शहादत दिवस पर युवाओं ने सिंघु, टीकरी, गाजीपुर पर हजारों की संख्या में किसान मोर्चा को संभाला
देश के सीने में चल रहे किसान आंदोलन के 118 वें दिन आज भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव व अन्य क्रांतिकारी साथियों की याद में किसानों ने शक्ति प्रदर्शन किया। तीन कृषि कानूनो के खिलाफ व MSP की कानूनी गारंटी के लिए 4 महीनों से दिल्ली की सीमाओ पर चल रहे धरनों पर शहीदों की याद में आयोजित इन कॉन्फ्रेंस में हज़ारो की संख्या में नौजवान पहुंचे। युवाओं ने आज के दौर को किसान विरोधी व मजदूर विरोधी बताया।

सिंघु बॉर्डर पर कल से ही युवा अलग अलग वाहनों से पहुँच रहे थे। आज सुबह 11 बजे से शुरू हुए कार्यक्रम में 60 से ज्यादा युवाओ ने किसानों को संबोधित किया। पलवल व शाहजहांपुर धरने पर युवाओ ने पहुंचकर किसान आंदोलन का समर्थन किया।
किसानों के चल रहे विरोध प्रदर्शन में हर वर्ग के लिए अपना एक स्थान है। आज के इस कार्यक्रम में महिला नौजवानों ने लैंगिक बेड़ियों को तोड़ते हुए सरकार को तीखे शब्दों में ललकारा और कहा कि आज के भगतसिंह सिंह महिला शक्ति के रूप में भी है।
हरियाणा से महिला आगु ने कहा कि जो सपने शहीद भगतसिंह ने देखे थे वो आज भी अधूरे है।
एक अन्य नौजवान महिला ने मंच से बोलते हुए कहा कि भगतसिंह ने हमें पहले ही चेता दिया था कि सिर्फ अंग्रेज़ो के देश छोड़ जाने भर से देश को आज़ादी नहीं मिलेगी, ये देश तब आज़ाद होगा जब किसान मजदूर का शोषण होना बंद होगा।
मजदूर नेत्री नोदीप कौर ने भी किसान मजदूरों के शोषण के अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र पर भगतसिंह के विचारों को किसानों के सामने रखा।
पंजाबी कलाकार रविंदर ग्रेवाल व हरजीत हरमन ने इंकलाबी गीतों के माध्यम से किसानों का हौसला बढ़ाया वहीं दिल्ली से द पार्टिकल कलेक्टिव ने नाटक प्रस्तुत कर सरकार पर तंज कसा।
टीकरी बॉर्डर पर बड़ी संख्या में हरियाणा के नौजवानों ने पहुँच कर किसानों का समर्थन किया। बड़ी संख्या में मजदूर परिवारों के नौजवानों ने किसान मजदूर एकता के साथ साथ शिक्षा व रोजगार के सवाल पर भी सरकार पर हमला किया।
मंच पर बोलते हुए नौजवानों ने कहा कि नौजवान हर कुर्बानी देने को तैयार है पर इन कानूनों के रद्द कराए बगैर वापस नहीं जाएंगे क्योंकि अब यह उन्हें अस्तिव का सवाल है।
सयुंक्त किसान मोर्चा सभी नौजवानों का आभार व्यक्त करता है जिन्होंने अपने जोश व जुनून के माध्यम से लगातार अन्याय के खिलाफ सरकार पर हमला किया है। आज का यह कार्यक्रम भी इसी बात का प्रमाण है।
गाज़ीपुर बॉर्डर पर भी विशेषकर दिल्ली व उत्तरप्रदेश से पहुँचे युवाओ ने भगतसिंह व साथियो के विचारों पर अमल करते हुए किसान आन्दोलन को सफल बनाने का प्रण लिया।
दिल्ली से अनेक छात्र संगठनों ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए आज किसानो के बीच पहुंच कर अपना समर्थन दिया।
शहीदों से जुड़ी ऐतिहासिक स्थान जैसे सुनाम, खटकड़कलां, श्री आनंदपुर साहिब, श्री फतेहगढ़ साहिब, सराभा, जलियावाला बाग, हुसैनीवाला, श्री चमकौर साहिब से मिट्टी इकठ्ठी कर सिंघु व टीकरी बॉर्डर पर लायी गयी।
पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन के अमनदीप सिंह, नौजवान भारत सभा के कर्मजीत, कीर्ति किसान यूनियन युथ विंग के भूपिंदर लोंगोवाल व छात्र नेता विक्की माहेश्वरी ने इन शहीद स्मारकों से मिट्टी इकठ्ठी कर दिल्ली लाने की जिम्मेदारी निभाई।
सिर्फ दिल्ली ही नहीं देश के अन्य हिस्सों में भी आज किसानों ने शहीदों की याद में कार्यक्रम किये। गुजरात के भावनगर में खेडूत समाज ने शहीदों की याद में प्रदर्शन किया।
हैदराबाद में आज शाम एक मशाल जुलूस निकाला जाएगा।
जयपुर में भी एक नियोजित कार्यक्रम आयोजित किया गया।
शहीद भगतसिंह के गांव खटकड़कलां में आज शहीदों की याद में महारैली का आयोजन किया गया।
