अवैध प्लॉटिंग की जमीन खरीद कर खरीदार बेचने वाले भू-माफियाओं से भयभीत
न्याय के लिए जिला प्रशासन से लगाई गुहार, अबतक गिरफ्तारी नहीं
सुशान्त कुमारराजनांदगांव शहर के ऋृद्धी-सिद्धी कालोनी स्थित आधा दर्जन परिवार के जमीन के बाउंड्रीवॉल को जेसीबी से जमींदोज किए जाने के मामले में जमीन बेचने वाले जैन परिवार पर साजिश के तहत परेशान करने और जमीन माफियागिरी का आरोप लगा है। पूरे मामले में बसंतपुर थाना में एफआईआर दर्ज किया है।
पीडि़तों ने ‘दक्षिण कोसल’ को बताया कि आधा दर्जन बुजुर्गों ने जैन परिवार पर सीमांकन प्रक्रिया में बेवजह आपत्ति करने को धोखाधड़ी करार दिया है। जेसीबी ग्राम मोखली में स्थित खदान में खड़ा पाया गया। प्राथमिक जानकारी के अनुसार यह दोनों खदान और क्रशर निर्मलचंद जैन और अंकित जैन द्वारा संचालित किया जाता है। प्रशासन से कार्रवाई की मांग की गई है। इसके अलावा जैन परिवार पर 38 से ज्यादा लोगों को भी अनावश्यक तौर पर परेशान करने का आरोप लगाया गया है।
लगभग 1 साल पहले 3 मार्च 2023 में मनोज जैन संगीता जैन रोहित जैन द्वारा इन 8 परिवारों के भूमि पर जेसीबी चलाया गया था। पुराने कॉलम को तोडऩे की कोशिश की गई थी, आठों परिवार के प्लाट कि चौहद्दी के खम्बों को तोडक़र जमीन को बराबर करने की कोशिश किया गया, हूमन साहू नामक व्यक्ति को बेचने की कोशिश की गई थी, जिसकी शिकायत बसंतपुर थाने में दर्ज की गई थी तथा पंजीयन कार्यालय राजनांदगांव में खसरा नंबर 506, कौरिनभाटा पर भूमि प्लॉट के क्रय विक्रय एवं रजिस्ट्री को प्रतिबंधित करने हेतु आवेदन दिया गया था।
31 मार्च 2003 को, कॉलम तोड़े जाने की घटना की जानकारी देते हुए कलेक्टर राजनांदगांव को आवेदन लिखा गया था, इस समय रमेश चंद्र शुक्ला द्वारा सीमांकन आवेदन तथा सुलोचना गनवीर द्वारा सीमांकन आवेदन लंबित था, इसलिए कलेक्टर, राजनांदगांव से यह निवेदन किया गया था सीमांकन प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए निर्देश दें इस पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई थी।
लंबित आवेदन पर कार्रवाई करने के लिए तहसीलदार राजनांदगांव को भी आवेदन दिया गया था। दवन लाल कटरे का नगर निगम के रिकॉर्ड में नामांतरण हुआ है, नगर निगम ने उसका नोटिस निकाला विज्ञापन निकाला और उसके बाद नामांतरण की प्रक्रिया पूरी हुई उसमें कहीं भी कभी भी किसी की भी आपत्ति नहीं आई। रोहित जैन ने भी आपत्ति नहीं की है, उनका भी दीवार गिराया गया है।
सुलोचना गनवीर, रमेश प्रसाद शुक्ला, सविता डे, महेश खोब्रागढ़े, रश्मि पांडे समेत अन्य लोगों ने बताया कि साल 2002-03 में आठों खरीददारों ने बाउंड्रीवाल चौहद्दी की निशानदेही के लिए बनवाए थे। बयनामा रजिस्ट्री में जमीन को खरीददारों का दिखाया गया था और मौके पर खूंटा गाडक़र भूमि का कब्जा सौंपा गया था। इसके बाद जैन परिवार ने परेशान करने के उद्देश्य से सीमांकन में हमेशा अड़चने खड़ी की। सडक़े बनने में भी बाधा पैदा की। जिसके चलते पीडि़तों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
