बिहार विधानसभा में विधायकों के साथ बदसलूकी

अंजनी विशू

 

ये बिहार विधानसभा के इतिहास में सबसे बड़ी शर्मनाक घटना है जो आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ.

पता नहीं सत्ता किस नशे में चूर है जो दिन रात लोकतंत्र की दुहाई तो देते हैं. लेकिन उसी लोकतंत्र को कुचलने के लिए लात-जूते व लाठी-डंडा का प्रयोग करते हैं.

अब तो फासीवाद की आहट विधानसभा के अंदर भी प्रवेश कर चुका है. ये वही कानून है जो एक नागरिक को पुलिस कभी भी जब उसकी इच्छा हो गिरफ्तार कर सकता है.

एक नागरिक का ये भी अधिकार नहीं रहेगा कि व्यक्ति पुलिस से सवाल भी कर पाये कि हमें किस जुर्म में गिरफ्तार किया जा रहा है.

इसका मतलब साफ है जो भी कोई सत्ता के हुक्मरानों के खिलाफ मुंह खोलेगा उसे गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे डाल दिया जाएगा. हम उस समय भी चुप थे जब पूरे कश्मीर को बंदी बना लिया गया था. 

हम उस समय भी चुप थे जब इस देश के अंद बुद्धिजीवी, लेखक, कवि व राजनीतिक कार्यकर्ता को यूएपीए जैसी संगीन धारा लगाके सालों से कैद करके रखा है.

आज भी  90 प्रतिशत शाररिक विकलांग प्रो. जी एन साईं, आनंद तेलतुंबड़े, गौतम नवलखा, शोमा सेन, सुधा भारद्वाज, उमर खालिद, शरजील इमाम जैसे सैकड़ों लोकतंत्र पसंद कार्यकर्ता सलाखों के पीछे बंद है. इनका सिर्फ यही जुर्म है कि वो इस निरंकुश सत्ता के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद कर रहा था.

आज भी आदिवासी अपनी जल-जंगल-जमीन बचाने की लड़ाई सदियों से लूटेरे सत्ता के खिलाफ संघर्ष कर रही है तो ये सरकार उसे देशद्रोही कहकर कभी इनकाउंटर कर देती है य जेलों में बंद कर दिया जाता है.

आज तो ये सत्ता में बैठे निजाम खुलेआम देश की तमाम सरकारी संपत्तियों को मुट्ठीभर कॉरपोरेट घरानों के हाथों में बेच रहा है और इन सबका विरोध कर रहा है उसे देशद्रोही व गिरफ्तार करने के लिए नया-नया काले कानून पारित कर रहा है.

आप अगर आज भी व्यक्तिगत रूप से अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं, तो आप से मुझे कुछ नहीं कहना है.


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