ग्रामीणों ने एक दलित युवक के साथ प्रताडऩा की हदें पार कर दी
कुत्ते का बेल्ट पहनाकर घुमाया-पीटा, सुई चुभोई, गुप्तांग से बाल नोंच लिए, निर्वस्त्र कर वीडियो बना डाला
दक्षिण कोसल टीमजाति है की जाती नहीं! सक्ती जिले में मालखरौदा थाना क्षेत्र में एक दलित युवक से बर्बरता की हदें पार कर दी गई। जातिगत गालियां दी गई। सिर के बाल काट दिए। उसे नग्न कर रातभर पीटा। गले में कुत्ते का बेल्ट पहनाया, बाल काटे, शरीर में पिन और सुई चुभोई गई। गुप्तांग के बाल नोच लिए। इतना प्रताडि़त करने के बाद नग्न अवस्था में ही गांव में घुमाकर उसका वीडियो वायरल कर दिया। पुलिस ने मामले में 7 लोगों को हिरासत में लेने की बात की है और अन्य लोगों की तलाश में जुटी बताई हैं।

प्रगतिशील छत्तीसगढ़ सतनामी समाज ब्लाक मालखरौदा के अध्यक्ष जीआर बंजारे ने पुलिस में 7 आरोपियों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज करवाया और इस अमानवीय घटना पर पुलिस ने प्रमुखता के साथ कार्रवाई करते हुए आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (नृशंसत निवारण) अधिनियम 1989 (संशोधन 2015) के तहत 10 धाराओं में मामला पंजीबद्ध कर तत्काल आरोपियों की गिरफ्तारी की बात की हैं।
युवक को इलाज के लिए मेडिकल अस्पताल रायगढ़ में भर्ती कराया गया, जहां से डिस्चार्ज होकर वह शुक्रवार की देर रात थाने पहुंचा। प्रताडऩा की हदें पार करने वाली ये वारदात ग्राम बड़े रबेली की है। मामले में 'दक्षिण कोसल' ने पुलिस अधीक्षक अंकिता शर्मा से बात की, उन्होंने बताया कि पूरे मामले में पुलिस ने स्वयंसंज्ञान लेकर आरोपियों के खिलाफ पहले एफआईआर दर्ज की और सभी सातों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया हैं।
पुलिस के अनुसार बासीन निवासी राहुल अंचल (21वर्ष) 8 अप्रैल की रात बड़े रबेली पहुंचकर 16 वर्षीय युवती से बात कर रहा था। उसे बात करते हुए ग्रामीणों ने देख लिया और वे भडक़ गए। उन्होंने राहुल की रातभर पिटाई। अगली सुबह उसे बीच चौराहे में ले गए और फिर नग्न कर मारा।
मारपीट से युवक को सिर, आंख और शरीर के अन्य हिस्सों में गंभीर चोटें आई हैं। उसे इलाज के लिए मेडिकल अस्पताल रायगढ़ में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के बाद शुक्रवार की शाम उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। एसडीओपी मनीष कुमार ने बताया कि मामले में बीएनएस और एससीएसटी एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया है। पांच लोगों को हिरासत में लिया गया है और वारदात में शामिल अन्य लोगों की पहचान की जा रही है।
मानवाधिकार कार्यकर्ता डिग्री प्रसाद चौहान ने इस पूरे मामले में कहा कि यह मॉरल पुलिसिंग का मामला है। भीड़ द्वारा पारंपरिक मान्यताओं के आधार पर सही और गलत का निर्धारण कर सजा देने का छत्तीसगढ़ में यह भयंकर उदाहरण हैं। इस पूरे मामले में सबसे अच्छा पहलू यह है कि पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए कानून के पक्ष में संवेदनशील होने का साहस दिखाया।
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