जैन परिवार पर सामूहिक रूप से षडयंत्र करने का आरोप लगाते हुए बताया कि जमीन बेचने और कब्जा देने के बाद से संगीता जैन जैन, अर्चना जैन, मनोज जैन, मधुलता जैन, सुशीला जैन और रोहित जैन द्वारा सीमांकन में आपत्ति की जा रही है।
घटनाक्रम जिसके बाद एफआईआर दर्ज हुई
रश्मि पांडे (बेवा, उम्र 70 साल), नीराबाई साहू (उम्र 80 साल), स्वर्गीय दवन लाल कटरे, सुलोचना गनवीर (उम्र 73 साल, रिटायर्ड शिक्षिका), रमेश प्रसाद शुक्ला (उम्र 70 साल, रिटायर्ड), सविता डे (उम्र 72 साल, रिटायर्ड शिक्षिका), महेश खोबरागड़े (उम्र 55 साल, शासकीय उपक्रम पंजाब में सेवारत) यह वह लोग हैं जिनके बाउंड्री वालों को 27-28 जनवरी की रात को 1:30 बजे, रोहित जैन द्वारा जेसीबी चलवा कर तोड़ा गया है। ( पुलिस ने मुस्तादी से काम करते हुए 28 जनवरी की शाम तक जेसीबी को जप्त कर लिया था और रोहित जैन के खिलाफ भान्यासं (बीएनएस) 2023 329 (1), भान्यासं (बीएनएस) 2023 324 (5) के तहत एफआईआर दर्ज कर लिया गया था।)
पीडि़तों की मांग
आठों खरीदारों द्वारा यह बाउंड्रीवाल उस चौहद्दी की निशान देही के लिए बनवाए गये थे, प्रशासन इस पर कार्रवाई नहीं कर रहा है। रोहित जैन द्वारा 27-28 जनवरी की रात को जेसीबी से बाउंड्रीवाल तोड़वाया गया। पुलिस ने 28 जनवरी की शाम को जेसीबी को जब्त कर लिया और रोहित जैन के खिलाफ अपराध दर्ज किया है, लेकिन उसकी गिरफ्तारी नहीं हुआ है।
पीडि़तों ने आरोप लगाया कि तेन्दूपत्ता व्यापारी अंकित जैन के नाम पर भी डराया-धमकाया जा रहा है। पीडि़तों का कहना है कि खसरा नंबर 506 कौरिनभाटा राजनंदगांव का दोबारा सीमांकन, 38 परिवारों के पास जो रजिस्ट्री कागज में चौहद्दी दिखाया गया है उसके अनुसार, जल्दी से जल्दी किया जाए।
अपने द्वारा विक्रय किए गए भूमि रजिस्ट्री में उल्लिखित चौहद्दी पर उन्हीं के द्वारा किए गए आपत्ति को आधार बनाकर मधुलता जैन, संगीता जैन, मनोज जैन पर धोखाधड़ी का अपराध पंजीबद्ध किया जाए।
जैन परिवार द्वारा किन्हे परेशान किया जा रहा है
इन आठ लोगों के अलावा ऐसे 30 परिवार और हैं जिन्हें जैन परिवार ने परेशान करके रखा है, उनका सीमांकन नहीं होने दिया जाता है, सडक़ नहीं बनने दी जाती है जिससे धूल के कारण दमे की और फेफड़ों की समस्या आई है लोगों को और सडक़ नहीं बने होने के कारण जो गड्ढे हैं उनके कारण तीन लोगों को रीड की हड़ी में चोट आई है। इस मामले को लेकर पीडि़तों ने और भी आरोप लगाए हैं।
प्रशासनिक मिलीभगत की कहानी वर्तमान में हो रहे विवादों से नहीं बल्कि इसकी शुरुआत 2002-2003 से हो चुकी है जहां तत्कालीन पटवारी से मिली भगत कर बिना अप्रूवल नक्शा के प्लाट काट कर बिक्री कर दिया गया जो जमीन निजी थी उसे रोड दिखा दिया गया, सरकारी नुमाइंदों का चेहरा देखकर लोगों ने विश्वास किया और ठगी करने वाले के झांसे में आकर मौके पर स्थित 38 परिवारों ने वह धोखा खाया कि आज तिल तिल कर रोने मजबूर हो गए हैं।
क्या है पूरा मामला?
