नियुक्ति समीकरण और सियासत
कईयों को लगाया गया किनारा
दिलीप कुमारलंबे समय से निगम, मंडल, आयोग और प्राधिकरणों में नियुक्ति को लेकर जारी कयास से कोहरा छटना शुरू हो गया है। सीएम विष्णुदेव साय ने प्रदेश के पांच अहम विकास प्राधिकरणों में नियुक्ति कर दी है। प्राधिकरणों की नियुक्ति में जातिगत समीकरण के साथ ही सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरणों को भी साधने का प्रयास किया गया है।

पूर्व मंत्री व बस्तर की कद्दावर नेत्री लता उसेंडी को मंत्रिमंडल में शामिल करने का कयास लगाया जा रहा था, लेकिन उन्हें बस्तर आदिवासी विकास प्राधिकरण की जिम्मेदारी सौंपकर मंत्रिमंडल से किनारा तो कर दिए, लेकिन विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाकर उनका कद बढ़ा दिया गया है। बता दें कि लता उसेंडी को संगठन में भी महती जिम्मेदारी मिली हुई है, वे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के साथ ओडिशा की सहप्रभारी है।
पत्थलगांव से विधायक गोमती साय का नाम भी मंत्रिमंडल के लिए चल रहा था। सीएम विष्णुदेव साय की करीबी माने जाने वाली गोमती साय ने 8 बार के कांग्रेस विधायक रामपुकर सिंह को हराकर विधायक बनी है। इसके पहले वे सांसद भी रह चुकी है, लेकिन पिछला लोकसभा चुनाव में रायगढ़ से उनकी टिकट काटकर राधेश्याम राठिया को दे दिया गया था।
अब उन्हें सरगुजा विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाया गया, अब उन्हें प्राधिकरण की कुर्सी से संतोष करना पड़ेगा। सतनामी समाज के गुरु खुशवंत साहेब ने विधान सभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। इसका बीजेपी को फायदा भी मिला।
गुरु खुशवंत साहेब कांग्रेस के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री शिव डहरिया को हराकर आरंग का विधायक बना है। पहली बार के विधायक गुरु खुशवंत साहेब को अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष नियुक्त कर बीजेपी सतनामी समाज में अपनी पैठ मजबूत करना चाहती है।
संघ की पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले दुर्ग ग्रामीण विधायक ललित चंद्राकर को पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाया गया है। इससे न सिर्फ कुर्मी समाज को बल्कि दुर्ग का क्षेत्रीय समीकरण भी साधने का प्रयास किया गया है। ललित चंद्राकर को यह पद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व गृहमंत्री तामरध्वज साहू को हराने का पुरस्कार के रूप में भी माना जा सकता है।
मरवाही से पहली बार के विधायक प्रणव कुमार मरपच्ची मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाया गया है। पूर्व सैनिक रहें मरपच्ची ने कांग्रेस के गढ़ मरवाही विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की वापसी कराई है, जिसकी वजह से ही राज्यमंत्री का दर्जा माने जाने वाले पद से उन्हें नवाजा गया है।
साय सरकार द्वारा द्वारा प्राधिकरण में नियुक्ति किए जाने पर सियासत भी तेज नजर आ रही है। PCC चीफ दीपक बैज ने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्राधिकरणों के पावर को अपने पास रखा। कांग्रेस सरकार में बस्तर और सरगुजा के नेता प्राधिकरणों के अध्यक्ष थे। सरकार संभागों का पैसा रायपुर लाना चाहती है, इसलिए उपाध्यक्ष बना रही।
दीपक बैज के बयान पर पलटवार करते हुए विधायक खुशवंत साहेब ने कहा, इसमें कोई लॉलीपॉप नई होता पद-पद होता है। कांग्रेस ने पद बांटा लेकिन भ्रष्टाचार करने के लिए हमारी सरकार सबका साथ सबका विकास कर रही है।
उनकी जब सरकार थी 5 सालो में उन्होंने कोई विकास नहीं किया। समाज को प्रताड़ित करने का काम किया सतनामी समाज को भोकने वाला समाज बोला। जब से बीजेपी की सरकार आई है लगातार काम हो रहा है।
बहरहाल, सरकार ने पांच विकास प्राधिकरणों में ही नियुक्ति की है, लेकिन पहली सूची में ही वरिष्ठों की जगह युवा विधायकों को ही तरजीह दी गई है। ऐसे में अब देखने वाली बात होगी अन्य विकास प्राधिकरणों व निगम, मंडलों में किसके किस्मत का ताला खुलता है?
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