परसा कोल ब्लॉक से आदिवासियों का खून के छींटों का जवाब कौन देगा?
हसदेव जंगल में पेड़ों की कटाई को लेकर असमंजस
सुशान्त कुमारकभी कभी चीज़ें असहज हो जाती हैं। हसदेव में पेड़ों की कटाई और जंगल को बचाने आदिवासी एकजुट हो रहे हैं। आडानी के पक्ष में खड़ी पुलिस की लाठी से फैले खून के छींटे हम से कह रही है कि प्रकृति के विनाश पर अगर कोई बोलता है तो देख ले उसका हश्र। फिर पुलिस, जेल और मौत की जिम्मेदारी तुम्हारी। हम तो तुम्हारी चुनी हुई सरकार के रक्षक हैं जनाब...!

परसा कोयला खदान में जबरन अवैध पेड़ कटाई का विरोध करते ग्रामीणों पर लाठीचार्ज अमानवीय, अडानी के इशारों पर चल रही साय सरकार। वहीं इस परियोजना के तहत सैकड़ों पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे ग्रामीणों और पुलिस के बीच तनावपूर्ण स्थिति, पुलिस के मारपीट से कई घायल।
दुर्ग के विभिन्न संगठनों और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील नागरिकों ने हसदेव अरण्य में परसा कोयला खदान में हुई पेड़ो की कटाई और प्रभावित आदिवासी समुदाय पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में दुर्ग में प्रदर्शन किया और कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा।
इस पर चंद्रभान सिंह ठाकुर ने बताया कि सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड के ग्राम साल्ही और आस-पास के अन्य ग्रामों के साथ-साथ सूरजपुर जिले के जनार्दनपुर और अन्य इलाकों में परसा कोल खदान परियोजना को लेकर आज तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई।
गुरुवार की सुबह से ही सैकड़ों पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में इन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई का काम चल रहा है, जिसका ग्रामीण और हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य विरोध कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (मज़दूर कार्यकर्ता समिति) से कलादास डहरिया ने बताया कि हसदेव अरण्य पांचवी अनुसूची क्षेत्र में शामिल है, इसके बावजूद पेसा कानून और आदिवासियों के तमाम संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करते हुए हसदेव में पेड़ों की कटाई शुरू कर दी गई है।
इसका विरोध करने वाले प्रभावित आदिवासी समुदाय के लोगों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया है, जिसमें हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य रामलाल करियाम घायल हुए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की इस दमनात्मक कार्यवाही का हम विरोध करते हैं।
भाजपा ने चुनाव से पहले अपने घोषणा पत्र में हसदेव में संचालित कोयला खदान में हुए भ्रष्टाचार पर सवाल किया था पर आज प्रदेश में सरकार में आने के बाद इन्हें भ्रष्टाचार दिखाई नहीं दे रहा है।
संदीप पटेल ने कहा कि परसा कोयला खदान के लिए हो रही पेड़ों की कटाई पूरी तरह से ग़ैर क़ानूनी हैं। इस खदान के लिए फर्जी ग्राम सभा करवाई गई थी। 2021 में उक्त फर्जी ग्राम सभा की जांच करने तत्कालीन राज्यपाल अनुसुईया उईके ने आदेश जारी किया था। फर्जी ग्राम सभा की जांच छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा की गई है।
जांच में साल्ही और घाटबर्रा के पंचायत सचिव ने कहा है कि खनन की सहमति का प्रस्ताव ग्राम सभा की बैठक के बाद उच्च अधिकारियों के दबाव में जोड़ा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि ग्राम की उपस्थित पंजी एसडीएम ने अपने क़ब्ज़े में रखी थी।
फर्जी ग्राम सभा करवाने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही करने की बजाए निर्दोष आदिवासीयो पर लाठीचार्ज किया जा रहा है। ये विष्णुदेव सरकार का कैसा सुशासन है?
जि़ला किसान संघ (राजनांदगांव) के महेश साहू ने कहा कि लगभग 6000 पेड़ों की कटाई की जा रही है, जिससे लगभग 140 हेक्टेयर जंगल का सफाया किया जाएगा ताकि परसा कोल ब्लॉक का काम शुरू हो सके।
उन्होंने कहा कि 26 जुलाई 2022 को विधानसभा में अशासकीय संकल्प के माध्यम से हसदेव में आबंटित सभी कोल ब्लॉक रद्द करने हेतु सर्वानुमति से संकल्प पारित किया था। परंतु उस संकल्प की अवमानना कर हसदेव में पेड़ों की कटाई की गई ।
छत्तीसगढ़ जान संघर्ष मोर्चा के वीएन प्रसाद राव ने कहा कि केंद्र सरकार के ही एक संस्थान ‘भारतीय वन्य जीव संस्थान’ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि हसदेव अरण्य में कोयला खनन से हसदेव नदी और बांगो बांध के अस्तित्व पर संकट होगा।
प्रदेश में मानव हाथी संघर्ष इतना बढ़ जाएगा कि फिर कभी उसे संभाला नही जा सकता। इस रिपोर्ट के बाद भी हसदेव अरण्य में खनन परियोजनाओं को आगे बढ़ाना प्रदेश के लिए आत्मघाती कदम होगा।
बहरहाल देखना है कि प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से हसदेव अरण्य को बचाने के लिए उठ रहे प्रतिरोध स्वरों के बाद सरकार कौन सी नई कदम उठाती है? आदिवासियों और कार्यकर्ताओं पर पुलिस की लाठीचार्ज सबकुछ साफ-साफ बयान करती है कि सरकार की मंशा हसदेव में पेड़ों की कटाई नहीं रूकने वाली है तथा छत्तीसगढ़ का फेफड़ा कहे जाने वाले इस कीमती जंगल का सत्यानाश निश्चित नजर आ रही है।
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