बौद्धभिक्षुओं को जन्नत की सैर कराने के 102 करोड़!

80 हजार सेक्स-वीडियो इस युवती के साथ 9 बौद्धभिक्षुओं के मिले हैं

सुनील कुमार

 

भारत में बौद्ध मठ कुछ सीमित संख्या में हैं, वे मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे, और चर्च जितने अधिक संख्या में नहीं हैं, इसलिए लोगों को उनकी जानकारियां भी कम रहती हैं, और बहुत से लोग तो किसी बौद्धभिक्षु से मिले बिना गुजर भी सकते हैं। इसलिए बौद्धभिक्षुओं की जिंदगी के बारे में भी हिन्दुस्तान के बाकी धर्मों के लोगों की जानकारी बड़ी सीमित है। ऐसे में थाईलैंड से आया हुआ एक ताजा समाचार लोगों को थोड़ा चौंका सकता है।

जुलाई के महीने में वहां एक जांच शुरू हुई तो पता लगा कि एक खूबसूरत युवती ने वहां के कम से कम 9 बड़े वरिष्ठ भिक्षुओं के साथ सेक्स-संबंध बनाए, और उसकी वीडियो-रिकॉर्डिंग करके उन्हें भरपूर ब्लैकमेल भी किया। अभी तक की जांच के मुताबिक पुलिस को इस युवती के घर से 80 हजार से अधिक अश्लील फोटो और वीडियो मिले हैं जिनमें स्वर्ग का आनंद प्राप्त करते हुए बौद्धक्षिभु हैं। इसके अलावा बहुत सारे मैसेज भी इन भिक्षुओं के साथ इस लडक़ी के मिले हैं। उसे गिरफ्तार करके इन 9 भिक्षुओं को धार्मिक ढांचे से बाहर कर दिया गया है।

थाईलैंड के राजा ने इस स्कैंडल के बाद 81 भिक्षुओं की राजकीय पदवी रद्द कर दी है, और धार्मिक कानून में सुधार की घोषणा की गई है। थाइलैंड में बौद्धभिक्षुओं की शान-शौकत की जिंदगी पहले से खबरों में रही है, और वे सन्यासी-ब्रम्हचारी जिंदगी गुजारते हुए भी बड़ी-बड़ी कारें तोहफे में ले लेते थे, और शान-शौकत से जीते थे। अभी भी कई लोगों का यह मानना है कि इस पूरे सेक्स-स्कैंडल की तोहमत एक अकेली युवती पर डाल दी गई है, जबकि इस साजिश में कई दूसरे भिक्षु भी शामिल थे। खैर, अब यह धर्म के भीतर की घरेलू बात है कि यह हनीट्रैप बिछाने वाली युवती अकेली थी, या उसके साथ कोई दूसरे बौद्धभिक्षु भी शामिल थे, जो भी हो, नौ लोगों के आनंद के लिए एक सौ दो करोड़ रूपए का जन्नत-टैक्स कम नहीं होता है। 

ऐसे कुछ मामलों का भांडाफोड़ होने पर ही धर्म के भीतर सड़ गई व्यवस्था में सुधार की गुंजाइश बनती है। पूरी दुनिया का इतिहास यही कहता है कि जब-जब धर्म अपने कुकर्मों को दबाने में कामयाब रहता है, उसके भीतर वैसे कुकर्मों का सैलाब बढ़ जाता है। अब अगर कैथोलिक चर्च में बच्चों के यौन शोषण के मामले देखें, तो अमरीका, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, चीली जैसे कई देशों में ऐसे लाखों मामले सामने आए हैं। अमरीका के बॉस्टन में ही 2002 में ऐसे पांच सौ मामलों में अदालत के बाहर साढ़े 8 करोड़ डॉलर का समझौता हुआ था, जिसमें चार हजार से अधिक पादरियों पर बाल यौन शोषण के आरोप थे।

अब अगर इतनी बड़ी रकम देकर चर्च ने अदालत के बाहर छुटकारा पाया था, तो जाहिर है कि आरोपों में दम तो था ही, और चर्च में बच्चे सुरक्षित तो दुनिया में बहुत सी जगहों पर नहीं रहते। ऑस्ट्रेलिया में 22 फीसदी पादरियों पर बच्चों के यौन शोषण के आरोप रहे। लेकिन कैथोलिक चर्च का मुखिया, वेटिकन में बैठा पोप हमेशा ही ऐसे जुर्म दबाने की कोशिश में लगे रहा, और नतीजा यह रहा कि लाखों और बच्चे पादरियों की हवस के शिकार होते रहे। यह सब इसलिए भी होता है कि इन पादरियों पर ब्रम्हचर्य की शर्त रहती है। अभी कुछ दिन पहले ही हमने सोशल मीडिया पेज पर पोप के नाम से एक अपील पोस्ट की थी कि अपने पादरियों को खेलने के लिए कुछ खिलौने दिया करें।

