दक्षिण कोसल ने मनाया ‘एक दशकीय स्वर्णिम पत्रकारिता उत्सव’

आप भी पढ़े और जाने हमारे शख्सियतों की मंगलकामनाएं 

सुशान्त कुमार

 

विस्तृत खबर हम लगातार प्रकाशित करेंगे। सबसे पहले कार्यक्रम की सफलता के लिए लोगों की मंगलकामनाओं से आपको अवगत कराना चाहेंगे। उसके बाद इस दशकीय स्वर्णिम पत्रकारिता उत्सव पर खबर से लगातार आप अवगत होते रहेंगे। 

कोरबा से शंभू सेना प्रमुख और व्यवसायी धर्मेन्द्र ध्रुव ने वॉइस रिकार्ड में अपना संदेश भेजा है। उन्होंने कहा है कि ‘दक्षिण कोसल’ अपना दशकीय पत्रकारिता उत्सव मना रहा है।

मुझे खेद कि आवश्यक कार्यों के कारण इस उत्सव में शामिल नहीं हो पा रहा हूं और दु:ख भी हैं। उन्होंने ‘दक्षिण कोसल’ से क्षमा भी मांगा है। उन्होंने अर्जुन सिंह ठाकुर को याद किया और कहा है कि आपको (संपादक) भी बहुत याद करता हूं।

उन्होंने याद किया कि सोनी सोरी जी को कवर पेज में लेकर जो पत्रकारिता की है, लिखने में दमदारी दिखाई है और विस्तार से बात दर्शाया था। वह निर्भीकता का प्रमाण था। सभी पत्रकारों को हृदय से सम्मान कहा है। 

छत्तीसगढ़ में अंधश्रद्धा उन्मुलन के अगुआ डॉक्टर दिनेश मिश्र ने लिखा है कि खेद हैं कि अपरिहार्य कारणों से उपस्थित न हो पाया, क्षमा प्राथी हैं। ‘दक्षिण कोसल’ को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं। 

पूर्व सहायक कलेक्टर और वैज्ञानिक चिंतक विश्वास मेश्राम ने लिखा है कि कल विज्ञान आश्रम कसेकेरा में गांव-गांव संविधान जानों अभियान के अन्तर्गत मास्टर ट्रेनर्स की प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित है। इसलिए आज राजनांदगांव नहीं आ पा रहा हूं। आपके उत्तरोत्तर प्रगति की मंगलकामना। 

मशहूर लेखक और डीएमए इंडिया ऑनलाइन यूट्यूब चैनल के प्रमुख संजीव खुदशाह ने लिखा है कि जय भीम, जानी-मानी पत्रिका ‘दक्षिण कोसल’ की ‘एक दशकीय स्वर्णिक पत्रकारिता यात्रा’ पर आयोजित इस भव्य कार्यक्रम की हार्दिक शुभकामनाएं। ‘दक्षिण कोसल’ ने पत्रकारिता की दुनिया में एक मिसाल और पहचान कायम किया है।

आशा करता हूं कि इसमें उत्तरोत्तर वृद्धि होती रहेगी। मुझे इस बात का गर्व है कि इस यात्रा की शुरूआती दिनों से मैं पत्रिका के साथ जुड़े रहा और अपना योगदान देने की कोशिश की है। इस कार्यक्रम में सहभागिता के लिए मैं आतुर था लेकिन बेहद जरूरी काम आ जाने के कारण मैं उपस्थित नहीं हो पा रहा हूं। इसका मुझे खेद है। 

गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार से सम्मानित आलोक शुक्ला ने लिखा है कि आज हसदेव में साथियों के साथ मीटिंग के कारण कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो पाऊंगा इसके लिए माफी चाहता हूं। बहुत बहुत शुभकामनाएं।

आप इसी तरह वंचित और कमजोर तबकों की आवाज को लगातार अपनी कलम के माध्यम से बुलंद करते रहे। ‘दक्षिण कोसल’ जन पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी भूमिका और मजबूती के साथ निभाए, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ बहुत बहुत बधाई। 

नितिन वाहने ने लिखा है कि आप सभी को इस अवसर पर ढेरों शुभकामनाएं। मेरा आना कुछ कारणों से नहीं हो पा रहा है। ऐसे ही स्वतंत्र पत्रकारिता करिए। जय भीम। 

