चर्चित आदिवासी नेता मनीष कुंजाम सहित 10 वनकर्मियों के घरों पर छापा

तेंदूपत्ता बोनस घोटाले के मामले में एसीबी और ईओडब्ल्यू की संयुक्त कार्रवाई

सुशान्त कुमार

 

आरोप है कि अशोक कुमार पटेल डीएफओ वनमंडल सुकमा के द्वारा लोकसेवक के पद पर पदस्थ होते हुए अपने पद का दुरूपयोग करते हुए वन विभाग के अधिकारियों एवं वनमंडल से संबंधित विभिन्न प्राथमिक लघुवनोपज समिति के प्रबंधकगण एवं पोषक अधिकारीगण के साथ मिलकर आपराधिक षडय़ंत्र कर साल 2021 एवं साल 2022 सीजन के तेंदुपत्ता प्रोत्साहन पारिश्रमिक हेतु संग्राहकों को प्रदान किए जाने वाली 7 करोड़ रुपए का एक बड़ा हिस्सा संग्राहकों को वितरित न करते हुए मिलीभगत की थी।

द वायर हिन्दी ने खबर बनाया है कि इंडियन एक्सप्रेस द्वारा संपर्क किए जाने पर कुंजाम ने दावा किया कि उन्हें ‘निशाना बनाया जा रहा है।’ उन्होंने यह भी कहा कि मामले में मूल शिकायत उन्होंने ही की थी। उन्होंने दावा किया, ‘पुलिस ने मेरे दो फोन और मेरी डायरी ले ली हैं। मैं अकेला शिकायतकर्ता हूं। 10 मार्च को डीएफओ को निलंबित किए जाने के बाद भी हमने फिर से विरोध प्रदर्शन किया और जिला कलेक्टर से उनके खिलाफ कार्रवाई करने और लाभार्थियों को पैसे देने की मांग की।’ 

इस छापामार कार्रवाई में संदेहियों के निवास स्थानों एवं अन्य जगहों से प्रकरण के संबंध में महत्वपूर्ण दस्तावेज, मोबाईल, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, कई बैंक एकाउंट एवं निवेश से संबंधित दस्तावेज प्राप्त हुए हैं। डीएफओ कार्यलय सुकमा के कर्मचारी राजशेखर पुराणिक के निवास से 26,63,700 रुपए नगद सर्च के दौरान जप्त किया गया हैं। 

इस दौरान तेंदूपत्ता वन समिति गोलापल्ली प्रबंधक सत्यानारायण, कोंटा समिति प्रबंधक मोहम्मद शरीफ, पालाचलमा प्रबंधक सीएच रावणा, ऐराबोर प्रबंधक मितेन्द्र सिंह, जग्गावरण प्रबंधक कवासी मनोज, पेद्दो बोडक़ेल प्रबंधक नुप्पो सुनील, फूलबगड़ी प्रबंधक राजशेखर पुराणिक, जगरगुंडा प्रबंधक रवि गुप्ता तथा मिचीगुड़ प्रबंधक कोरसा आयतु के घर छापेमारी की गई हैं। 

सूत्रों की माने तो राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सुकमा जिले में ही यह प्रदेश के लगभग 15 लाख तेंदूपत्ता संग्राहक लोगों को 50 करोड़ रुपए का चरणपादुका वितरण करने हेतु जो टेंडर किया गया था, उसमें से भी संकेत ठीक नहीं आ रहे हैं। घोटाला नजर आ रहा है। 12 लोगों ने टेंडर भरा था, जिसमें 8 के टेंडर निरस्त क्यों हुए तकनीकी रूप से इसकी जानकारी छत्तीसगढ़ राज्य लघु वन सहकारी उपज संघ के प्रबंध संचालक बता सकते हैं।

लेकिन राजधानी रायपुर और सुकमा में जो चर्चा हैं कि वह ताकतवर अदृश्य शक्ति ने गोलमाल किया और मुख्यमंत्री विष्णुदव साय के 9 अप्रैल को दिए गए जीरो टॉलरेंस वाली कहावत को नजरअंदाज करते हुए 20 प्रतिशत कमीशन की बात कर ली। अब सच्चाई कितनी हैं यह तो धीरे धीरे बाद में सामने आएगा हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं लेकिन सूत्र भी कमजोर नहीं हैं...?

बहरहाल बस्तर के आदिवासियों के लिए तेंदूपत्ता एकत्र करना आजीविका के प्रमुख साधनों में से एक हैं। लगभग सभी आदिवासी परिवार गर्मी के महीनों में यह काम मेहनत के साथ करते हैं। आदिवासी इसे सरकारी प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों को बेचते हैं, जिन्हें स्थानीय वन विभाग द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

 


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