रोहित जैन, मनोज जैन और संगीता जैन तीनों एक दूसरे पर आरोप लगाते हैं कि रजिस्ट्री में जो चौहद्दी दर्शाया है वह गलत है, उन्होंने धोखाधड़ी की है, वह जमीन उनकी नहीं है, गलत जगह पर जमीन बेची है, लेकिन जब आधिकारिक तौर पर काबिज 8 पारिवारों द्वारा सीमांकन के लिए उन्हें बुलाया गया तो मधुलता जैन, मनोज जैन और संगीता जैन उपस्थित नहीं हुए लेकिन अपनी जगह किसी और को भेज कर सीमांकन पर आपत्ति दर्ज कराई।
मधुलता जैन, रोहित जैन, संगीता जैन, मनोज जैन या इनके द्वारा भेजा गया व्यक्ति यह जब भी सीमांकन में आता हैं तो कभी यह नहीं दिखाते कि उनके कब्जे वाली जमीन की चौहद्दी कहां से कहां तक है। बस उनके द्वारा यह कहा जाता है कि उन्हें नक्शे की जानकारी नहीं है और कोर्ट से स्टे लगा हुआ है।
इस परिवार की षड्यंत्र की मंशा तब और ज्यादा स्पष्ट हो जाती है जब अभी 20 दिन पहले इन्हीं के परिवार की एक दूसरी जमीन जो इस खसरे में है, सुभाषचंद विमल चंद जैन तथा अशोक विमल चंद जैन के नाम से, उनके सीमांकन में ना ही जैन परिवार को आपत्ति हुई और ना ही प्रशासन को इस बात से आपत्ति है। इससे और भी स्पष्ट हो जाता है की सीमांकन का कार्य जैन परिवार के इशारों पर ही चल रहा है और प्रशासन उनके स्तरों पर यह कर रहा है। क्या यह स्पष्ट संकेत नहीं है कि प्रशासन की प्रक्रिया जैन परिवार की मर्जी से और उनके इशारे से चल रही है।
इस पूरे षडयंत्र की शुरुआत 2009 में संगीता जैन द्वारा किया गया। 2003 तक सारी जमीन बेच देने के 6 साल बाद संगीता जैन ने तहसीलदार के सामने आवेदन प्रस्तुत किया कि उनके पास अपनी भूमि का कोई नक्शा नहीं है, इसलिए खसरा नंबर 506, कौरिनभाटा का पुन: बटांकन किया जाए। 2014 में इसी आवेदन पर अनुविभागीय अधिकारी, राजनांदगांव ने पुन: बटांकन किए जाने का आदेश दिया। इस पूरे प्रकरण की कोई जानकारी और 38 खरीदारों में से किसी को नहीं दी गई।
जबकि 2003 के अंत तक खसरा नंबर 506 का विभाजन 43 अलग-अलग खसरों में हो चुका था, खरीदारों ने अपनी अपनी भूमि अपने कब्जे में ले ली थी। यदि मनोज जैन, संगीता जैन, मधुलता जैन इनमें से किसी को भी विक्रयशुदा जमीन, जिसकी चौहद्दी रजिस्ट्री में दर्ज है, उससे कोई आपत्ति है तो उन पर धोखाधड़ी का मुकदमा चलाया जाए।
पीडि़तों का कहना है कि आपराधिक प्रकरण रोहित जैन पर भी चलाया जाए क्योंकि 2014 के एसडीएम के आदेश की जानकारी होने के बाद भी, पीडि़तों को खबर किये बिना फर्जीवाड़ा करके उसने अपना सीमांकन कराया है, भूमि पर वास्तविक कब्जा अन्य भूस्वामियों का होने की जानकारी के बावजूद, जिनका कब्जा होने के निशान कालम मौजूद थे, उसने उसे भूमि को अपना बताकर उसका सीमांकन करवाया है।
विवादास्पद खसरा नंबर 506 जिसको की सुशीला जैन, अर्चना जैन, संगीता जैन, मनोज जैन, एवं इंदरचंद जैन, जैन परिवार ने 2001-02 मे प्लाटिंग की उसका लेआउट नक्शा बनाया, उसमें सडक़ और प्लाट का लोकेशन दर्शाया। 2001 से 2003 के बीच जैन परिवार ने 38 खरीदारों को इसी ले आउट (नक्शे) के अनुसार सडक़ और प्लॉट दिखाए, बेचे गए प्लाटों की रजिस्ट्री की और खुद उपस्थित होकर, चौहद्दी में खूंटे गड़ाकर, कब्जा सौंपा।