जाने माने चिकित्सक क्रांतिभूषण बन्सोड़े ने लिखा है कि प्रिय मित्र सुशांत जी, आज आपके कार्यक्रम ‘एक दशकीय स्वर्णिम पत्रकारिता उत्सव’ के कार्यक्रम के लिए मेरी तरफ से कोटि-कोटि, बहुत बहुत सारी बधाई। आपकी मेहनत तथा समर्पण के कारण ही आज आप इस मुकाम पर हैं। आपके संघर्ष और समर्पण को सलाम है।

आगे भी आप सामाजिक सरोकारों को प्राथमिकता के साथ उठाते रहेंगे तथा समस्त मानव समाज की जागरूकता के लिए प्रतिबद्ध पत्रकारिता के प्राथमिक और मजबूत स्तंभ बने रहेंगे, ऐसी मेरी मनोकामना है। हार्दिक बधाई। आपके इस वैभवशाली कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाने की असमर्थता के लिए क्षमा प्रार्थी हूं। आपका हितैषी।

पूर्व व्याख्याता प्राचार्य थानसिंह वर्मा ने लिखा है कि कार्यक्रम के लिए अग्रिम बधाई। कमर की हड्डी में फैक्चर है। बेड रेस्ट पर हूं। 

हेमचंद विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी सुशील गजभिए ने लिखा है डॉ. बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर जी के कथन अनुसार- ‘जीवन लम्बा नहीं अपितु महान होना चाहिए’। मुझे लगता है कि ‘दक्षिण कोसल’ पत्रिका ने इस सूत्र वाक्य को अपनी दशकीय यात्रा में चरितार्थ कर दिया है।

पत्रकारिता के इस चुनौती को कठिन दौर में संसाधनों से जुझती हुई अपनी बेबाक कलम रूपी मशाल की रोशनी में यह दशकीय यात्रा कैसे पूरी हुई सच यह है कि इस पत्रिका के संपादक महोदय सुशांत जी ही बता सकते हैं।

मैं उन्हें और ‘दक्षिण कोसल’ पत्रिका परिवार के समस्त सुधी सदस्यों को अपनी बधाई ज्ञापित करना चाहता हूं कि एक सच्ची कलम से जुडऩे का तात्पर्य यह भी है कि हम सत्य पर विश्वास करते हैं। इस अच्छी और जागरूक लेखनी ने सिर्फ स्वयं को रेखांकित करती है बल्कि वह अपने पाठकों के एक वर्ग को भी परिभाषित करती है। 

सच्ची और एक इमानदार पत्रकारिता आज के दौर में एक असाध्य चुनौती है, और यह चुनौती और अधिक दुसहय होती है जब कलम को उन शक्तियों के विरूद्ध लिखना होता है जिन शक्तियों के बीच उसे अपने अस्तित्व की रक्षा भी करनी हो। मुझे गर्व है कि मैं इस इमानदार कलम का साक्षी रहा हूं।

पत्रिका के संकलन और ग्राफिक्स न सिर्फ आकर्षित करते हैं बल्कि मन: पटल के दरवाजों को दस्तक देते चलते हैं और उस पर सुशांत जी की बेजोड़ सम्पादकीय का क्या कहना !

इस पत्रिका ने अपनी एक दशकीय यात्रा में ऐसे चिर स्मरणीय एपीसोड किए हैं जहां एक ओर व्यक्तित्व, कला और संस्कृति की अनवरत श्रृंखला है तो वहीं दूसरी ओर व्यवस्था के विरूद्ध झकझोरती और संघर्ष करती ऐसी अनेक कहानियां दर्ज है जो समकालीन युग की आंखों देखी सच्ची दास्तां प्रस्तुत करती है।

चाहे वह दंडकारण्य की रक्त रंजित कहानियां हो या फिर लुप्त होती संस्कृति बसदेवा गायन शैली की जय गंगा गाने वाले घुमन्तु कलाकारों की जीवन गाथा, जिन्दाबाद, साधुवाद!

