नाम बदलना हो तो गया जी नहीं, उरुवेला बनाइए

बुद्ध की भूमि उरुवेला को पूरी तरह भुला दिया गया

मनोज अभिज्ञान

 

पर ज़रा ठहरिए।

हिंदू धर्म में असुरों को कभी सम्मान का पात्र नहीं माना गया। असुर – वे जो वेद विरोधी थे, जिन्हें देवताओं का शत्रु माना गया, जिन्हें दानव, राक्षस, अधर्म का प्रतीक बताया गया। फिर आज उसी गयासुर को गया जी बना देना कैसा आध्यात्मिक उत्कर्ष है? क्या यह इतिहास के नाम पर अंधश्रद्धा की मूर्खता नहीं?

और दूसरी ओर, बुद्ध, जिन्हें खुद हिंदू परंपरा ने विष्णु का अवतार तक घोषित कर दिया, जिनकी शिक्षाओं ने पूरे एशिया को रोशन किया, जिनकी छाया में सम्राट अशोक जैसा राजा पला – उनका नाम, उनकी भूमि उरुवेला को पूरी तरह भुला दिया गया।

उरुवेला-जहाँ बुद्ध ने आत्मपीड़न को त्यागकर मध्यम मार्ग पाया।

और इस ऐतिहासिक नाम को छोड़कर, सरकार ने एक असुर के नाम में जी जोड़कर उसे मान्यता दे दी?

यह न सिर्फ इतिहास से ग़द्दारी है, बल्कि तर्क का भी अपमान है।

यह बुद्ध की भूमि को असुरों का तीर्थ बनाने जैसा है।

नाम बदलना हो तो गया जी नहीं, उरुवेला बनाइए।

जहाँ जी अपने आप जुड़ जाए, क्योंकि वह ज्ञान की भूमि है।

 


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