बलौदाबाजार घटना में गिरफ्तारी बढक़र 187 हुई

सिर्फ सतनामियों पर दमनात्मक कार्रवाई

संजीत बर्मन

 

फिर बलौदाबाजार में सतनामी समाज के साथ द्वेष की भाव और लोहारीडीह में साहू समाज के साथ अनुराग की भाव क्यों? एक घटना पर एसआईटी और दूसरे घटना पर चुप्पी क्यों?

आप भाजपा के मुख्यमंत्री नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री हो। जिन्हें भारत का संविधान और भारत की लोकतान्त्रिक व्यवस्था में विश्वास होता है वहीं लोग कलेक्टर एसपी को ज्ञापन,धरना, प्रदर्शन,आंदोलन, चक्काजाम के माध्यम से अपनी मांगों पर शासन और प्रशासन की ध्यानाकर्षण करवाते हैं।

लेकिन यहां तो सतनामी होने के कारण पुलिस द्वारा धरपकड़ अभियान चलाते हुए आरोपी बनाकर संख्या में वृद्धि कर रही है। घटना दिनांक 10 जून 2024 को सामाजिक आंदोलन के कार्यक्रम में लगभग 15 हजार लोग शामिल हुए थे सभी राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों के सदस्य शामिल हुए थे।

लेकिन भाजपाई को छोडक़र सभी राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों के सदस्यों के प्रमुख चेहरों को गिरफ्तार कर रही है। मल्टीमीडिया मोबाइल एवं सीसीटीवी कैमरे के दौर है तोडफ़ोड़ आगजनी एवं हिंसा करने वालों को पुलिस द्वारा चिन्हित करने में कठिनाइयां नहीं होने चाहिए। गिरफ्तारी करने के आधार फोटो विडियो साक्ष्य होने चाहिए।

लेकिन सामाजिक संगठनों के प्रमुख चेहरे होने मात्र से या आंदोलन स्थल पर मोबाइल का सीडीआर के आधार पर गिरफ़्तारियां होने से लग रहा है कि भाजपा सरकार अब सतनामियों पर दमनात्मक कार्रवाई करते हुए अपने शासनकाल में डराकर दबाकर रखना चाहती है।

लेकिन कबीरधाम जिला के लोहारीडीह गांव में हत्या के बाद बदला लेने के लिए विरोधियों पर जानलेवा हमला करना फिर हत्या कर देना उसके बाद घर को आग के हवाले कर देना उसके पश्चात बचाव करने गई पुलिस टीम पर हमला करने वाले आरोपियों को राहत दी जा रही है। लोहारीडीह में एसआईटी गठित कर अतिसूक्ष्म जांच किया गया, जेल में बंद 69 लोगों में से 24 लोग निर्दोष भी मिल गए।

पुलिस द्वारा उन्मोचन प्रक्रिया के तहत निर्दोष 24 लोगों की जेल से रिहाई के लिए प्रकरण न्यायालय में पेश भी कर दिया गया है। इधर पांच माह से बलौदाबाजार कांड में जेल में बंद लोगों में से निर्दोषों की रिहाई के लिए आवेदन देते रह गए, भाजपा-कांग्रेस की जांच समिति की रिपोर्ट पर धूल भी जम गई होगी,मुख्यमंत्री और गृहमंत्री से मुलाकात करते हुए स्वाभिमान दिवस मनाते रह गए। अब शोभायात्रा की तैयारियां जोरों शोरों से चल रही है।

मोदी सरकार द्वारा कानून में संशोधन करते हुए भारतीय दंड संहिता को बदलकर भारतीय न्याय संहिता कर दिया गया है। लेकिन सतनामियों के लिए आज भी भारतीय दंड संहिता ही चल रही है।

जातिगत भेदभाव, अत्याचार, प्रशासनिक दमन शोषण के खिलाफ उठने वाले आवाज को दबाना उचित नहीं है।

(समाचार लेखक प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता हैं।)


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