ओबीसी आरक्षण पर बवाल

ओबीसी आरक्षण में कटौती बना मुद्दा

दिलीप साहू

 

दरअसल, प्रदेश की भाजपा सरकार ने विधानसभा में पंचायत और नगरीय निकायों में ओबीसी आरक्षण को लेकर नए विधेयक पास किए है। जिससे ओबीसी वर्ग को मैदानी क्षेत्रों में लाभ तो मिल रहा है, लेकिन अधिसूचित यानी आदिवासी बहुल क्षेत्रों में ओबीसी आरक्षण शून्य हो गया है। 

पहले कुल 50 फीसदी आरक्षण में से 25 फीसदी ओबीसी और 25 फीसदी ST, SC के लिए था। नया विधेयक 2011 की जनगणना को आधार मानकर लाया गया है। अभी 33 जिले में से 16 जिले और 85 ब्लॉक अधिसूचित क्षेत्र होने की वजह से यहां ओबीसी का आरक्षण शून्य हो गया है।

वहीं उपमुख्यमंत्री अरुण साव का कहना है कि जनसंख्या के अनुपात में किए गए आरक्षण के कारण नगरीय निकाय के आरक्षण में विशेष अंतर नहीं पड़ा, परन्तु ग्रामीण क्षेत्र में 33 में से 16 जिले अधिसूचित जिले है तथा राज्य में अनुसूचित जाति की जनसंख्या 12.72% है।

उस अनुपात में 4 सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हुई है। इस तरह से कुल 33 में से 20 सीटें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हुई, जोकि 50% से अधिक है।

इसलिए अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष का कोई पद आरक्षित नहीं हो पाई है। जबकि जिला पंचायत सदस्य, जनपद पंचायत अध्यक्ष, जनपद पंचायत सदस्य, सरपंच, पंच के पदों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए नियमानुसार पद आरक्षित हुए है। इस प्रकार राज्य सरकार ने जो आरक्षण निर्धारित किया है, वह सर्वोच्च न्यायालय के नियमानुसार ही है।

वहीं ओबीसी के आरक्षण के मसले पर कांग्रेस पूरे प्रदेश में 15 जनवरी को सभी ज़िला मुख्यालयों में धरना-प्रदर्शन करेगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा- हमारी सरकार में बस्तर से सरगुजा तक 25 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था थी। 

भाजपा सरकार की आरक्षण व्यवस्था से ओबीसी समाज को बड़ा नुक़सान हुआ है। राजभवन में पेंडिंग आरक्षण विधेयकों को पास करवा कर आरक्षण का लाभ देना था. आने वाले चुनाव में ओबीसी वर्ग प्रदेश सरकार को मुंहतोड़ जवाब देगी. सरकार इस मसले पर फँस चुकी है।

बहरहाल, भाजपा का दावा है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार जुलाई 2024 में आयोग का गठन किया। आयोग ने ओबीसी की आरक्षण के लिए प्रावधान तय किए है। उसी के अनुसार विधानसभा में आरक्षण के प्रावधान किए गए है...ST और SC के जनसंख्या के अनुरूप ओबीसी को अधिकतम 50 प्रतिशत तक आरक्षण मिल सकता है।

इस वजह से कई नगर निगमों में ओबीसी को 30 प्रतिशत तक आरक्षण मिला है। वहीं कई क्षेत्रों में ओबीसी की आरक्षण कटौती को लेकर कांग्रेस 15 जनवरी को प्रदेशभर में धरना-प्रदर्शन करेगी। पक्ष - विपक्ष के दावों के बीच अब देखना दिलचस्प होगा कि ओबीसी समाज किसे अपना सच्चा हितैषी मानते है?


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