रैली में बोलते हुए युवाओं ने कहा कि देश पर जब भी संकट आएगा पंजाब के नौजवान हर कुर्बानी देकर मानवाधिकार के लिए लड़ेंगे।
आज शहादत दिवस पर एकौनी में किसान आंदोलन में समर्थन में कार्यक्रम भाषण व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ साथ अंबेडकर लाइब्रेरी का उद्घाटन व शहीदों की याद में वृक्षारोपण भी किया गया।
सिरसा में शहीद भगत सिंह स्टेडियम में सफाई अभियान के बाद प्रतिमा पर फूल माला अर्पित की गई।
किसानों द्वारा निकाली जा रही दांडी से मिट्टी सत्याग्रह यात्रा में 30 मार्च को नर्मदा घाटी के किसान भी शामिल होंगे व इस घाटी की मिट्टी दिल्ली में किसानों के संघर्ष स्थल पहुंचेगी। नर्मदा घाटी के किसान मजदूर भी मिट्टी बचाओ सत्याग्रह यात्रा में पंहुचेंगे।
आज हापुड़ के गांव शुक्लम पुरा एवं धनपुरा में शहीद दिवस मनाया। भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु की शहादत को याद करते हुए किसानों के बीच संवाद स्थापित किया गया इसमें तीन काले कानूनों की वापसी एवं एमएसपी गारंटी कानून को लागू कराने हेतु आंदोलन को तेज धार देने के लिए लंबी लड़ाई हेतु किसानों से आह्वान किया गया।
ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन की कानपुर देहात जिला इकाई द्वारा संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव के शहादत दिवस के अवसर पर मोटरसाइकिल मार्च का आयोजन किया गया।
आज 23 मार्च शहीद भगत सिंह के शहादत दिवस पर छत्तीसगढ़ में जिला किसान संघ द्वारा बाईक रैली निकाला गया। बाईक रैली लोहारा से बटेरा, भरदा, बैय्हाकुंआ, कोरगुडा, मालीघोरी, बनगांव, खैरा, कोबा, बोदेली, दुबचेरा, कोचेरा, नारगी, रायपुरा, संम्बलपुर, कोटेरा, गंजईडीह, संजारी, राणाखुज्जी, मडवापथरा, बंजारी, रेगांडबरी, जुन्नापानी, मंगचुआ, पुनारकसा, खैरकट्टा, अरजपुरी, नेताम टोला होते हुए वापस यह बाईक रैली गांव गांव में किसान जनजागरण अभियान के तहत दिल्ली किसान आंदोलन के सर्मथन में किसान विरोघी काला कानून के विरोघ में किया गया व आगामी 26 मार्च को भारत बंद दिल्ली किसान संघ के आह्वान को गांव गांव में किसान एकता जिंदाबाद, गांवों के किसान एक हो के नारों के साथ पहुंचाया गया।
जिसमे अघ्यक्ष गैंदसिंह ठाकुर, कुशल ठाकुर, सुरेश कोरटी, एल.डी.डाले, नंदलाल, पुहुप साहू, एस.एस.नेताम, बुघवार सिंह, एस.के.सिन्हा, गंघूरावटे व सैकडो किसान बाईक रैली मे शामील हुए। किसान संघ प्रवक्ता नवाब जिलानी ने बताया कि 26 मार्च को भारत बंद के आव्हान पर दल्लीराजहरा में किसान मजदूर की रैली एवं छत्तीसगढ के राजघानी रायपुर में किसानों के महापंचायत की तैयारी के सम्बंघ मे बैठक होगा।
छत्तीसगढ़ के राजिम में शहीदे आजम भगतसिंह, राजगुरू और सुखदेव के शहादत को 90 साल पूरा होने पर अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा छत्तीसगढ़ के नेतृत्व में किसानों ने पंडित सुंदर लाल शर्मा चौक में नुक्कड़ सभा कर अभनपुर बस स्टैंड तक मोटर साइकिल रैली निकाली। इस दौरान नवापारा में सभा की गई। रैली अभनपुर के बस स्टैंड पहुंच कर नुक्कड़ सभा कर कार्यक्रम की समाप्ति हुई।
सभा को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा, अभनपुर ब्लॉक के संयोजक हेमंत टंडन ने कहा कि शहीदों के सपनों का भारत बनना आज भी बाकी है। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ते हुए शहीदे आजम भगत सिंह ने कहा था कि गोरे अंग्रेज तो भारत से चले जायेंगे लेकिन क्या काले भारतीय पूंजीपतियों की गुलामी पसन्द करेंगे। जहाँ चंद पूंजीपति लोग मेहनतकश मजदूरों और किसानों का शोषण जारी रखेंगे। उन्होंने क्रांति का परिभाषा बताते हुए कहा था कि "क्रांति से हमारा अभिप्राय किसी का खून बहाने से नहीं है बल्कि इस शोषणकारी व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन से है।
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