पत्रकार मुकेश चन्द्राकर की हत्या की आशंका, देशभर से पत्रकारों की कड़ी प्रतिक्रिया
नववर्ष 1 जनवरी से थे लापता, फांसी की सजा की उठी मांग
सुशान्त कुमारबस्तर क्षेत्र के नामचीन पत्रकार तथा बस्तर जंक्शन के सम्पादक मुकेश चंद्राकर के 1 जनवरी से लापता हो जाने की खबरें सोसल मीडिया में लगातार वायरल हो रही थी। उनके भाई यूकेश ने सोशल मीडिया में अपील की थी कि सभी पत्रकार, सभी प्रेस क्लब, पत्रकार संगठन, बुद्धिजीवी, समाजसेवी, विभिन्न धर्मों के प्रमुख तथा आमजन तैयार रहें। आप सबकी ज़रूरत है, कुछ देर बाद लाइव आकर सारी जानकारी साझा करूंगा।

इसके कुछ देर बाद उन्होंने लिखा कि मेरा भाई मुकेश चंद्राकर 1 जनवरी की शाम से लापता है, किसी को भी कोई भी जानकारी हो तो कृपया मुझे तुरंत सूचित करें। पुलिस ने बरामद लाश की पहचान मुकेश चन्द्राकर के नाम से की है। इस घटना के पीछे किसी कंस्ट्रक्शन ठेकेदार का नाम संदेही के रूप मे सामने आ रहा है क्योंकि इसके स्वामित्व क्षेत्र में पत्रकार साथी का मृत शरीर बरामद हुआ है।
एक सांध्य अखबार के अनुसार बस्तर के एक प्रमुख और सक्रिय पत्रकार मुकेश चंद्राकर एक जनवरी से लापता थे, और आज बीजापुर में एक चंद्राकर ठेकेदार के अहाते में उनका शव मिलने की खबर है। पुलिस ने इस अखबार से बात करते हुए इसकी पुष्टि की है। साथ ही यह भी माना है कि यह स्पष्ट रूप से हत्या का मामला दिख रहा है, और इसका नक्सलियों से कोई लेना नहीं है।
कुछ दिन पहले एक टीवी चैनल ने बस्तर के एक बड़े सडक़ निर्माण ठेके को लेकर एक रिपोर्ट बनाई थी, और ऐसा पता लगा है कि ठेकेदार ने इस रिपोर्ट में मुकेश चंद्राकर का भी सहयोग मानकर उन्हें बात करने के लिए बुलाया था। कल रात 8 बजे से मुकेश चंद्राकर और ठेकेदार के भाई दोनों के फोन बंद होने की चर्चा थी, और आज पुलिस ने इस ठेकेदार के अहाते में सैप्टिक टैंक पर कुछ ताजा निर्माण देखकर उसे तोड़ा, और भीतर से एक शव मिला है जो कि मुकेश चंद्राकर का पाया गया।
पत्रकार आवेश तिवारी ने लिखा है कि मुकेश चंद्राकर की हत्या कर उसकी लाश सेप्टिक टैंक में छिपाई गई थी। इसका खुलासा आज हुआ है। मुकेश चंद्राकर नए साल यानी एक जनवरी से लापता था। इसकी शिकायत परिजनों ने बीजापुर पुलिस से की थी। इस शिकायत के बाद मुकेश चंद्राकर की लगातार खोजबीन की जा रही थी।
माखनलाल सोरी ने लिखा है कि बीजापुर जिले में पीडि़त शोषित व्यक्तियों, आदिवासी समुदाय के लिए समर्पित साथी अब नहीं रहें। हत्यारे को फांसी की सजा होनी चाहिए।
पत्रकार प्रियंका कौशल ने लिखा है कि मुकेश चंद्राकर को लेकर मिल रही सूचना अत्यंत पीढ़ादायी व दिल दहला देने वाली है। एक होनहार, साहसी, जाबांज पत्रकार की हत्या सिस्टम पर सवाल खड़े कर रही है।
भड़ास मीडिया के कन्हैया शुक्ला ने सोशल मीडिया का हवाला देते हुए लिखा है कि पत्रकार मुकेश का ये कसूर था की वो ठेकेदार सुरेश चन्द्राकर द्वारा बनाई गई सडक़ की रिपोर्टिंग कर दिए...। मिरतुर से हिरोली गंगालूर सडक़ जिसकी लागत 56 करोड़ लगभग थी वह काम 120 करोड़ का हो गया...। उसके बाद भी सडक़ गुवत्ताहीन बनी इसी सडक़ की सच्चाई मुकेश ने अपने साथी पत्रकार नीलेश के साथ 30 दिसम्बर को प्रकाशित कर दी जिसके बाद छत्तीसगढ़ के विभागीय मंत्री अरुण साव ने जांच कमेटी बनाकर जांच के आदेश दे दिए...!
