक व एलएलबी की शिक्षा हासिल की। 1996 में वे संयुक्त मध्यप्रदेश की बहुजन समाज पार्टी प्रदेश इकाई के महासचिव बनाए गए। मान्यवर कांशीराम की मौत के बाद बदले हालातो में परिस्थितियां उनके विपरीत हुईं , उन्हें पार्टी छोड़नी पड़ी। उन्होंने बहुजन आंदोलन नहीं छोड़ा।
उसके बाद उन्होंने सामाजिक न्याय मंच छत्तीसगढ़ का गठन किया, जिसके बैनर तले देश में पहली बार छत्तीसगढ़ प्रदेश के बिलासपुर में संविधान दिवस मनाने की परम्परा की शुरुआत की गई। उसके बाद 2916 में उन्होंने SC ST, OBC & Minorities संयुक्त मोर्चा, छत्तीसगढ़ का गठन किया गया जिसके वो मुख्य संयोजक थे ।
रामकृष्ण जांगड़े के नेतृत्व में संयुक्त मोर्चा छत्तीसगढ़ ने 3। जुलाई 2016 को माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर मध्य प्रदेश के प्रमोशन में आरक्षण समाप्त करने संबंधी निर्णय के विरुद्ध रायपुर में लगभग 40 हजार कार्यकर्ताओं की भीड़ इकट्ठा कर रैली निकली गई जो ऐतिहासिक थी। संयुक्त मोर्चा, छत्तीसगढ़ तत्कालीन भाजपा सरकार के जनविरोधी नीतियों के खिलाफ कई रैलियां वा जन सभाएं की, जिसमें मुख्यत 30 अपील 2017 को पूरे केंद्रीय मंत्री शरद यादव के मुख्य आतिथ्य में रायपुर में 8 जुलाई 2017 को देश के ख्यतीनाम वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और राज्यसभा टीवी के पूरे संपादक उर्मिलेश जी के मुख्य आतिथ्य में रायपुर में 26 नवंबर 2017 को सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन के मुख्य आतिथ्य में संविधान दिवस का भव्य आयोजन किया गया। उसके बाद नागरिक संगठनों , युवाओं और छात्रों के संगठन ‘हम भारत के लोग’ से भी रामकृष्ण जांगड़े जुड़े और उनका मार्गदर्शन किया।
2 अप्रैल 2018 का आरक्षण बचाओ आंदोलन भी एडवोकेट रामकृष्ण जांगड़े के नेतृत्व में सफल व शांतिपूर्ण प्रदेश ब्यपी बंद था। रामकृष्ण जांगड़े छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक धरोहर और पूर्वकालीन दक्षिण कोसल राज्य की राजधानी सिरपुर क्षेत्र जो बौद्ध कालीन व पुरातात्विक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है के गौरव को पुनः वापस लौटाने और अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर रेखांकित करने के उद्देश्य से गठित ‘छत्तीसगढ़ हेरिटेज एंड कल्चरल फाउंडेशन’ संस्था से भी जुड़े रहे। जांगड़े 19, 20 व 21 फरवरी को 2019 में , 8, 9 व 10 मार्च को 2020 में तथा 12, 13 व 14 मार्च को 2021 में अंतरराष्ट्रीय सिरपुर महोत्सव का आयोजन में शामिल थे।। जिसमें विश्व के लगभग 22 देशों के बौद्ध धर्म के संत देश के कोने कोने के विद्वान व रिसर्च स्कॉलर और प्रदेश के प्रबुद्ध नागरिकों ने भाग लिया था। इसी आयोजन के दौरान ही एडवोकेट जांगड़े कोविड़ 19 से संक्रमित हुए थे।
एडवोकेट जांगड़े के निधन से छत्तीसगढ़ प्रदेश में बहुजन आंदोलन का एक अध्याय समाप्त हो गया है। एडवोकेट जांगड़े के असमय चले जाने से मूलनिवासी आंदोलन और बहुजन चेतना के क्षेत्र में शून्यता आ गई है जो अपूरणीय क्षति है । उनके विचारों की गूंज हर जनसभा, रैली और प्रदर्शनों में दशकों सुनाई देगी ।
साभार-विवेक कुमार
छत्तीसगढ़ के सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता रामकृष्ण जागड़े का आकस्मिक निधन हम सबके लिए बहुत स्तब्धकारी और दुखद है. वह समाज के उत्पीड़ित वर्गों और समुदायों के हित के लिए निरंतर सक्रिय रहे. इसके लिए सिर्फ सरकारी दफ्तरों या अदालतों में ही आवाज नही उठाई, जरूरत पड़ी तो सड़क पर आकर उन्होंने संघर्ष भी किया.
उनसे मेरा परिचय ढाई-तीन साल पहले रायपुर में एक कार्यक्रम के दौरान हुआ था. साथ में उनके मित्र और सांगठनिक-सहकर्मी एडवोकेट अजय चौहान भी थे. मेरे साथ ही दिल्ली से रायपुर गये एक मित्र ने इन दोनों लोगों से मेरा परिचय कराया.
अभी कुछ देर पहले चौहान साहब से फोन पर बातचीत हुई. पता चला कि 56 वर्षीय जागड़े साहब का निधन कुछ समय पहले आज Covid19 के संक्रमण के चलते हुआ. पिछले कुछ समय से रायपुर के एक अस्पताल में उनका इलाज़ चल रहा था.
पत्रकार उर्मिलेश
True missionary he was.Though I never met him personally but his devotion for emancipation of Bahujan was always remained trigger to indulge at least in possible way for incapacitated people like us due to obligatory norms of profession, stay motivated. I'm one of them. It's a big loss. Missing him.
Dr. Vijay Uke
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26/03/2021
दिलीप कुमार साहू
रामकृष्ण जांगड़े जी का असमय जाना बेहद दुःखद हैं .... मीडियाकर्मी होने के नाते मेरा जांगड़े जी से विभिन्न कार्यक्रमों में मुलाकात होती रही है ... न्यूज़ चैनल के डिबेट कार्यक्रम में मेरी आग्रह वे आरक्षण व अन्य मुद्दों पर बड़ी बेबाकी से अपने विचार रखते थे ... हाल ही में सिरपुर महोत्सव की तैयारियों के दौरान भी कई दफ़े उनसे मुलाकात हुई ... उनका जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति भी हैं ... वे हमेशा हमारी यादों में रहेंगे ... सादर नमन ..
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