अदानी को कोयले देने अंधाधुंध हो रही पेड़ों की कटाई

सौ मिलियन टन वार्षिक उत्पादन क्षमता से अधिक की खदानों का अनुबंध 

सुशान्त कुमार

 

छत्तीसगढ़ एसोसिएशन फॉर जस्टिस एंड इक्वेलिटी (केज़) ने इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 26 जून को सुबह से ही छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के मुड़ागांव में कोयला खनन के लिए वनों की कटाई के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रभावित ग्रामीणों, स्थानीय जनप्रतिनिधियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं को पुलिस और प्रशासन ने हिरासत में ले लिया था।

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर रेंज के 200 से अधिक पुलिसकर्मियों, वन विभाग और अडानी पावर के कर्मचारियों ने जंगल को घेर लिया और पेड़ों की कटाई शुरू कर दी। इस विस्थापन की वैधता को चुनौती देते हुये हाईकोर्ट और एनजीटी दोनों में मामले लंबित हैं, जिस पर रिनचिन और अन्य याचिकाकर्ता ग्रामीण मुकदमा कर रहे हैं, और यह मामला अभी भी लंबित है।

महाजेनको के लिए 200 एकड़ जंगल काटा जा रहा है। सरकार ने तमनार तहसील के ग्राम पंचायत सरईटोला के आश्रित गांव मुड़ागांव में महाजेनको को कोयला खदान आवंटित की है जिसका एमडीओ अडानी समूह द्वारा संचालित है। इस कंपनी द्वारा वनों की कटाई शुरू करने की खबर से स्थानीय प्रभावित लोग नाराज हैं और पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे हैं। अडानी के प्रोजेक्ट क्षेत्र में 2,000 से अधिक पुलिस कर्मी, लगभग 200 इलेक्ट्रिक आरा मशीनें और सैकड़ों कर्मियों को बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई करने के लिए तैनात किया गया है, जबकि यह क्षेत्र घने जंगलों और जैव विविधता से समृद्ध है।

आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता बीपीएस पोया ने बताया कि  रायगढ़ जिले में 1500 पेड़ों की अवैध कटाई का मामला सामने आया है। स्थानीय ग्रामीणों ने इसका विरोध किया, और इस मामले में एक विधायक की गिरफ्तारी भी हुई। आरोप है कि यह कटाई अडानी समूह की खनन परियोजना के लिए प्रशासन की मदद से की जा रही है। 
पोया ने कहा कि सरकार का ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान सिर्फ दिखावा है। रायगढ़, जहां से मंत्री ओपी चौधरी आते हैं, वहां सैकड़ों पेड़ काटे जा रहे हैं, जबकि वे अंबिकापुर में पेड़ लगाने का ढोंग कर रहे हैं। सरकार और अडानी के बीच क्या रिश्ता है? उन्होंने बताया कि बिना अनुमति के पेड़ काटे गए और ग्रामीणों के विरोध को नजरअंदाज किया गया।

हसदेव और पर्यावरण पर खतरा

हसदेव अरण्य और सरगुजा में पेड़ों की कटाई से पर्यावरण और जैव विविधता को नुकसान हो रहा है। खनिज और बिजली के लिए जंगल उजाड़े जा रहे हैं। सरकार को सौर ऊर्जा जैसे विकल्प अपनाने चाहिए।’ अगर कटाई नहीं रुकी, तो छत्तीसगढ़, जो धान का कटोरा है, बंजर हो जाएगा। इससे बारिश कम होगी और किसानों को सिंचाई में परेशानी होगी। 

आदिवासियों के अधिकारों का हनन

सरकार पर आदिवासियों के अधिकारों और संविधान की पांचवीं अनुसूची के उल्लंघन का आरोप साफ नजर आता है। विष्णु देव साय की सरकार बनते ही हसदेव में कटाई शुरू हो गई। जनता के अधिकारों के साथ खिलवाड़ हो रहा है। 

विश्व पर्यावरण दिवस पर दिखावा 

सरकार पर्यावरण बचाने की बात करती है, लेकिन रायगढ़ और सरगुजा में कटाई जारी है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने जांच के आदेश दिए, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन के दबाव में कटाई नहीं रुकी।

आदिवासियों और पर्यावरणविदों का विरोध 

हसदेव अरण्य में अडानी की कोयला खदान के लिए हजारों पेड़ काटे जा चुके हैं। स्थानीय आदिवासी और पर्यावरणविद इसका विरोध कर रहे हैं। कई सामाजिक और  मानवाधिकार समितियों ने  ने भी सरकार और कंपनियों की नीतियों की आलोचना की है।

सरकार से सवाल 

तमामा संगठनों का सवाल है कि क्या सरकार जल, जंगल, जमीन और जैव विविधता को खत्म कर विकास करना चाहती है? अवैध कटाई पर रोक और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की। साथ ही, पर्यावरण बचाने के लिए ठोस कदम उठाने को कहा।

बहरहाल छत्तीसगढ़ अंधाधुंध पेड़ों की कटाई की भयानकता विनाश को निमंत्रण देता है। इन असंख्य पेड़ों की धराशायी से जंगल में रहने वाले असंख्य जीव जंतु और पक्षियों को वहां से निकलने तक का मौक़ा नहीं रहता है। 

ग्रामसभाओं के विरोध को कुचलकर पूरी बेशर्मी के साथ जंगल, जमीन, खनिज की लूट और पर्यावरण का विनाश किया जा रहा है। प्रदेश में पेसा, वनाधिकार कानून तथा पर्यावरणीय से संबंधित कानूनों को ताक पर रख दिया गया है।

अदानी कंपनी एक तरफ पुरी के जगन्नाथ मंदिर में प्रसादी योजना लागू करता है वहीं छत्तीसगढ़ में जल, जंगल और जमीन को सत्यानाश कर रहा हैं। वह पॉवर प्लांटों की क्षमता का विस्तार कर दूसरी तरफ़ राज्य सरकारों के नाम पर हासिल की गईं कोयला खदानों को शुरू करने 100 मिलियन टन वार्षिक उत्पादन क्षमता से अधिक की कोयला खदाने एमडीओ अनुबंधों के माध्यम से हासिल करने जुटा हुआ हैं।

 


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