अरविन्द नेताम को आरएसएस से बुलावा पर छत्तीसगढ़ की सियासत में आई उबाल

निमंत्रण आदिवासी आउटरीच रणनीति में एक महत्वपूर्ण कदम

दिलीप साहू

 

दरअसल वरिष्ठ आदिवासी नेता अरविंद नेताम मुख्य अतिथि के रूप में आरएसएस के प्रशिक्षण शिविर के समापन समारोह में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ मंच साझा करेंगे। कांग्रेस छोडऩे के बाद नेताम ने साल 2023 के विधान सभा चुनावों से पहले अपनी पार्टी शुरू की और बस्तर संभाग और सरगुजा जिले में कांग्रेस के वोटों में गहरी सेंध लगाई। अरविंद नेताम को निमंत्रण को संघ की आदिवासी आउटरीच रणनीति में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।

निमंत्रण के बारे में पूछे जाने पर अरविंद नेताम का कहना है कि यह बहुत सम्मान की बात है। उन्होंने  ‘संघ और आदिवासी समुदाय के बीच गहरी समझ’ की आवश्यकता पर जोर दिया। नेताम ने कहा, ‘अगर आरएसएस वास्तव में आदिवासी समाज को समझना चाहता है, तो उसे आदिवासी परिप्रेक्ष्य के चश्मे से दुनिया को देखना शुरू करना होगा।’  

अरविंद नेताम ने कहा, ‘राष्ट्रीय स्तर की समस्या पर चर्चा करूंगा और दो दिन का पूरा उपयोग करूंगा। आरएसएस और आदिवासी वर्ग के बीच जो गैप है, जिसकी वजह से कई समस्याएं हैं, उसका निदान हो। जल, जंगल, जमीन को लेकर जो इश्यू है, उसे आरएसएस के मंच पर रखूंगा...।’

बताते चले कि अरविंद नेताम अविभाजित मध्यप्रदेश में एक प्रमुख राजनीतिक चेहरा रहे हैं, और उन्होंने कुछ साल पहले प्रमुख राजनीतिक दलों से दूरी बनाना शुरू कर दिया था और आदिवासी समुदायों के अधिकारों और कल्याण के लिए स्वतंत्र रूप से काम करना शुरू कर दिया था। अगस्त 2023 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और सर्व आदिवासी समाज के राजनीतिक मोर्चा ‘हमर राज पार्टी’ बनाकर चुनावी राजनीति में उतर गए, जो आदिवासी समूहों का एक संगठन है।

वरिष्ठ आदिवासी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम आरएसएस मुख्यालय जा रहें हैं। इस मामले में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज का कहना है कि ‘अरविंद नेताम नागपुर में आदिवासियों का मुद्दा उठाएं। क्यों आरएसएस आदिवासियों से नफरत करती है पूछें?  क्यों आरएसएस और बीजेपी आरक्षण के खिलाफ हैं। क्यों छत्तीसगढ़ में आरक्षण संशोधन विधेयक लंबित है। वे इस विषयों पर चर्चा करेंगे तो हम उन्हें धन्यवाद देंगे। हम तो चाहेंगे कार्यक्रम की वीडियोग्राफी भी होनी चाहिए...’

वहीं इस पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह का कहना है कि ‘अरविंद नेताम का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में शामिल होने पर कांग्रेस के लोगों को इसे राजनीतिक चश्मे से देखने की आवश्यकता नहीं है।’  संघ का उद्देश्य राजनीति नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण और देश में व्यापक सकारात्मक परिवर्तन के लिए संस्कारवान व ऊर्जावान युवाओं की पीढ़ी तैयार करना है।

बहरहाल, मार्च 2026 तक बस्तर से नक्सलवाद का सफाया होने के बाद बहुत बड़े आदिवासी वर्ग में नेतृत्व की शून्यता को लेकर लगाए जा रहे कयास के बीच बस्तर के दिग्गज आदिवासी नेता अरविंद नेताम के आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ मंच साझा किए जाने को लेकर अटकलों का दौर भी तेज हो गया है। कांग्रेस और भाजपा के बयानों से परे अब देखना दिलचस्प होगा कि अरविंद नेताम के व्यक्तित्व पर आरएसएस का कैसा प्रभाव पड़ता है?

लेखक पेशे से पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक भी हैं।

 


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