अमित शाह की संसद सदस्यता समाप्त कर बर्खास्त करने किया पुतला दहन
हजारों की संख्या में बौद्ध तथा आदिवासी समाज उद्वेलित हो उठी
दक्षिण कोसल टीमराजनांदगांव जिला के विकासखंड छुरिया के बौद्ध तथा आदिवासी समाज के हजारों समर्थकों ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान संविधान के 75 वर्ष के गौरवशाली मौके पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के द्वारा उच्च सदन राज्यसभा में विश्वभूषण भारतरत्न बाबासाहेब आम्बेडकर के संबंध में की गई घृणित टिप्पणी पर आक्रोशित हो उठी।

इस आशय का ज्ञापन राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को प्रेषित किया गया। आदिवासी तथा अनुसूचित जाति समाज के हजारों कार्यकर्ताओं ने छुरिया में आम्बेडकर भवन में विरोध सभा आयोजित की और कई किलोमीटर की रैली निकालकर नारेबाजी करते हुए पहले बाजार चौक में गृहमंत्री अमित शाह का पुतला दहन किया और उसके बाद ज्ञापन सौंपा।
पुतला दहन को पुलिस के कर्मचारियों ने बीच-बचाव कर जलते हुए पुतला को पानी से बुझा कर सुरक्षित स्थान की ओर ले गए।
बौद्ध समाज के प्रमुख जनकलाल चौघरी, टीका राम लाउने, बीरसिंग टेम्भूरकर, मनीराम सहारे, उद्दल सहारे, अनील बाघमारे, नंदकुमार जाम्बूलकर, परस कोचे, राजेन्द्र लाडेकर तथा शिवप्रसाद टेमर ने ‘दक्षिण कोसल’ से बताया कि संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान संविधान के 75 वर्ष के गौरवशाली मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा उच्च सदन राज्यसभा में बाबासाहेब पर किया गया अपमानजनत शब्द घोर निंदनीय हैं।
समाज का कहना है कि विश्व भूषण भारत रत्न भारतीय संविधान रचयिता तथा देश के करोड़ों दलित, शोषित, पीडि़त, उत्पीडि़त, महिलाओं, मजदूरों, किसानों, छात्र-छात्राओं, अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्गों, धार्मिक अल्पसंख्यकों के मसीहा डॉ. बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर के बारे में यह कहना कि आंबेडकर... आंबेडकर... आंबेडकर... आंबेडकर... यह फैशन हो गया है, इतने बार भगवान का नाम लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता और मुक्ति मिल जाती। यह उनके शारीरिक मानसिक बौद्धिक दीवालिएपन का द्योतक है।
कन्हैयालाल खोब्रागढ़े, विजय प्रसाद कश्यप, ठगिया कोटेलकर, मदनलाल नेताम, गणवीर जामुर्या ने कहा कि गृहमंत्री का वक्तव्य बेहद घृणित शर्मनाक अपमानजनक है। महामानव बाबा साहब का घोर अपमान है। अमित शाह के इस नफरती, घृणित वक्तव्य जो असंवैधानिक, अवैधानिक व अस्पृश्यताजनक है की घोर निंदा करते हैं।
बौद्ध समाज का कहना है कि जिसने हमें सम्मानजनक जीने का अधिकार दिया वह आपके भगवान से ऊपर हैं। हमें अपमान के सात जन्म नहीं चाहिए, इसी जन्म में सम्मानजनक जीने का अधिकार चाहिए जो हमें बाबा साहब आंबेडकर ने संविधान में प्रदान किया हैं।
सर्व समाज का यह कहना कि संविधान की रक्षा करना और बाबा साहब की हिफाजत करना हमारा परम कर्तव्य है। इस पृथ्वी पर अगर कोई भगवान हैं तो वह केवल और केवल डॉ. बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर हैं।
समाज का यह भी कहना है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अपने घृणित शर्मनाक अपमानजनक शब्दों के लिए देश से माफी मांगे और अपने पद से त्याग करें। परन्तु उन्होंने अब तक ऐसा नहीं किया हैं।
कार्यक्रम में जनकलाल चौघरी, टीका राम लाउने, बीरसिंग टेम्भूरकर, मनीराम सहारे, उद्दल सहारे, अनील बाघमारे, नंदकुमार जाम्बूलकर, परस कोचे, राजेन्द्र लाडेकर, नारायण धमगाये, आनंद सहारे, समुंद जामुर्या, जीवराखन सहारे, रेवाराम लाडेकर, नारायण नांदेश्वर, मदन डोंगरे, जगबीर जामुर्या, निर्मल सहारे, चेतन कमलेश्वर, एवन सहारे, नरसिंग नांदेश्वर, कुंदन बडोलक, पूनम जामुर्या, रशीका टेमरे, अंजली चौधरी सहित आसपास के गावों से हजारों की संख्या में दलित तथा आदिवासी समाज के लोग शामिल हुए।
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