विश्व जल दिवस और आम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता
ग्वालियर मध्यप्रदेश में गोपाल किरन समाजसेवी संस्था के नेतृत्व में एक कदम आगे रखते हुवे विश्व जल दिवस के अवसर पर जल संरक्षण में डॉ. आम्बेडकर के विचारों की वर्तमान में प्रासंगिकता विषय पर नेशनल सेमीनार व जल को बचाने में समर्पित भाव से लगे लोगों को होमगार्ड, बहोड़ापुर, ग्वालियर के सभागृह में मंच के माध्यम से सम्मान दिया गया। इस प्रयास में नागरिक सुरक्षा के वोलेंटियर भी जुड़े थे।

संस्था के मुख्य संरक्षक संगीता शाक्य और अध्यक्ष प्रकाश सिंह निमराजे के नेतृत्व में कार्यक्रम हमारे देश की जानीमानी व समाज हित में उत्कृष्ट कार्य करने वाली गोपाल समाज सेवी संस्था के माध्यम से जल संरक्षण दिवस पर डॉ. भीमराव आम्बेडकर द्वारा जल संरक्षण के क्षेत्र में देश के किसानों व कृषि विज्ञान व कृषि विकास के लिए किए गये विशेष योगदान के सबंध में पर एक अति सफल आयोजन किया गया।
इस शानदार कार्यक्रम में बाबासाहेब के द्वारा जलसंरक्षण के क्षेत्र में किये गए विशेष कार्यों दामोदर सागर परियोजना व देश में बड़े से बड़े बांधों का निर्माण कराया जाये व उनको आपस में जोडक़र नदियों में पानी छोड़ा जाये जिससे कि देश के किसानों की खेती की फसलों को यथास्थान व यथासंभव सिंचाई उपलब्ध हो सके।
नदियों के सम्बंध में तालाबों व पानी रोको अभियान व खेत तालाब, रूफ वाटर हार्वेस्टिंग, चेक डेम, शोकपिट गड्ढा एवं पर्यवरण बचाओ, पेड़ लगाओं के सम्बंध में कार्यक्रम में विद्वानों व समाजसेवियों ने उदबोधन भाषण में अपने महत्वपूर्ण व शानदार विचार व्यक्त किये।
प्रारम्भ मैं कार्यक्रम की रूपरेखा ओर कार्यक्रम इसकी सोच को गोपाल किरन समाजसेवी संस्था अध्यक्ष प्रकाश सिंह निमराजे ने प्रस्तुत करते हुये बताया कि डॉ. भीमराव आम्बेडकर को भारत के संविधान के मुख्य वास्तुकार और उत्पीडि़त नेता के रूप में जाना जाता है। हालांकि भारत के जल संसाधनों के प्रबंधन के क्षेत्र में उनके योगदान को व्यापक रूप से नहीं जाना जाता है। संविधान के मुख्य वास्तुकार के रूप में उनके योगदान को लंबे समय तक याद किया गया है, सिंचाई और बिजली और जल संसाधन नियोजन के विकास के लिए उनके दूरदर्शी दृष्टिकोण को स्वीकार नहीं किया गया है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में समुद्री निवेश शिखर सम्मेलन 2016 में अपने उद्घाटन भाषण के दौरान डॉ. अंबेडकर को भारत में पानी और नदी नेविगेशन नीति के वास्तुकार भी कहा। डॉ.अंबेडकर ने 1942-46 के दौरान सिंचाई और विद्युत ऊर्जा विभाग के प्रभारी के रूप में भारत में जल संसाधन विकास में बहुत योगदान दिया। यद्यपि उन्होंने इस स्थिति में राष्ट्र के विकास में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया, आश्चर्यजनक रूप से, उनके जीवन के इस पहलू का शायद ही अध्ययन किया गया हो।