2015 में रोहित जैन ने पीडि़तों की जो जमीन है उसे पर तार गिरने की कोशिश की जिसको पीडि़तों ने प्रशासन और पुलिस से शिकायत करके हटाए। पीडि़तों ने संतुष्टि के लिए सीमांकन का आवेदन लगाया, लेकिन रोहित जैन की तरफ से आपत्ति किया जाता है कि सीमांकन नहीं होना चाहिए। पहले दलील यह देता है कि इस पर कोर्ट ने रोक लगाया है जो कि सरासर झूठ है।
प्रशासन के सामने जो बातें स्पष्ट हैं
जैन परिवार ने खसरा नंबर 506, कौरिनभाटा का नक्शा बटांकन नहीं कराया था, पूरी जमीन का एक लेआउट बनाकर बेच दिया था, जैसा कि एसडीएम के आदेश से स्पष्ट है।
आयुक्त नगर निगम ने अवैध कॉलोनी निर्माण का अपराध पंजीबद्ध करने हेतु थाना प्रभारी सिटी कोतवाली राजनांदगांव को 30 जनवरी 2016 को पत्र लिखा था; तथा खसरा क्र. 506, कौरिनभाटा पर लेआउट में दर्शाये गये रास्ता अनुसार आवागमन के लिए उपयोग हो रहे रास्ते को राजस्व अभिलेख में मर्ग दर्ज करने हेतु पत्र लिखा था। इन निर्देशों के खिलाफ संगीता जैन और रोहित जैन के द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। निष्कर्ष यह निकलता है कि जैन परिवार बहुत पहले से भूमि के अवैध प्लाटिंग तथा क्रय विक्रय के अवैध कारोबार में लगा हुआ है।
हाईकोर्ट में चल रहे रिट पिटीशन की जानकारी
माननीय हाई कोर्ट ने 10 मार्च 2016 को जो अंतरिम राहत देते हुए कहा है कि अगली सुनवाई की तिथि तक, आक्षेपित आदेश का वह भाग, जिसमें भूमि को सडक़ के रूप में चिह्नित करने का निर्देश दिया गया है, प्रभावी नहीं होगा।
याचिकाकर्ताओं ने प्रतिवादी संख्या 4, आयुक्त, नगर निगम, राजनांदगांव द्वारा 3 फरवरी 2016 को जारी स्मरण पत्र तथा याचिकाकर्ताओं की भूमि पर अवैध रूप से कब्जा करने की प्रतिवादयों की कार्रवाई को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है। प्रतिवादी संख्या 4 ने पुलिस थाना सिटी कोतवाली, राजनांदगांव के थाना प्रभारी को भी निर्देशित किया है कि वह छत्तीसगढ़ नगर निगम अधिनियम की धारा 292 (सी) (3) के तहत दंडनीय अपराध के लिए याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करें।
बहरहाल यदि प्रशासन जैन परिवार की बहकावे में ना आकर कोर्ट की कागज को ठीक से पड़ता तो अभी तक सीमांकन का कार्य पूरा हो चुका होता। जैसा रोहित जैन ने बहुत बार कहा है कि मनोज जैन अंकित जैन की पहुंच बहुत ऊपर तक है और वह फोन कर देंगे तो सीमांकन रुक जाएगा।
इस प्रकार कोर्ट के नाम पर भ्रम फैला कर और अपने रसूख का इस्तेमाल करके सीमांकन नहीं होने दिया जाता है इसीलिए बात यहां तक पहुंची है। भविष्य में कोई और घटना होती है जान माल की हानि होती है तो इसके लिए सिर्फ और सिर्फ प्रशासन जिम्मेदार होगा।
Add Comment