भिलाई ने गोलियों से मारे गए मजदूरों को किया याद
हजारों की संख्या में जुटे मजदूर किसान
दक्षिण कोसल टीमआज ही के दिन 1 जुलाई 1992 को हुए पुलिस गोली चालन में 17 मजदूर शहीद हुए थे। उनका 32 वां शहीद दिवस आयोजित किए हैं। यह जानकारी छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के समन्वय समिति के प्रमुख और भिलाई प्रभारी एजी कुरैशी ने ‘दक्षिण कोसल’ को बताया और कहा कि छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के श्रमिक व समर्थकगण छावनी थाना लाल मैदान में एकत्रित हुए वहां से शहीद परिवारों को लेकर गोलीकांड घटना स्थल, भिलाई पावर हॉऊस रेल्वे स्टेशन में शहीदों की छायाचित्रों की पूजा अर्चना की गई तत्पश्चात भिलाई पावर हॉऊस के लाल मैदान से रैली प्रारंभ हुई। लाल मैदान में श्रमिकों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई थी।

रैली में लाल हरा पोषाक पहने पुरूष व महिलाएं झण्डे बैनर के साथ चल रहे थे। और गगनभेदी नारा लगा रहे थे कि 1 जुलाई शहीद दिवस अमर रहे, शहीद शंकर गुहा नियोगी अमर रहे, श्रम कानूनों में किया गया संशोधन रद्द करो। रैली छावनी हो कर शहीद शंकर गुहा नियोगी चौक पहुंच कर सभा के रूप में तब्दील हुई।
उन्होंने बताया कि सभा शुरू करने के पूर्व शहीद शंकर गुहा नियोगी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। सभा की शुरूआत में सभी उपस्थित किसान मजदूरों ने दो मिनट का मौन धारण कर श्राद्धांजलि अर्पित किए।
दल्लीराजहरा की सांस्कृतिक टीम ने संगीत के साथ जन गीत प्रस्तुत किए। सभा को छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष जनकलाल ठाकुर, भीमराव बागड़े, उड़ीसा से सीपीआईएमएल के पूर्व विधायक राधाकान्त, शेट्ठी बैंगलोर के कमाल सिंग धामी, सोमनाथ उईके, जयप्रकाश नायर, आलोक शुक्ला, प्रसाद राव, बिजेन्द्र तिवारी, सुखलाल साहू, कलादास डहरिया, बंसीलाल साहू, भुवन साहू, एजी कुरेशी आदि वक्ताओं ने संबोधित किया।
वक्ताओं ने अपने संबोधन में कहा कि संघर्षों के जरिए बनाए गए 44 श्रम कानूनों को केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा कॉर्पोरेट उद्योगपतियों के हित के लिए शुरू किया है और इसे 4 श्रम कोर्ड में तब्दील किया है। यह गुलामी का प्रतीक है इसके लिए देश के सभी मजदूरों को संघर्ष करना होगा सरकार द्वारा भविष्यनिधि के नियमों में भी उद्योगपतियों को छूट दी है।
छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के प्रमुख भीमराव बागड़े ने कहा कि वर्तमान में जो श्रम कानून बना हुआ है उसका प्रबंधकों द्वारा पालन नहीं किया जा रहा है। एसीसी सीमेन्ट वक्र्स जामुल द्वारा श्रमिकों को स्वास्थ्य सुविधा नहीं दी जा रही है।
उन्होंने श्रम विभाग द्वारा कारगर कार्यवाही नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि शिकायती प्रकरणों को श्रम न्यायालय में भेजा जा रहा हैं, लेकिन वहां न्यायालयों में श्रमिकों के प्रकरण दो, तीन, पांच वर्षों तक पेडिंग हैं, न्याय नहीं मिल रहा है, इसलिए प्रबंधक श्रम प्रावधानों का पालन नहीं कर रहे हैं। आईडी एक्ट के कानून में 180 दिन के भीतर न्याय देना है, बावजूद वर्षों तक प्रकरण पेडिंग हैं।
बागड़े ने आरोप लगाया कि प्रबंधकों/उद्योगपतियों के लापरवाही के कारण बेमेतरा जिला के पीरदा बारूद कंपनी में हुए बम ब्लास्ट में अनेक श्रमिकों की मृत्यु हुई हैं उक्त घटना के जिम्मेदार मालिकों के विरूद्ध दंडात्मक कार्यवाही की मांग की।
केडिया केशल डेलान कुम्हारी कंपनी का उल्लेख करते हुए बताया कि श्रमिकों को ड्यूटी के लिए लाने - ले जाने वाली बस को 16 वर्ष बाद भी परमिट दिया गया जिसके कारण हुई दुर्घटना में अनेक श्रमिकों की मृत्यु हुई हैं, उन संबंधित श्रमिकों के वारिसों को मुआवजा ही नहीं घटना के जिम्मेदार लोगों को सजा देने की बात दुहराई।
उन्होंने बलौदाबाजार घटना पर संज्ञान लेते हुए कहा कि गिरौदपुरी धाम में जैतखाम पर घटना के लिए दोषी लोगों पर कार्यवाही के नाम पर शातिपूर्ण प्रदर्शन में कराई गई हिंसा के निष्पक्ष जांच की वकालत की। रायपुर जिले के आरंग में जाति के नाम पर हुई घटना की निष्पक्षता से जांच कर दोषी लोगों पर सख्ती बरतने तथा भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति ना हो, ऐसे इंतजाम पर अपना वक्तव्य दिया।
वक्ताओं ने कहा कि खनिज संपदा की लूट के लिए हसदेव तथा बस्तर के जंगलों को काटा जा रहा है। विरोद्ध करने वाले आदिवासियों का फर्जी एन्काउंटर किया जा रहा है तथा फर्जी मामले बना कर जेलों में बंद किया जा रहा है।
उल्लेखित इन घटनाओं का सभा में निंदा किया गया। भिलाई के एसीसी मेनेजमेन्ट द्वारा सभी कर्मचारियों को स्वास्थ्य सुविधा नहीं दी जा रही है बल्कि शासन के नियमानुसार 85 प्रतिशत स्थानीय मजदूरों को काम नहीं दिया जा रहा है।
कुरैशी ने कहा कि भ्रष्टाचार के कारण नीट पेपर लिक हुआ है, पुलवामा हमले की जांच अभी तक नहीं हुई है जो देश की जनता जानना चाहती है।
सभा के दौरान मुख्य मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया। सभा का संचालन तुलसीराम, देवदास, रमाकांत बंजारे, पुनाराम साहू, कलादास डहरिया ने किया।
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