छत्तीसगढ़ में बहुजन आंदोलन के संयोजक रामकृष्ण जांगड़े का निधन
एक अंतिम लड़ाई में हार गए
द कोरस टीमछत्तीसगढ़ के जाने-माने अधिवक्ता, एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग के हतों के संरक्षक, संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष रामकृष्ण जांगड़े का आज एम्स रायपुर में निधन हो गया है। वे कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। कुछ दिनों से उनका एम्स रायपुर में इलाज चल रहा था।

जांगड़े एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यकों के हक और अधिकारों के लिए संयुक्त मोर्चा बनाकर ताउम्र संघर्ष करते रहे हैं। उन्होंने राजनीति की शुरूआत बहुजन समाज पार्टी से की थी। हाल ही में 12 से 14 मार्च सिरपुर समारोह को संचालित करने वाली समिति ‘छत्तीसगढ़ हेरिटेज एंड कल्चरल फाउंडेशन’ के आयोजन कमेटी के सदस्य भी रहे हैं। बहुजन समाज का कहना है कि उनका ना रहना समाज के लिये बहुत बड़ी क्षति है।
2 अप्रैल 2018 को भारत बंद के संबंध में संयुक्त मोर्चा के संयोजक रहे रामकृष्ण जांगड़े ने एससी-एसटी एक्ट कानून को समाप्त कर दिए जाने का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि कानून को शिथिल करने से दमित वर्ग में घोर निराशा व भय व्याप्त होगा। उन्होंने केन्द्र सरकार चेताते हुये कहा था कि संसद मे विशेष प्रावधान कराने के लिए विधेयक लाने की मांग पर 2 अप्रैल को भारत बंद का आह्वान किया जा रहा है। उन्होंने इस ऐतिहासिक बंद को सफल करने के लिये प्रदेश के सभी व्यापारिक संगठन चेम्बर ऑफ कामर्स, ट्रांसपोटर्स तथा पिछड़ा वर्ग के कई समाज को बंद के लिये तैयार कर लिया था।
एक अंतिम लड़ाई में हार गए
संदीप कुमार खुदशाह ने लिखा है कि देश भर में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधत्व करते हुए सामाजिक योद्धा हर एक लड़ाई लड़ रहे थे और एक अंतिम लड़ाई में हार गए।
उन्होंने आगे लिखा है कि आपसे ढेरों शिकायत है, आपसे झगडऩे का भी मन कर रहा, समाजिक आंदोलन के सिपाही के तौर पर हमें खड़ा करके आप ऐसे कैसे जा सकते है।
छत्तीसगढ़ के पामगढ़ से दो बार के विधायक रह चुके दाऊराम रत्नाकर, रामकृष्ण जांगड़े के संबंध में कहते हैं कि वे 1982 में डीएस4 से जुड़े और उनके साथ खुराना भी जुड़ गये। ये दोनों जम्मू कश्मीर में डीएस4 का पहला चुनावी राजनीतिक ट्रायल के प्रयोग के लिये गये। वे 1981 से ही डीएस4 से जुड़े रहे। 1986 में भोपाल ऑफिस में उनके कार्य को देखते हुये मैंने उन्हें वहां बुला लिया। जहां आरक्षण समर्थण एक कार्यक्रम के बाद मान्यवर कांशीराम ने मुझे जिम्मेदारी सौंपी थी। भोपाल में जांगड़े मेरे सहयोगी के रूप में कार्य करते रहे। 1996 में फील्ड वर्क के बाद उनका (जांगड़े) विचार बदला और वे तब से लेकर स्वतंत्र रूप से कार्य करने लगे। 1986 से 1996 तक उनकी सक्रिय भूमिका पार्टी संगठनों के लिये रहा। उसके बाद वे सोशल पोलेटिकल से अलग रहकर सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहे थे। वे बाद में स्वतंत्र रूप से पार्टी के लाइन ऑफ कंट्रोल कार्य करते हुवे अपनी अलग स्थान बनाया। पार्टी पोर्टफोलियो से अलग उनकी सामाजिक भूमिका रही है। और हम सभी उनके सामाजिक कार्यों को जानते ही हैं।