सेमीनार का उद्देश्य भारत में जल संसाधन विकास के लिए डॉ. आम्बेडकर के महान योगदान को उजागर करना है जो शोधकर्ताओं द्वारा शायद ही अध्ययन किया जाता है। डॉ. आम्बेडकर ने दामोदर घाटी निगम, हीराकुंड डैम, सोन और कोसी नदी परियोजना की स्थापना में एक महान भूमिका निभाई। उन्होंने भारत में पानी के मुद्दों के लिए एक केंद्रीय प्राधिकरण के गठन में बहुत योगदान दिया।
प्रकाश सिंह निमराजे ने बताया है कि इस थीम के साथ सभवत ग्वालियर की धरती पर पहली बार इस तरह का कार्यक्रम आयोजित होगा। सभी ने इस बात पर जोर दिया कि जल प्रत्येक प्राणी के जीवन का आधार है, जिसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। जल की एक-एक बूंद कीमती है एवं इसका संरक्षण करना हमारी जिम्मेदारी है।
हम सब मिलकर गिरते हुए भू-जल की रोकथाम एवं जल संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने का संकल्प लें। एसएल अटेरिया ने बताया कि डॉ. आम्बेडकर ने कहा कि सोचना गलत है कि पानी की बहुतायत कोई संकट है मनुष्य को पानी की बहुतायत के बजाय पानी की कमी के कारण ज्यादा कष्ट भोगने पड़ते हैं।
कठिनाई यह है कि प्रकृति जल प्रदान करने में केवल कंजूसी ही नहीं करती, कभी सूखे से सताती है तो कभी तूफान ला देती है। परन्तु इससे इस तथ्य पर कोई अंतर नही पड़ता कि जल एक सम्पदा है। इसका वितरण निश्चित है। इसके लिए हमें प्रकृति से शिकायत नही करना चाहिए बल्कि जल संरक्षण करना चाहिए।
कार्यक्रम का उद्धघाटन- संगीता शाक्य, डिवीजनल कमांडर होमगार्ड व मुख्य संरक्षक ने दीप प्रज्वलन व डॉ. आम्बेडकर के चित्र पर माल्यार्पण कर किया और जल पर बाबा साहब की भूमिका पर स्कूल/कॉलेज के पाठ्यक्रम में इस विषय को शामिल करनेे की बात रखी।
मुख्य अतिथि आरपी भारती (डिप्टी कमिश्नर (राजस्व) ग्वालियर सभाग, अध्यक्षता डीके कोरी, कुल सचिव, राजमाता कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर, मुख्य वक्ता-डा.वीणा गौतम (एसोसिएट प्रोफेसर गजराराजा महाविद्यालय ग्वालियर। समापन अतिथी इंजीनियरिंग आरपी झा (मुख्य अभियंता यमुना कछार जल संसाधन विभाग ग्वालियर) विशेष अतिथि डॉ. प्रदीप कुलश्रेष्ठ (एमिटी विश्व विद्यालय, ग्वालियर
अशोक निम (उपसंचालक, पंचायत राज संस्थान, चम्बल संभाग, मुरैना,डॉ अनुभा सिंह (प्रोफेसर वीरांगना झलकारी बाई महाविद्यालय ग्वालियर, इं.एस. एल. अटेरिया (प्रभारी एसडीओ जल संसाधन विभाग, सबलगड़), डॉ. एमके जैन (डायरेक्टर अनुसंधान)कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर, डॉ. दिलीप हरी रानाडे राजमाता सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय,ग्वालियर रहे।
कार्यक्रम में ज्योति कदम, देवेन्द शर्मा,मुरैना भी शामिल थे।अंत में सबको स्वल्पाहार, जलपान कराया व सेव फ्रूटी पिलाकर प्रोग्राम को रोचक व रमणीय बनाकर धन्यवाद के साथ व जय भारत के साथ कार्यक्रम का समापन किया। कार्यक्रम के आयोजन से लेकर अत तक किशोर श्रीवास्तव नई दिल्ली, शिवचरण मडऱाई, केंद्रीय भू-जल बोर्ड, आरएस वर्मा,पुणे लगातार मार्गदर्शन करते रहे।
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