धर्मांतरण को लेकर संघ की नीति स्पष्ट है
संघ से मेरा बहुत ज्यादा अट्रैक्शन नहीं रहा
दिलीप साहूदो दिन संघ कार्यालय नागपुर के कार्यक्रम में शामिल होकर लौटे पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने प्रेस कांफ्रेंस लिया। दिग्गज आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने कहा कि संघ से मेरा बहुत ज्यादा अट्रैक्शन नहीं रहा।

नागपुर में संघ मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करेंगे ऐसा उम्मीद नहीं था, अपने 60 साल के राजनीतिक जीवन में राजनीति के साथ समाज के कार्यों में सक्रिय रहा जिसकी वजह से आरएसएस ने मुझे आमंत्रित किया।
आदिवासियों के समस्याओं को लेकर सरकार बहुत गंभीर नहीं रहा चाहे राज्य सरकार हो, या केंद्र सरकार जब सरकार की स्तर पर हमारी सुनवाई नहीं होगी, तो हम कहां जाए?
आरएसएस राजनीतिक संगठन नहीं है, लेकिन वैचारिक चिंतन मंथन होता है, संघ और आदिवासी समाज के बीच वैचारिक चर्चा कैसे हो? 5 महीना पहले जब संघ प्रमुख मोहन भागवत रायपुर आए थे तब भी उनके साथ बहुत कुछ चर्चा हुई थी।
आदिवासियों के मुद्दे पर जो मदद करेगा, हम उनके साथ काम करेंगे। आदिवासी समाज के लिए धर्म का मुद्दा बड़ा जटिल है, मंच पर जितने भी मुद्दा उठाया संघ प्रमुख ने उनका जवाब दिए।
संघ मुख्यालय में धर्मांतरण के अलावा जल, जंगल जमीन खतरे में है, औद्योगिक नीति पर चिंता, अधिग्रहण मत कीजिए, लीज में दीजिए,आदिवासी परिवार का अधिकार रहेगा इन मुद्दों पर अरविंद नेताम ने अपनी बात संघ के सामने रखी।
पीसीसी चीफ दीपक बैज ने नेताम को आरएसएस की भाषा बोलने की बात कही, इस पर अरविंद नेताम ने कहा कि दीपक बैज से एक बात जानना चाहता हूं कहीं वे ईसाई धर्म में मतांतरण तो नहीं हुए?
उन्होंने उल्टे सवाल किए कि धर्मांतरण को लेकर कांग्रेस की नीति क्या है बताएं? धर्मांतरण को लेकर संघ की नीति स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि मैं आरएसएस की अनुशासन से प्रभावित हुआ।
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