बिलासपुर सम्भाग से बांधवगढ़ तक-इन दिनों एक हाथी और मरा, संख्या 14 हुई

गैर-जिम्मेदाराना अफसरों पर सीएम को कड़ी कररवाई करनी चाहिए

प्राण चड्डा

 

जाने कौन सा ग्रह जंगली हाथियों के दशा योग पर कुदृष्टि डाले है। रायगढ़ जिले में करंट से तीन हाथियों मौत अभी ठंडी नहीं पड़ी थी कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में तीन दिनों में दस हाथी मौत का शिकार हो गए। कारण पीएम रिपोर्ट से पता चलेगा। यह 13 हाथी के दल था।

मौत की एक खबर फिजा में रहती है तब दूसरी खबर उभर आती है कि तर्ज पर आज तीसरी खबर टिंगीपुर से तीन साल के शावक के शव मिलने से आग की तरह फैली। युवा होते शावक के बाहरी दांत निकल रहे थे। यह लाश दो दिन पुरानी बताई गई है। इस एरिया में एटीआर के जंगली सुअर,चीतल खेतों में आते हैं जिनका करंट से शिकार की बात सुनी जा रही है। सम्भव: बिजली की बिछी तार से इसे करंट लगा है। इस इलाके में पांच जंगली हाथियों के दल के यह शावक सदस्य बताया जा रहा है। यह दल डेढ़ माह से इधर है।

एटीआर और मुंगेली वनमण्डल के अफसर यहां पहुंच गए हैं, पोस्टमार्डम कल होगा तब रिपोर्ट से मौत का कारण विदित होगा। 

हाथी शावक की करंट से मौत...!, सरहद नहीं पता, अफसर काम करते हैं...!

यह हद नहीं तो क्या है, दो दिन पूर्व अचानकमार टाइगर रिजर्व का गज शावक पार्क की कुछ किमी दूर मृत मिला और ऐरिया पर तत्सम्बन्ध में मुद्दा अखबार तक उभरा है।

पांच हाथियों के दल से यह शावक बिछड़ गया था और जहां करंट से मरा उसका विवाद दफ्तरों के वन विभाग के अफसरों में छिड़ा है। शावक को ना पता था कि जंगल भी अफसरों के एरिया में बंटा होता है।

खेत में करंट लगने से हाथी शावक की मौत का मामला सामने आया है, और दो ग्रामीणों को बन्दी बनाने की खबर है। इसके अलावा अखबार में दो अफसरों के बयान प्रकाशित हुए हैं, जो संवेदनशील मामले पर वन्यजीव के प्रति अफसरों का नजरिया दर्शाते हैं।

एटीआर के अफसर कहता है-हमने पूर्व ही मुंगेली और निगम एरिया पहुंच गया है, इसकी सूचना उन्हें दी थी। यह हमारा एरिया नहीं इसलिए कुछ नहीं कर पाए। यह हाथी शावक के गुम होने और मौत की सूचना 31 अक्टूबर की वनमंडल बिलासपुर वन मंडल अधिकार को भी दी है। 

दूसरी तरफ बिलासपुर का वन अफसर कहता है, एटीआर में जब दल से शावक पिछड़ा तो उनको सूचित नहीं किया गया था।जहां शावक का शव मिला वह उनका इलाका नहीं यह टिंगीपुर तखतपुर ब्लाक में हैं,जो वन विकास निगम और एटीआर और वन विकास के बीच का राजस्व का हैं। इसके उपरांत हाथी शव का पीएम और दफन कर बिसरा रिपोर्ट जबलपुर भेजी जा रही है।

तब एक विभाग और इस सबसे दूर मौन रहा है

वह है वन विकास निगम जिसने कुछ किया नहीं और विवाद में भी नहीं,औऱ जहां भटके शावक शव मिला है। इन लापरवाह और गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार करने वाले अफसरों पर सीएम को कड़ी कारवाई करनी चाहिए जो किसी बेजुबान हाथी शावक को मेरे एरिया में नहीं मरा कह कर बचना चाहते हैं। ऐसे में हो गया वन जीव संरक्षण मेरा एरिया तेरा एरिया करने में एक लाख रुपए महीना वेतन पाने वाले अफसरों को मुख से शोभा नहीं देता। 

इससे तो पुलिस विभाग बेहतर तो एरिया बाद में देखता है और पहले जीरो में अपराध दर्ज कर कररवाई शुरू कर देता है। वन विभाग के अफसर अपनी आदतें सुधारे फिर ऐसा भद्दा प्रदर्शन कतई नहीं करें। प्राण चड्डा लिखते हैं कि इन लापरवाह और गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार करने वाले अफसरों पर सीएम को कड़ी कररवाई करनी चाहिए जो किसी बेजुबान हाथी शावक को मेरे एरिया में नहीं मरा कह कर बचना चाहते हैं।

ऐसे में हो गया वन जीव संरक्षण मेरा एरिया तेरा एरिया करने में एक लाख रुपए महीना वेतन पाने वाले अफसरों को मुख से शोभा नहीं देता। इससे तो पुलिस विभाग बेहतर तो एरिया बाद में देखता है और पहले जीरो में अपराध दर्ज कर कररवाई शुरू कर देता है। वन विभाग के अफसर अपनी आदतें सुधारे फिर ऐसा भद्दा प्रदर्शन कतई नहीं करें।


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