दीक्षाभूमि में कथित निर्माण से देशभर में उबाल

राजनांदगांव में भी हुआ जंगी धरना प्रदर्शन

दक्षिण कोसल टीम

 

पिछले सोमवार को लगभग 214 करोड़ के निर्माणाधीन अंडरग्राउंड पार्किंग पर महाराष्ट्र प्रदेशभर से हजारों की संख्या में अनुयायियों ने इस निर्माण स्थल पर धावा बोल दिया और निर्माण में लगे सामानों को आग के हवाले कर दिया। तदुपरांत निर्माण कार्य को रोक देना पड़ा। बताते चले कि आम्बेडकरी अनुयायियों की प्रबल भावनाओं को ध्यान में रखते हुए ‘दीक्षाभूमि स्मारक समिति’ ने तुरंत घोषणा की कि भूमिगत पार्किंग कार्य रद्द कर दी गई है। प्रदर्शनकारियों को एक लिखित पत्र भी दिया गया और इस संबंध में नोडल एजेंसी एनएमआरडीए को भी एक पत्र लिखा गया है। 

परियोजना पर लगभग 214 करोड़ की मंजूरी हो चुकी है

दीक्षाभूमि पर सौंदर्गीकरण और नवीनीकरण परियोजना पर काम चल रहा है। इस प्रोजेक्ट के लिए सरकार की ओर से लगभग 214 करोड़ रुपये मंजूर किये गये हैं। पहले चरण का काम शुरू हो चुका है। इस पहले चरण में दीक्षाभूमि पर भूमिगत पार्किंग शामिल हैं लेकिन इस भूमिगत पार्किंग का आम्बेडकरी अनुयायियों ने विरोध कर रहे हैं। 

जानकारों के अनुसार इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि भूमिगत पार्किंग भविष्य में कई खतरे पैदा करेगी। इस समुदाय के सदस्यों ने यह भी दावा की कि भविष्य में स्मारक और बोधिवृक्ष को खतरा होगा। इस संबंध में दीक्षाभूमि स्मारक समिति की ओर से दो बैठकें कर नाराज समुदाय को समझाने का प्रयास किया गया और यह भी वादा किया गया कि भूमिगत पार्किंग को रद्द करने के संबंध में अधिकारियों को पत्र लिखा जाएगा।

लेकिन भूमिगत पार्किंग नहीं चाहिए? 

इस संबंध में सोमवार को दोबारा बैठक आयोजित की गई। तदनुसार भारतीय बौद्ध महासभा, समता सैनिक दल और आम्बेडकरी अनुयायियों के साथ राज्य भर से विभिन्न आम्बेडकरी संगठनों के कार्यकर्ता और अनुयायियों ने सोमवार सुबह से ही दीक्षाभूमि पर पहुंच गए। प्रदर्शनकारी अपनी मांग पर अड़े रहे। जब तक समिति पार्किंग के संबंध में कोई निर्णय नहीं ले लेती, तब तक वे नहीं हटेंगे का रुख अपनाते हुए हजारों अनुयायी दीक्षा भूमि पर एकत्र हुए। तोडफ़ोड़ और आगजनी की घटनाएं घटित हुई।

स्मारक समिति का रवैया

आम्बेडकरी अनुयायियों के आक्रामक रुख को देखते हुए दीक्षाभूमि स्मारक समिति ने घोषणा की है कि यहां भूमिगत पार्किंग का काम आज से रद्द कर दिया गया हैं लेकिन प्रदर्शनकारियों ने इस संबंध में लिखित में आश्वासन मांगा। इसके बाद दीक्षाभूमि स्मारक समिति के सचिव डॉ. राजेंद्र गवई, पूर्व सचिव सुधीर फुलझेले, विलास गजघाटे, डॉ. प्रदीप अगलावे, डीजी दाभाड़े ने इस संबंध में प्रदर्शनकारियों को एक लिखित आश्वासन पत्र दिया और उस पत्र को सभी प्रदर्शनकारियों के सामने सार्वजनिक रूप से पढ़ा गया। इसके बाद प्रदर्शनकारी शांत हुए।

राजनांदगांव में प्रतिरोध में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन

शनिवार को राजनांदगांव में बहुजन समाज पार्टी के झंडे तले बौद्ध अनयायियों ने इस ऐतिहासिक धरोहर दीक्षाभूमि नागपुर की रक्षा और किए जा रहे नवनिर्माण के नाम पर स्मारक से छेड़छाड़ पर विरोध प्रदर्शन किया। 

वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता कन्हैयालाल खोब्रागढ़े ने कहा कि दीक्षाभूमि में पार्किंग की क्या आवश्यकता है वहां लोग कार पार्क कर चाय पीने नहीं आते हैं बल्कि लाखों की संख्या में लोग बौद्ध धम्म और दीक्षा के लिए इकट्ठे होते हैं। लोग आते हैं दर्शन करते हैं बौद्ध साहित्य खरीदते हैं और चले जाते हैं। यह एक साजिश है कि आम्बेडकरी और बौद्ध साहित्यों को लोगों को पढऩे से रोका जा रहा है। 

बहुजन समाज पार्टी के शिवशंकर गौड़ ने कहा कि वहां पार्किंग बनाकर बाबा साहेब आम्बेडकर के अनुयायियों को रोकने की कोशिश हो रही है। लोग वहां से पुस्तकें खरीद कर ज्ञान प्राप्त ना कर सके और बौद्ध संस्कृति से अनछुए रहे और जो 22 प्रतीज्ञा बौद्ध अनुयायी वहां उपस्थित होकर ग्रहण करते हैं उसे रोकने के लिए तथा बौद्ध धम्म को छिन्न भिन्न करने की कोशिश हो रही है। 

भदंत धम्मतप ने कहा कि 14 अक्टूबर को बाबा साहेब ने बुद्ध धम्म से हमें दीक्षित किया और अगर वह इस धम्म से हमें दीक्षित नहीं करते तो हमारा जीवन मंगलमय नहीं हो पाता। उन्होंने कहा कि एक साजिश के तहत दीक्षाभूमि को जात्राभूमि में तब्दिल करने की कोशिश हो रही है। उन्होंने इस आंदोलन के दौरान गिरफ्तार लोगों की रिहाई की मांग भी प्रमुखता के साथ उठाई है। 

क्यों हैं दीक्षाभूमि बौद्ध अनुयायियों का मर्म स्थल

इस भूमि पर संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने 14 अक्टूबर सम्राट अशोक विजयाशमी के दिन साल 1956 को देश के अछूतों को हिन्दू धर्म से बाहर लाकर बौद्ध धम्म में दीक्षित करने का कार्य किया था। उन्होंने इस तरह बौद्धों की संस्कृति एवं सभ्यता तथा सैकड़ों महापुरुषों के संघर्षों के इतिहास को देश के कोने-कोने में तथा तथागत बुद्ध के सिद्धांत को जीवन में उतारकर जातिवाद और छुआछूत की व्यवस्था को चुनौति देते हुए समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व की सामाजिक ढांचा के निर्माण का कार्य किया था।

उन्होंने यही से बौद्धमय भारत का शंखनाद करते हुए 5 लाख से अधिक अनुयायियों को बौद्ध धम्म में दीक्षित किया था। बताया जा रहा है कि सत्ता में चूर मनुवादियों द्वारा उस ऐतिहासिक धरोहर पर अनैतिक रूप से निर्माण कार्य कर ऐतिहासिक धरोहर दीक्षाभूमि को बेदखल करने का कुचक्र रच रहे हैं। 

बहुजन समाज पार्टी ने दीक्षाभूमि सहित संसद भवन के सामने से संविधान निर्माता भारत रत्न लोकतांत्रिक व्यवस्था के जनक डॉक्टर भीमराव आम्बेडकर की प्रतिमा को हटाकर सैकड़ों महापुरुषों के संघर्षों के इतिहास एवं उनकी संस्कृति, सभ्यता को दबाने एवं खत्म करने के प्रयास के खिलाफ प्रदर्शन कर राज्यपाल, महाराष्ट्र एवं राष्ट्रपति, भारत को ज्ञापन कलेक्टर के माध्यम से सौंपा है। 

आंदोलनकारियों के खिलाफ मामला दर्ज

भूमिगत पार्किंग के विरोध में आंदोलन करने वालों के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया है। पूर्व मंत्री नितिन राऊत ने विधान सभा में इस पर आपत्ति जताते हुए दर्ज मामलों को वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि- ‘हम आंदोलन करने वाले लोग हैं, अपराधी नहीं।’  उन्होंने कहा कि दीक्षाभूमि में भूमिगत पार्किंग के लिए खोदे गए गड्ढे से इस ऐतिहासिक स्तूप को खतरा हो सकता है।

बोधिवृक्ष पर भी असर पड़ सकता है। इस पाश्र्वभूमि में भीमसैनिकों ने दीक्षाभूमि में स्वस्फूर्त आंदोलन किया। बजाज नगर पुलिस ने सैकड़ों लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। दो गंभीर धाराएं भी लगाई गई हैं। उन्होंने सवाल किया कि जब भूमिगत पार्किंग का विरोध हो रहा था, तब पुलिस एवं जिला प्रशासन क्या कर रहे थे।


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