इस लाईन के पीछे जो मतलब था, वह यही था कि वे खिलौनों से ही खेलें, बच्चों के बदन से नहीं। धर्म नाम का पाखंड शुरू होने के पहले तक ब्रम्हचर्य की कोई धारणा नहीं थी, यह बीमारी धर्म के साथ ही आई, और जिस तरह धर्म कई प्रतीकों से अपने आपको नाटकीय और करिश्माई बनाता है, तरह-तरह के चोगे पहनता है, मालाएं और ताबीज गले में डालता है, दाढ़ी, चोटी, किस्म की कई चीजें लेकर चलता है, टोपी, पगड़ी, तिलक, और हथियार ढोता है, उसी तरह धर्म ब्रम्हचर्य का दिखावा भी ढोता है। अभी भारत में साध्वी सरीखे कपड़ों में एक महिला, और किसी बाबा जैसे कपड़ों में एक पुरूष के वीडियो चारों तरफ फैले हैं, और इन लोगों के एक साथ या अलग-अलग सैकड़ों और वीडियो भी हैं। अब इन्हें देखकर लोग ब्रम्हचर्य की अपनी धारणा और परिभाषा दुबारा तय कर सकते हैं। 

एक तो ब्रम्हचर्य की नौटंकी जिसे ढोना अमानवीय दर्जे का तकरीबन नामुमकिन काम होता है, वह कई धर्मों में एक अनिवार्य शर्त रखी गई है, और ऐसी शर्त ही सेक्स-शोषण के खतरे और आशंका को शुरू करती है। इसके साथ-साथ यह भी समझने की जरूरत है कि धर्म में एक अंधश्रद्धा पैदा करने ऐसी अपार क्षमता रहती है कि आसाराम जैसा हिन्दू-गुरू वेलेंटाइन डे को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनवाने के लिए सरकारों से हुक्म निकलवाता है, और खुद अपने अनुयायी-परिवार की, अपनी ही स्कूल की नाबालिग छात्रा का देह-शोषण करता है, बलात्कार करके उम्रकैद पाता है।

ऐसा ही हाल ईसाई स्कूलों में, और चर्च में पादरी जगह-जगह करते हैं। तमाम धर्मों के ईश्वर ऊपर बैठकर आपस में शतरंज खेलते हैं, और यहां उनके प्रतिनिधि बने हुए लोग नाबालिग बच्चों की देह से खेलते हैं। अभी थाईलैंड में बौद्धभिक्षुओं के मामले में कम से कम यह तो रहा कि वे एक बालिग युवती के साथ जन्नत के मजे लेते पकड़ाए, किसी नाबालिग बच्चे का शोषण करते हुए नहीं।

फिलहाल तो हमारा यही सोचना है कि बौद्ध मठों का सौ करोड़ से अधिक धन जो कि ब्लैकमेलिंग में जा चुका है, उसकी भरपाई करने का एक तरीका है। जो 80 हजार सेक्स-वीडियो इस युवती के साथ 9 बौद्धभिक्षुओं के मिले हैं, उन्हें अगर किसी कानूनी पोर्नो वेबसाइट को बेच दिया जाए, तो धर्म का इतना पैसा वापिस आ सकता है, और धर्म की नसीहतों के खिलाफ लिए गए इस मजे का दुनिया के पोर्नो-शौकीन लोग भी ले सकते हैं।

बौद्धभिक्षुओं की ओर से करोड़ों लोगों का ऐसा वयस्क मनोरंजन भी हो सकेगा। हो सकता है कि कोई साइबर विशेषज्ञ आस्थावान यह भी सुझा सके कि भिक्षुसेक्सडॉटकॉम जैसी कोई वेबसाइट बनाकर वहां सब्सक्रिप्शन रखकर कमाई की जा सके क्योंकि ये लोग तो अब धार्मिक व्यवस्था से निकाले जा चुके हैं, और इन्होंने मठों का जितना नुकसान किया है, उसकी भरपाई इन्हीं की आगे बदनामी से हो, तो उसमें गलत क्या होगा?


यह सम्पादकीय, चर्चित सम्पादक ने अपने अखबार ‘छत्तीसगढ़’ के लिए लिखा है। आप कई सालों से अखबार निकालते हैं, इस अखबार का अपना वेबसाईड भी है और अब यूट्यूब में भी अपनी प्रतिक्रयाओं के लिए जाने जाते हैं। और छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर में निवास करते हैं। 
 


Add Comment

Enter your full name
We'll never share your number with anyone else.
We'll never share your email with anyone else.
Write your comment

Your Comment