सिद्धार्थ मोहन ने लिखा है कि आज शाम मुकेश की ठेकेदार के घर में बने सेप्टिक टैंक से लाश बरामद हुई। मुकेश की पीठ पर घाव होने की सूचना मिली। और लाश को सेप्टिक टैंक में डालकर ऊपर से कंक्रीट की एक लेयर बिछा दी गई।
पत्रकार सुशील मानव ने लिखा है कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने पत्रकार मुकेश चंद्राकर की लाश एक ठेकेदार के सेप्टिक टैंक के नीचे से बरामद की है। वो 1 जनवरी से लापता थे। प्रारंभिक जांच से यह अंदेशा जताया जा रहा है कि सडक़ निर्माण में भ्रष्टाचार को लेकर ठेकेदार के साथ मुकेश का विवाद हुआ था और इसी विवाद में उनकी हत्या की गई।
शिवम् जायसवाल ने लिखा है कि कुछ दिनों पहले 120 करोड़ की लागत से बनी एक सडक़ की क्वालिटी पर स्टोरी की थी जिसमें जबरदस्त महाघोटाले की पोल खुली। जिससे दबाव में आकर छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार को सडक़ बनवाने वाले ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के खिलाफ जांच बैठानी पड़ी। फिर दो दिनों पहले ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के भाई नरेश ने बहादुर पत्रकार मुकेश को मिलने के लिए बुलाया।
और आज शाम मुकेश की ठेकेदार के घर में बने सेप्टिक टैंक से लाश बरामद हुई। लाश को सेप्टिक टैंक में डालकर ऊपर से कंक्रीट की एक लेयर बिछा दी गई। आपको बता दूं, मुकेश चंद्राकर उन कुछ बहादुर पत्रकारों में से एक थे, जिन्होंने नक्सलियों के चंगुल से सीआरपीएफ के जवानों को छुड़ाकर ले आए थे। ऐसे बहादुर पत्रकार की हत्या हो जाना छत्तीसगढ़ में भाजपा के जंगलराज को दिखाता है।
मानवाधिकार कार्यकर्ता डिग्री चौहान ने बताया कि हालांकि अभी पुष्टि होना बाकी है, महत्वपूर्ण तथ्य यह कि माओवाद प्रभावित क्षेत्र मे ठेकों और निर्माण कार्यों में मूल्यांकन और ऑडिट में ढील दिए जाने के कारण पूंजी और मुनाफा का प्रवाह बहुत तीव्र है। पिछले दिनों ठेकेदार के पारिवारिक समारोह में थाईलैण्ड से नर्तकियां बुलाया गया था और मेहमानों को महंगे गिफ्ट बांटे गए थे।
यहां एक बात और सामने आ रहा है कि ठेका और भ्रष्टाचार से संबंधित समाचार पिछले दिनों एनडीटीवी के पत्रकार निलेश त्रिपाठी ने चलाया था और मुकेश चंद्राकर भी शायद एनडीटीवी से जुडे हुए थे, इसी कारण से इस हत्याकांड को अंजाम दिया जाना प्रतीत हो रहा है। यह भी सुनने मे आ रहा है कि कथित रूप से एनडीटीवी मुकेश चंद्राकर को एक स्वतंत्र पत्रकार के रूप मे बता रहा है। अगर ऐसा है तो यह बहुत ही गैर जिम्मेदाराना रवैया है कि वह मीडिया संस्थान अपने पत्रकार के साथ खड़ा नहीं दिख रहा है।
बस्तर के पत्रकार तथा फिल्म कलाकार मंगल कुंजाम ने लिखा है कि बहुत ही दु:खद खबर बीजापुर जिले के पत्रकार साथी मुकेश चन्द्राकर की हत्या कर दी गई है, जिसने भी हत्या की हैं, उन्हें फांसी की सजा होनी चाहिए।