दक्षिण कोसल की दशकीय यात्रा की बहुत बहुत बधाई देते हुए अंत में मैं यही कहना चाहूंगा -लीक लीक गाड़ी चले, लीक ही चले कपूत। लीक छोड़ तीनों चले शायर, सिंह, सपूत।

जाने माने पूर्व पत्रकार और पूर्व मुख्यमंत्री के पूर्व मीडिया प्रभारी रूचिर गर्ग ने लिखा है कि लगातार अस्पताल में व्यस्त रहा। मेरी भी तबियत गड़बड़ है। लगातार बुखार है। कार्यक्रम में आने का पक्का नहीं कह पा रहा हूं।  

बहुत सुखद है कि ‘दक्षिण कोसल’ और आपका ये कार्यक्रम हो रहा है। इस समय का तो इंतजार था। मेरी व्यक्तिगत रूप से बहुत इच्छा है आने की पर पता नहीं परिस्थितियां अनुकूल रहेगी या नहीं। आपको बहुत सारी शुभकामनाएं। 

सामाजिक कार्यकर्ता अखिलेश एडगर ने लिखा है कि मेरे फादर इन लॉ का स्वास्थ्य काफी खराब होने के कारण कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाने का बेहद अफसोस है। कार्यक्रम और ‘दक्षिण कोसल’ की सफलता हेतु मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। 

सावित्री बाई फुले स्कूल की संचालक अंजू मेश्राम ने लिखा है ‘दक्षिण कोसल’ को 10 वर्ष सफलतापूर्व पूर्ण करने के अवसर पर हार्दिक बधाई! 

आपके निरंतर प्रयासों ने सच्चाई को सामने लाने, जागरूकता फैलाने और समाज को एक नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज के चुनौतिपूर्ण समय में सच्ची और जमीनी स्तर की पत्रकारिता करने के लिए बहुत बहुत बधाई।

आशा है कि आपकी संस्थान इसी तरह निडर और निष्पक्ष पत्रकारिता से लागों को सच्चाई से अवगत कराते रहेंगी।

अपने कार्य के प्रति समर्पण से आपने पत्रकारिता के मूल्यों को बनाए रखा है, जो आज के समय में बहुत महत्वपूर्ण है। आपके उज्जवल और सफल भविष्य की मंगलकामनाएं।

चिकित्सक मिथलेश शर्मा ने लिखा है कि ‘दक्षिण कोसल’ की गौरवपूर्ण यात्रा के लिए हार्दिक बधाइयां। भगवान करें आप चिर निरंतर प्रगति करें। 

चिंतक बुद्धिलाल पाल ने लिखा है कि अच्छा कार्यक्रम। बहुत शुभकामनाएं। 

साहित्यकार गिरीश पंकज ने लिखा है जबरदस्त आयोजन, बधाई।

पूर्व सीबीआई मजिस्ट्रेट प्रभाकर ग्वाल ने लिखा है विजयी भव:!

अधिवक्ता एसके गुप्ता ने लिखा है बहुत बहुत हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं...

राधा पैथालॉजी के प्रमुख और लेखक सतीश चौहान ने लिखा है अग्रिम शुभकामनाएं मेरे दोस्त...

बीडी वाल्दे ने लिखा है कि उत्सव के लिए बधाई। 

हिन्दी और छत्तीसगढ़ी रंगमंच के रंगकर्मी विजय मिश्रा अमित ने लिखा है जय हो सुशांत जी। आप अपने लक्ष्य में कामयाब हो। हमें आपकी कामयाबी पर गर्व हो। हार्दिक शुभकामनाएं। 

देशबन्धु के पत्रकार दीपक पाचपोर ने लिखा है बधाइयां एवं शुभकामनाएं!  आप बहुत सार्थक काम कर रहे हैं। 

पत्रकार सुदीप ठाकुर ने लिखा है कि बहुत बधाई और शुभकामनाएं।

बहरहाल शुभकामनाओं और मंगलकामनाओं का प्रभाव का असर क्या होता है, इससे परे यह कि लोगों ने अपनी कीमती समय में से ना पहुंचने के स्थिति में उपरोक्त महत्वपूर्ण शुभकामना संदेशों को बहुत ही सिद्दत के साथ लिखा है।

इसे आपको भी पढऩा चाहिए। हां इसके अलावा सभी ना आने वाले गणमान्य व्यक्तियों को कुछ ना कुछ अड़चनें रही है इस उत्सव में अनुपस्थित होने का सभी को अफसोस भी है।

विशेष यह कि सरकारी कामकाजों से जुड़े लोग राष्ट्रपति के आगमन के कारण इस उत्सव में शामिल नहीं हो सकें हैं। हम इस पूरे कार्यक्रम की रिपोर्ट लगातार आप तक पहुंचाते रहेंगे। हमारे खबरों के साथ बने रहिए। आपके अप्रतिम शुभकामनाओं और मंगलकामनाओं के लिए दिल से शुक्रिया और मुबारकबाद...यह सब आप सभी के बदौलत संचालित है।


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