भारत सम्राट अशोक नहीं मनुस्मृति के कारण हुआ कमजोर 

अशोक-नालंदा पर कन्हैयालाल-अशोक आमने सामने

दक्षिण कोसल टीम

 

राजनांदगांव के बुद्धिष्ट कल्चरल एंड वेलफेयर सोसाइटी के संस्थापक एवं संरक्षक कन्हैयालाल खोब्रागढ़े ने कहा कि 29 जून को राजनांदगांव के एक समाचार पत्र में किसान नेता अशोक चौधरी का नालंदा विश्वविद्यालय के नए कलेवर को लेकर समाचार पढऩे को मिला। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अथक प्रयास से नालंदा महाविहार (विश्वविद्यालय) को नए कलेवर में लाने हेतु किए जा रहे प्रयास सराहनीय एवं प्रशंसनीय है।

उन्होंने ‘दक्षिण कोसल’ को बताया कि कौन नहीं चाहता कि नालंदा फिर से विश्व ख्याति को अर्जित करें। चैधरी का ये कहना कि सम्राट अशोक द्वारा कलिंग विजय के पश्चात बौद्ध धर्म ग्रहण करने तथा हथियार डालने से भारत के लोग शस्त्र चलाना भूल गए, यह चक्रवर्ती सम्राट अशोक पर उनकी वीरता और उनके यशोगान को धूमिल करने का षड्यंत्र है। 

कन्हैयालाल ने इस इतिहास पर ‘दक्षिण कोसल’ से कहा कि सम्राट अशोक एवं उनके पूर्वजों ने बिखरे हुए भारत को अखंड भारत बनाया। अशोक को 16 वर्ष की आयु में उनकी योग्यता को देखते हुए सम्राट बिंदुसार ने उन्हें उज्जैनी का उपशासक बनाया।

उस समय उज्जैनी, मालवा, गुजरात, सौराष्ट्र याने पश्चिम भारत का पूरा क्षेत्र महान योद्धा अशोक के ताबे में था। जब पंजाब में मौर्य साम्राज्य के विरूद्ध विद्रोह खड़ा हुआ तो अशोक ने बड़े साहस के साथ विद्रोह को कुचल डाला। भारत सम्राट अशोक के कारण नहीं बल्कि वर्णव्यवस्था एवं मनुस्मृति के कारण कमजोर हुआ है। 

जब सोमनाथ का महालय विदेशियों द्वारा एक बार नहीं 17 बार लूटा गया तब तक शूद्रों को हथियार उठाने का अधिकार नहीं था। यह अधिकार केवल क्षत्रियों के पास था। जिन्होंने आपसी रंजीश के कारण महालय को लूटने दिया। सम्राट अशोक ने भारत में लगभग 40 वर्षों तक एकक्षत्र राज किया था। उसके बाद उसके वंशजों ने भारत पर लगभग 50 वर्ष राज किया। 

अंतिम मौर्य सम्राट बृहद्रथ की हत्या उसके ब्राह्मण सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने की और पाटलीपुत्र सहित मौर्य साम्राज्य पर अधिकार कर लिया। इस दुष्ट शासक ने बौद्ध अनुयायियों और आचार्यों का खुलेआम कत्लेआम कराया।

एक बौद्ध का सिर काटने पर 100 स्वर्ण मुद्रा देने का फरमान जारी किया गया। नालंदा का विध्वंश बख्तियार खिलजी ने मुट्ठी भर सैनिकों के साथ मिलकर 12वीं शताब्दी में किया और सम्राट अशोक ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में सत्तासीन थे। 

इसी समय उनके पुत्र महेंद्र संघमित्रा ने बौद्ध भिक्षुओं के रूप में श्रीलंका में बौद्ध धर्म स्थापित किया। विध्वंस नालंदा के उत्थान के लिए सर्वप्रथम 20 नवंबर 1951 ईसवी तदानुसार मार्गशीर्ष षष्ठी तिथि बुद्धसंम्वतसर 2495 दिन मंगलवार को भारत के प्रथम राष्ट्रपति महामहिम डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने नालंदा के उत्थान के लिए भूमिपूजन किया तथा पाली भाषा में ताम्रपत्र पर बुद्ध का उपदेश अंकित कराकर उसके नींव में स्थापित कराया था। 

जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने सम्राट अशोक के जन्म पर राजकीय अवकाश घोषित किया। तब देश के कुछ इतिहासकारों ने खूब बवाल किया था। लोगों ने प्रश्न उठाए थे कि नीतिश कुमार को सम्राट अशोक का जन्मदिन कैसे पता चला। सम्राट अशोक का जन्म ईसा पूर्व 304 मध्य चैत्र मास की प्रतिपदा को हुआ था तथा  उनका अवसान 72 वर्ष की आयु में हुआ था। 

कन्हैयालाल ने ‘दक्षिण कोसल’ को बताया कि सम्राट अशोक ने अपने जीवनकाल में नालंदा जैसे 17 विश्वविद्यालयों और 72 शिलालेखों का निर्माण कराया था। रही बात सनातन धर्म में ऋषिमुनियों तक का शस्त्र चलाना, जिससे भारत मजबूत हुआ, यह कथन बिलकुल भी उचित नहीं है। दोणाचार्य ने भील बालक का गुरू दक्षिणा के रूप में एकलव्य का अंगूठा मांग लेना यह जगजाहिर हैं।

नालंदा को पुनर्जीवित मूर्तरूप देने की कल्पना करने का महान कार्य अर्थशास्त्री नोबल पुरस्कार प्राप्त अर्मत्य सेन एवं भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति मिसाईल मेन डॉ. अब्दुल कलाम ने की थी। उनके स्वप्न को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी साकार करने का प्रयास कर रहे हैं। 


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