वरिष्ट पत्रकार सुदीप ठाकुर ने लिखा है कि बीजापुर के संभावनाओं से भरे युवा पत्रकार साथी मुकेश चंद्रकार की हत्या की खबर विचलित करने वाली है। यह हत्या उस बस्तर में हुई है, जहां केंद्रीय गृह मंत्री ने मार्च 26 तक नक्सलियों के सफाए का ऐलान किया है। यह हत्या उस बस्तर में हुई है जहां की नक्सली हिंसा पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नक्सली हिंसा को देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया था।
यह हत्या उस बस्तर में हुई है जहां से ठेकेदारों और औद्योगिक घरानों की मनमानी की खबरें आती रहती हैं। यह हत्या उस बस्तर में हुई है, जहां कभी सरकारी कारिंदे अपनी पोस्टिंग को कालापानी समझते थे। यह हत्या उस बस्तर में हुई है, जहां आदिवासी तमाम धमकियों के बावजूद लोकतंत्र को जिंदा रखे हुए हैं और उनके साथ मुकेश जैसे साथी जमीन पर कदम से कदम मिलाकर खड़े रहते हैं।
मुकेश राजधानियों से दूर बस्तर के घने जंगलों में पत्रकारिता कर रहे थे। मैंने उन्हें पहली बार उनके यूट्यूब चैनल में देखा था, जिसकी शुरुआत में ही वह कहते थे कि आप बस्तर जंक्शन देखना शुरू कर चुके हैं...। मुकेश रायपुर और दिल्ली से आने वाले पर्यटक पत्रकार नहीं थे। वह उन खबरिया चैनलों के पत्रकार नहीं थे जो ‘ग्राउंड जीरो’ की रूमानियत की कहानियों के सहारे अपने करिअर का ग्राफ ऊंचा करते हैं। वह उन लेखकों-पत्रकारों जैसे भी नहीं थे, जिन्हें लगता है कि दो तीन बार की बस्तर की यात्रा के बाद किताबें लिख कर बस्तर के विशेषज्ञ हो गए। मुकेश सही मायने में ग्राउंड जीरो के पत्रकार थे। यह ग्राउंड जीरो तो उनका घर ही था।
उनकी हत्या की वजहें अभी पता नहीं है, लेकिन उनके साथ जो हुआ है वह रोंगटे खड़े कर देना वाला है। बस्तर को जीने वाले इस जांबाज पत्रकार को सलाम!
कृषि वैज्ञानिक संकेत ठाकुर कहते हैं कि वह आदमी चला गया एक प्रश्न छोडक़र। गुनाहगार है व्यवस्था जिसने सजा दी ईमानदारी की मुकेश भाई को...बहुत विचलित हूं ...।
श्याम मीर सिंह ने लिखा है कि छत्तीसगढ़ के पत्रकार मुकेश चन्द्राकर की कल ग़ायब होने की सूचना थी। और आज एक ठेकेदार के यहां सेप्टिक टैंक में उनके शव मिलने की सूचना आ रही है। इस देश में कोई भी सुरक्षित नहीं है। मुकेश भाई की हत्या की ख़बर पर विश्वास नहीं हो रहा। क्या कहें, कुछ कहने को बचा नहीं। बस्तर, वो कैनवास जिस पर कुदरत ने अपने सबसे सुंदरतम हिस्से को उकेर दिया है और एक प्रश्न स्वर्ग सी सुंदर इस ज़मीन पर सर उठाए पूछता है?
सीधे मौत की सज़ा देते हो, वजह क्या है?/बताओ तो सही, मेरा गुनाह क्या है?/मुकेश चंद्राकर की अंतिम पोस्ट थी!
