बागड़े ने नियोगी हत्याकांड की जांच पर सरकार को आड़े हाथों लिया
छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा मनाएगा 33वां नियोगी शहादत दिवस
सुशान्त कुमारछत्तीसगढ़ में शंकर गुहा नियोगी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (छमुमो) अगस्त 1989 से भिलाई, कुम्हारी, उरला, टेड़ेसरा के हजारों श्रमिक शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे, उस आंदोलन को कमजोर करने उद्योगपतियों ने 28 सितम्बर 1991 की रात भिलाई हुडको कार्यालय में सोये हुए नियोगी को गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस वर्ष उनका 33वां शहीद दिवस छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थानों के अलावा राजनांदगांव में बड़े पैमाने पर आयोजित किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस कार्यक्रम में सम्मिलित होकर मेहनतकश शहीदों का सपना पूरा करने का संकल्प लेंगे।

उपरोक्त आरोप लगाते हुए छमुमो के अध्यक्ष भीमराव बागड़े ने ‘दक्षिण कोसल’ से कहा कि सिम्पलेक्स के मालिक उद्योगपति मूलचंद शाह सहित 9 लोगों को सीबीआई द्वारा आरोपी बनाया गया था, सेशन कोर्ट दुर्ग द्वारा गोली मारने वाले पल्टन मल्लाह को फांसी तथा बाकी पांच आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा दी गई, उक्त प्रकरण में उच्च न्यायालय में अपीले पेश की गई, न्यायालय द्वारा मात्र एक आरोपी अर्थात गोली मारने वाले पल्टन लाह को आजीवन कारावास की सजा दी गई बाकी सभी आरोपियो को बरी कर दिया गया था।
सीबीआई ने शराब कंपनी के मालिक कैलाशपति केडिया को आरोपी नहीं नहीं बनाया था, जबकि नियोगी ने अपने ऑडियो कैसेट में हत्या की साजिश में केडिया व मूलचंद शाह का नाम रिकार्ड किये थे, जो कैसेट न्यायालय में पेश हो चुकी हैं, के बावजूद केडिया को आरोपी नहीं बनाया गया।
उन्होंने मीडिया को बताया कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा उक्त प्रकरण की दोबारा जांच कराने राष्ट्रपति से निवेदन किये थे। महामहिम ने छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्य सचिव को समुचित कार्यवाही हेतु पत्र भी भेजा गया, किंतु छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जांच नहीं कराई जा रही।
केन्द्र सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किया जा रहा संसोधन
बागड़े ने बताया कि लोकसभा चुनाव में देश के मेहनतकशों ने मोदी सरकार को संदेश दिया है कि कारपोरेट घरानों के हितो के लिए किया गया श्रम कानूनो में संशोधन वापस लिया जाना चाहिए। ईडी, सीबीआई की मनमानी के खिलाफ आम जनता ने संदेश दिया हैं। इलेक्ट्राल बांड के नाम पर कारपोरेट घरानों से ली गई घूस के खिलाफ न्यायपालिका को न्याय करना होगा पूरे देश में एक चुनाव की बात इसलिए बोला जा रहा है ताकि पूरे पांच वर्ष आम जनता के पास जाने की जरूरत ना पड़े।
उनका आरोप है कि समर्थन मूल्य गारंटी का कानून अभी तक नहीं बनाया गया, डॉ. बाबा साहेब आम्बेडकर द्वारा बनाए गए संविधान को बदलने की कोशिशें जारी है, उसे बचाने संघर्ष की जरूरत बताई है। मेहनतकशों को अधिकार पाने ट्रेड यूनियन अधिनियम 1926 बनाया गया था, उसे भी उद्योगपतियों के पक्ष में संशोधित किया गया है। जाति-धर्म के नाम पर हिंसा फैलाई जा रही है। एससी, एसटी, ओबीसी का आरक्षण बचाने निजीकरण को रोकना की जरूरत गिनाई है।
उन्होंने कानूनी दिक्कतों पर कह है कि सिम्पलेक्स सहित 12 इंजीनियरिंग व कुम्हारी डिस्टलरी के 1152 श्रमिकों के प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, भिलाई केडिया डिस्टलरी की नीलामी के पूर्व भिलाई डिस्टलरी की प्रापर्टी बायलर, टंकियां, मशीनें चोरी छुपे कुम्हारी डिस्टलरी में ले जाई गई।
इंजीनियरिंग तथा केमिकल कंपनियों के प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन बताया। उन्होंने कहा कि शासन (इंदौर परिसमापक) द्वारा जप्ति कर नीलामी करके मजदूरों की दावा राशि भुगतान लंबित है।
एसीसी सीमेंट भिलाई में श्रम कानूनों का सवाल उठाया
उन्होंने भिलाई आंदोलन को गति देते हुए कहा है कि एसीसी जामुल सीमेंट भिलाई कम्पनी में सुरक्षा के उपकरण की अनदेखी के कारण श्रमिक आबिद मोहम्मद एक अगस्त को बिजली करंट से दुर्घटना का शिकार हुआ था जिससे उनकी घटना स्थल कम्पनी में ही मृत्यु हो गई थी।
प्रगतिशील सीमेंट श्रमिक संघ के नेतृत्व में हुए मजदूर आंदोलन (काम बंद) के कारण मुआवजा का भुगतान रात 12 बजे किया गया उसके पश्चात 2 अगस्त को श्रमिक सागर तथा 6 अगस्त को श्रमिक घनश्याम तथा 8 अगस्त को श्रमिक सुदामा निर्मलकर के अतावा 12 अगस्त को श्रमिक मुकेश निर्मलकर दुर्घटना में घायल हुए हैं।
कंपनी द्वारा 32 हजार से कम वेतन पाने वाले श्रमिकों को स्वास्थ्य सुविधा नहीं दी जा रही है बल्कि 50 हजार से अधिक वेतन पाने वालों को स्वास्थ्य सुविधा दी जा रही है, रिटायर किए गए श्रमिकों को अंतिम वेतन पर ग्रेच्युटी भुगतान के बजाए मात्र बेसिक पर भुगतान किया जा रहा है, सभी श्रमिकों के लिए सीमेंट वेज बोर्ड लागू नहीं किया जा रहा है। भेदभाव किया जा रहा है, पूर्व का एग्रीमेन्ट नवम्बर 2024 में समाप्त होने वाला है इसलिए श्रमिको को आंदोलन के लिए चेताया है।
बहरहाल छमुमो अध्यक्ष बागड़े ने इसके अलावा राजनांदगांव, भिलाई, दुर्ग, जामुल, उरला, बिलासपुर के विभिन्न उद्योगों में कार्यरत मजदूरों से जुड़ी ढेरों समस्याओं पर बेबाकी से अपनी बात ‘दक्षिण कोसल’ को बताया है।
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