अब धर्मान्तरण पर संघ करेगा समाधान!

बस्तर और आदिवासियों के हित में बात नहीं की

दिलीप साहू

 

साथ ही इस समस्या के निवारण के लिए ठोस कदम नहीं उठाने को लेकर कांग्रेस तथा बीजेपी दोनों सरकार को लताड़ लगाई है, इससे एक बार फिर धर्मांतरण को लेकर सूबे में सियासत तेज हो गई है।

दरअसल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर स्थित मुख्यालय में आयोजित प्रशिक्षण शिविर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दिग्गज आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने धर्मांतरण को गंभीरता से नहीं लेने पर सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकारें दोषारोपण ही करती रही, आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया। आरएसएस और आदिवासी मिलकर समाधान कर सकते हैं।

बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पहली बार छत्तीसगढ़ से किसी आदिवासी नेता को नागपुर मुख्यालय में व्यक्तव्य के लिए आमंत्रित किया था। अरविंद नेताम 4 और 5 जून को नागपुर में रहकर संघ की गतिविधियों को करीब से देखा। 5 जून को संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ बतौर प्रमुख अतिथि के रूप में प्रशिक्षण शिविर कार्यक्रम पर मंच साझा किया।

आरएसएस के कार्यक्रम में अरविंद नेताम के संबोधन पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा, आरएसएस के संपर्क में आने से अरविंद नेताम की बोली बदल चुकी है। आदिवासियों की पक्षधर आरएसएस कभी नहीं थी। आरएसएस और आदिवासियों की विचारधारा में बड़ा फर्क है। 

वे आरएसएस को बस्तर आने का निमंत्रण देने गए थे। अरविंद नेताम ने बस्तर और आदिवासियों के हित में बात नहीं की।

वहीं केबिनेट मंत्री केदार कश्यप का कहना है कि दीपक बैज 5 साल चर्च खुलवाने में निकाल दिए। लगातार अवैध धर्मांतरण को संरक्षण दिए। कार्रवाई करनी थी उस समय मुंह में लड्डू डालकर बैठे थे। कांग्रेस अवैध धर्मांतरण करने वालों के साथ खड़ी रहती थी। कांग्रेस की स्थिति बदतर होते जा रही है।  

आरएसएस राष्ट्रीय भावनाओं को लेकर काम करती है। सामाजिक रूप से सभी चाहते हैं अवैध धर्मांतरण रुकना चाहिए। अरविंद नेताम के बातों में दम और गहराई है।

बहरहाल, धर्मांतरण को लेकर छत्तीसगढ़ में सियासी बयानबाजी कोई नई बात नहीं है, इसे लेकर लगातार बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे को दोषी ठहराते रहे हैं। खासकर आदिवासी क्षेत्रों में धर्मांतरण की वजह से लोगों में आपसी वाद-विवाद होती रही है। अब देखना दिलचस्प होगा कि अरविंद नेताम के इस पहल के बाद क्या आदिवासी क्षेत्रों में धर्मांतरण रुकता है या कांग्रेस की आशंका के तहत आदिवासी क्षेत्रों में आरएसएस की दखल बढ़ जाएगी?

लेखक पेशे से पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक  हैं। 

 


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