‘संविधान हत्या दिवस’ में हत्या शब्द गैरसंवैधानिक

19 जुलाई को निषेध दिवस

दक्षिण कोसल टीम

 

समाजसेवी कन्हैयालाल खोब्रागढ़े ने ‘दक्षिण कोसल’ को आपातकाल पर पड़ताल करते हुए कहा कि कुछ समय पश्चात आपातकाल हटाकर चुनाव कराए गए इससे इंदिरा गांधी की भारी पराजय हुई और सत्ता से हाथ धोना पड़ा। देश में गैर कांग्रेसी सरकार पहली बार बनी। इसने चुन-चुनकर मीसा बंदियों को रेवडियां बांटी, मीसा बंदियों के सहायता के नाम पर सरकारी खजाना खोल दिया गया था। 

अब 50 वर्षो बाद केन्द्र की भाजपा गठबंधन सरकार आपातकाल को राजनीतिक हथियार बनाने 25 जून को  ‘संविधान हत्या दिवस’  मनाने का ऐलान कर चुकी हैं। 

सरकार आपातकाल को लेकर विरोध दिवस अवश्य मनाएं इसमें कोई आपत्ति नजर नहीं आती लेकिन संविधान के साथ हत्या शब्द जोडक़र अपने अविवेक का ही प्रदर्शन कर रही है। वर्तमान सरकार के अनुसार आपातकाल में संविधान की हत्या की गई यानी भारतीय संविधान मर गया। 

कन्हैयालाल कहते हैं कि अब प्रश्न उठता है कि जब संविधान मर ही गया है, तो 1975 के बाद जो सरकारें बनी और चली तो क्या वह बिना संविधान के चली? आज मोदी देश के तीसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं, तो क्या बिना संविधान के बन गए? आज न्यायपालिका, कार्यपालिका तथा विधायिका और भारत की गौरवशाली सेना किसके माध्यम से कार्य कर रही है? क्या यह बिना संविधान के संभव है। 

भारत संतों का देश है। भारतीय जनता पार्टी संतों-महात्माओं का बड़ा आदर करती है। संतों ने कहा है, इस शब्द में शब्दभेद है, शब्द के हाथ न पांव! एक शब्द औषधी करें, एक शब्द करें घाव!! 

संविधान के साथ हत्या शब्द जोडक़र केन्द्र सरकार ने संविधान को मानने, चाहने वालों के हृदय में घाव कर दिया है। सरकार संविधान हत्या दिवस से हत्या शब्द हटाकर सद्बुद्धि का परिचय दें।

19 जुलाई को निषेध दिवस

वहीं दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी ने केन्द्र सरकार के इस घोषणा के विरोध में 19 जुलाई को संविधान से ‘हत्या’ शब्द हटाने निषेध दिवस मनाने का फैसला लिया है।

बहुजन समाज पार्टी के शिवशंकर सिंह ने इस संबंध में कहा है कि हमारे मजबूत लोकतंत्र में संविधान के साथ गैर संविधानिक शब्द  ‘संविधान हत्या दिवस’ जोड़ा गया है उस शब्द को विलोपित करने की मांग को लेकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर संविधान के रक्षा के लिए अधिक से अधिक संख्या में कलेक्टर परिसर के सामने धरना स्थल में उपस्थित होने की अपील की है। 

उन्होंने कहा कि इस दिन भारत के राष्ट्रपति और सर्वोच्च न्यायालय के नाम ज्ञापन सौपा जाएगा।

सिंह ने ‘दक्षिण कोसल’ से कहा कि संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आम्बेडकर एवं भारत की सर्वोच्च ग्रंथ ‘भारतीय संविधान’ के सम्मान में साथ देने इस अंदोलन में ज्यादा से ज्यादा लोग पहुंच कर इस संगठन के साथ सामाजिक परिवर्तन की लड़ाई में अपना योगदान देवें।


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