पत्रकारों के लिए मजीठिया कमीशन की मांग मनवाने वाले पत्रकार पीसी रथ ने लिखा है कि पत्रकार यूकेश चंद्राकर के भाई तीन दिन से लापता थे। यूकेश ने बताया कि 1 जनवरी 2025 की शाम युकेश और मुकेश दोनों भाइयों की बात हुई थी. इसके बाद अगली सुबह जब युकेश अपने भाई मुकेश के कमरे में गए तो देखा कि वह वहां पर नहीं थे। उनका मोबाइल भी स्विच् ऑफ बता रहा था। युकेश ने आसपास के लोग, दोस्तों और दूसरे पत्रकार साथियों से भी मुकेश के बारे में जानकारी ली। कहीं कुछ भी पता नहीं चलने पर यूकेश काफी परेशान हो गए।
3 जनवरी की शाम 5 बजे पत्रकार मुकेश चंद्राकर का शव बीजापुर के चट्टानपारा बस्ती में ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के परिसर में एक बंद सैप्टिक टंकी के अंदर से बरामद किया गया। इसके बाद शव का पंचनामा तैयार कर फॉरेंसिंक जांच की जा रही है। इस मामले में पुलिस कई संदिग्धों से पूछताछ कर रही है।
बीजापुर, बस्तर, दन्तेवाड़ा, सुकमा, कोंडागांव, नारायणपुर, कांकेर के पत्रकारों ने कल 4 जनवरी को बीजापुर बंद व दो घंटे का सांकेतिक चक्का जाम का एलान किया है।
पत्रकारों ने मांग रखी है कि -
1. बीजापुर सहित बस्तर संभाग में सुरेश चंद्राकर की जितनी भी संपत्तियां है उसे जब्त कर सरकारी संपत्ति घोषित की जाए।
2. हत्याकांड में संलिप्त सुरेश चंद्राकर, रितेश चंद्राकर और अन्य लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर तथा फांसी की सजा हो।
3. सुरेश चंद्राकर की सुरक्षा में लगाए जवानों को हटाया जाए।
4. सुरेश चंद्राकर को जारी सभी टेंडर रद्द किया जाए, सभी बैंक खाते, पासपोर्ट सील किए जाए।
5. घटना स्थल चट्टान पारा में बने अवैध बाड़ा को तत्काल निस्तेनाबूत किया जाए, गंगालूर रोड पर स्थित प्लांट सील किया जाए तथा गाडिय़ों को राजसात किया जाए।
6. पुलिस अधीक्षक बीजापुर जितेंद्र सिंह को तत्काल सस्पेंड या तबादला किया जाए।
7. युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर को शहीद का दर्जा दिया जाए।
उक्त मांगें नहीं माने जाने पर 5 जनवरी से बीजापुर में अनिश्चिकालीन चक्काजाम करने की चेतावनी दी है।
आपको विदित हो कि 22 दिसंबर को एनडीटीवी ने खबर प्रकाशित की थी; बीजापुर के गंगालूर से नेलशनार तक बन रही सडक़ की घटिया निर्माण की एनडीटीवी ने पूर्व में खबर दिखाई थी। जिले के गंगालूर-हिरौली तक सडक़ में कई गड्ढे थे। ये सडक़ 120 करोड़ रुपये की लागत से बन रही है। 52 किलोमीटर की कुल सडक़ है। 40 किलोमीटर सडक़ निर्माण का कार्य पूरा हो चुका है। खबर पर संज्ञान लेकर जगदलपुर लोक निर्माण विभाग ने जांच दल गठित की है।
रायपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर तथा महासचिव डॉ. वैभव शिव पांडेय ने दक्षिण कोसल को बताया कि बीजापुर के युवा पत्रकार साथी मुकेश चंद्राकर की हत्या हमारे लिए स्तब्ध करने वाली बेहद दुखद घटना है। बस्तर में पत्रकारिता हमेशा से चुनौतियों से भरी रही हैं।
लेकिन ताज़ा घटना ने बता दिया है कि एक भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ़ आवाज़ उठाने की क़ीमत जान दे कर चुकानी होती है। साथी मुकेश चंद्राकर की हत्या से प्रदेश भर के पत्रकारों में गहरी पीड़ा और आक्रोश है। रायपुर प्रेस क्लब यह मांग करता है कि इस हत्याकांड की एसआईटी से जांच करवाई जाए और हत्यारों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए।
हम राज्य सरकार से मांग करते हैं कि बस्तर समेत पूरे छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करे। शोक की इस घड़ी में रायपुर प्रेस क्लब, साथी मुकेश चंद्राकर के परिवार के साथ खड़ा है।
बहरहाल मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने ट्यूट किया कि बीजापुर के युवा और समर्पित पत्रकार मुकेश चंद्राकर जी की हत्या का समाचार अत्यंत दु:खद और हृदयविदारक है।
मुकेश जी का जाना पत्रकारिता जगत और समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है। इस घटना के अपराधी को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। अपराधियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा देने के निर्देश हमने दिए हैं। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें और शोक संतप्त परिजनों को इस दु:ख की घड़ी में संबल प्रदान करें।
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