हम भारत के लोग संगठन ने कहा है कि सतनामी समाज के जाने-माने अधिवक्ता/ संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष आदरणीय रामकृष्ण जांगड़े एससी, एसटी, ओबीसी एवं माइनॉरिटी अल्पसंख्यकों के हक और अधिकारों के लिए संयुक्त मोर्चा बनाकर लगातार संघर्षरत रहे हैं।
प्रदीप मिश्रा लिखते हैं कि एक योद्धा को इस कोरोना ने अपने काल के आगोश ले लिया। आज हम लोगों ने अपने बीच से एक ऐसे व्यक्ति को खो दिया जो समाज में बराबरी की लड़ाई को ले कर हर तरह से सजगता और निर्भीकता लड़ रहा था। परंतु आज वो खुद की लड़ाई में हार गए। रामकृष्ण जांगड़े का जाना हमारी निजी क्षति के साथ साथ इस समाज की बड़ी क्षति हो गयी। साथी लड़ाई को हम आगे लड़ेंगे।
अलविदा!!
डॉ. आदिजन असुरा ने लिखा है कि मैं बेहद हैरान और दुखी हूं कि अधिवक्ता रामकृष्ण जांगड़े छत्तीसगढ़ में सामाजिक आंदोलन के नेताओं में से एक और नागरिक स्वतंत्रता आंदोलन के करीबी सहयोगी हैं। मैंने उनके साथ लगभग दो दशकों तक लंबे समय तक कामरेडशिप की है। बहुत दुखद, कोई शब्द मेरे सदमे को व्यक्त करने के लिए नहीं। वह शांति और शक्ति में आराम करें। एक बड़ा नीला सलाम।
आदिवासी सत्ता के सम्पादक केआर शाह कहते हैं कि छत्तीसगढ़ महतारी के सामाजिक योद्धा,जाबांज सपूत, सुलझे हुए विचारक व चिंतनशील व्यक्तित्व के धनी हमारे सुख दुख के साथी रामकृष्ण जांगडे का आकस्मिक निधन एम्स रायपुर में हो गया है। उनका असमय हमारे बीच से जाना छत्तीसगढ़ सामाजिक क्रांति की गंभीर क्षति है।
रतन गोंडाने ने लिखा है कि हमारे जन संघर्ष के साथी एडवोकेट रामकृष्ण जांगड़े के निधन की खबर आ रही हैं, बहुत ही दु:खद समाचार है, विनम्र श्रद्धांजलि।
साहित्यकार दादूलाल जोशी कहते हैं कि यह बेहद दुखद समाचार है। सहसा विश्वास नहीं हो रहा है। जान्गडे मेरे अत्यन्त प्रिय व्यक्ति थे। उनसे मिलने पर मैं अपना सब दु:ख भूल जाता था। उनके कार्य और विचार मुझे अच्छे लगते थे। उनका असमय चला जाना एक खालीपन छोड़ जाना है जिसकी पूर्ति आने वाले समय में संभव नही दिखता। उन्हें मेरी अश्रूपूरित विनम्र श्रद्धान्जलि अर्पित है। सुरेखा सहित समस्त परिवारजनो को इस दुख की घड़ी मे कष्ट सहने की शक्ति प्रदान करे।
छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के विश्वास मेश्राम ने संदेश दिया है कि आज अभी कुछ मिनट पहले मेरे हमउम्र एक सामाजिक रूप से बहुत सक्रीय रहने वाले साथी की कोविड 19 से मृत्यु हो गई है। इससे पहले भी कुछ साथी कोविड 19 के शिकार हो चुके हैं। अत: कृपया विज्ञान सभा के डाक्टरों द्वारा बताए गए सुझावों पर अमल करना कम न करें।
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