संजीवनी में मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ का गोरखधंधा

राजनांदगांव में विद्या को न्याय दिलाने उठ खड़ा आंदोलन

सुशान्त कुमार

 

श्रीराम और शुक्ला अस्पताल की शिकायतें भी आ रही है। बताया यह भी जा रहा है कि ग्रामीणों को ठगने के लिए गांव गांव में एजेंट नियुक्त हैं। मुख्यमंत्री सहायता योजना, आयुष्मान कार्ड योजना और इएसआई के साथ निजी अस्पतालों को जोडऩे से चिकित्सा कू्रर बाजार और मरीजों को लूटने का हथियार में तब्दील हो गया है। हाल ही में राजनांदगांव में 12 जून को विद्या सांगोड़े से जुड़ी चिकित्सीय लापरवाही का मामला आंदोलन का रूप ले लिया है।

मरीज और परिजनों ने निजी अस्पताल ‘संजीवनी’ पर गंभीर चिकित्सीय लापरवाही का आरोप लगाया है कि ‘संजीवनी हास्पिटल’ में गलत ढंग से इलाज होने के कारण इसके दुष्परिणाम विद्या सांगोड़े को भुगतना पड़ रहा है। इसलिए संजीवनी हास्पिटल को बंद कर दिया जाए। इस संबंध में बहुजन समाज पार्टी, जिला राजनांदगांव के साथ एक दर्जन सामाजिक संगठनों और सत्ता में आसीन भाजपा और कांग्रेस पार्टी ने भी सांगोड़े के समर्थन में न्याय दिलाने हेतु एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर कलेक्टर को ज्ञापन देकर संजीवनी हास्पिटल चिखली राजनांदगांव के खिलाफ एफआईआर एवं चार्जशीट दायर करवाकर आगे की कार्रवाई की मांग की है। 

विद्या सांगोड़े का इकबालिया बयान

विद्या सांगोड़े ने ‘दक्षिण कोसल’ को लिखित में अपने बयान में बताया है कि वह अछोली डोंगरगढ़ की निवासी हैं, जो कि 16 अक्टूबर 2023 को डिलीवरी के लिए संजीवनी हॉस्पिटल, चिखली राजनांदगांव गई थी, ऑपरेशन के पहले सब टेस्ट कराया गया और ऑपरेशन से पहले रिपोर्ट सभी नॉर्मल आई, फिर उन्हें ऑपरेशन के लिए ले जाया गया। डिलीवरी के बाद जच्चा और बच्चा, स्वस्थ थे, फिर उन्हें जनरल वार्ड में ले जाया गया, दो घंटे बाद उसे पेट में दर्द शुरू होने लगा। इसकी जानकारी उसने डियूटी पर तैनात सिस्टर को दी, फिर उन्होंने दर्द रोकथाम का इंजेक्शन लगाया।

उसके बाद दर्द ठीक हो गया, फिर 2 घंटे बाद दोबारा दर्द शुरु होने लगा, फिर उन्होंने और उनकी बड़ी बहन ने सिस्टर को बताया, जवाब में सिस्टर ने घुस्से से कहा -‘आपका दूसरा ऑप्रेशन है तो दर्द तो होगा ही आप लोग बार - बार परेशान करते हो तो उन्होंने कहा ‘तकलीफ है तो हम आप को ही बताएंगे ना, फिर उन्होंने दूसरी  बार इंजेक्शन लगाया, लगाने के बाद पेशाब और जो ब्लड है वो आना बंद हो गया।’

फिर उसके बाद जो, सीनियर और जूनियर सिस्टर आपस में मरीज के बेड के पास बात कर रहे थे कि तुमने इन्हें कौन सा इंजेक्शन लगाया, सीनियर सिस्टर ने जूनियर सिस्टर को डांटते हुए कि ‘ये तो ब्लड का इंजेक्शन है इसे किससे पूछ कर लगाया, जब समझ में नहीं आता तो पूछ लिया कर...’ इसकी गवाह स्वयं खुद दोनों बहने हैं। 

अपने काम से छुट्टी लेकर मरीज का पति संजीवनी हॉस्पिटल पहुंचे, तो उन्होंने देखा, कि मरीज के हाथों तथा पैरों पर काले, काले दाग धब्बे निकल आए हैं। नाक पर भी काले काले धब्बे दिखे तो इसकी जानकारी तुरंत उन्होंने डॉ. राघव वर्मा को दिया। 

आपको सांस लेने में कोई दिक्कत तो नहीं हो रही

डॉक्टर ने सोनोग्राफी और टेस्ट के लिए कहा और सोनोग्राफी के लिए ले जाते तक और वापस संजीवनी हॉस्पिटल आते तक जो नर्स थी वह बार बार मरीज से पूछती रही कि आपको सांस लेने में कोई दिक्कत तो नहीं हो रही, तो जवाब में मरीज ने कहा अभी तक नहीं हो रही है, फिर मरीज को सामने काऊन्टर के सामने ऑक्सीजन बैड था वहां रखा गया, वहां वहीं दोनों सिस्टर को आपस में बातें करते मरीज ने सुना कि डॉक्टर हमें डांट रहे हैं कि ऐसी लापरवाही कैसे कर सकते हो, वो दोनों सिस्टर बहुत ही घबराए हुए आपस में बात कर रही थीं, अब क्या होगा हमारा?

क्या होगा ज्यादा से ज्यादा हमें नौकरी से निकालेंगे और क्या होगा? फिर मरीज ने उनसे पूछा कि मुझे क्या हुआ है तो उन्होंने कहा कि कुछ नहीं हुआ है आपको, आप चुपचाप रहे!  डॉक्टर को पूछने से बोला गया कि सोनोग्राफी करवा लो, सोनोग्राफी में कुछ नहीं निकला और बताया गया कि मरीज का प्लेटलेट घट गया है मरीज को रिफर करना पड़ेगा? 

रेफर को लेकर एम्स की लापरवाही, और बनता नासूर

उनके द्वारा एम्स में रिफर लिख कर देने के बाद भी वहां के डॉक्टर का कहना था कि हमने संजीवनी हॉस्पिटल के डॉक्टर से बात की है, यहां आपको रिफर नहीं किया है, मरीज के पति द्वारा फोन करने पर फोन बंद बताया जा रहा था। लगातार ड्रायवर को संजीवनी हॉस्पिटल से वापस आने के लिए फोन आने लगे थे।

ड्रायवर की परिजनों द्वारा मिन्नते के बाद भी ड्रायवर ने दो हजार लेकर ही मरीज विद्या को ममता हॉस्पिटल, रायपुर छोड़ा, वहा 48 घंटे के बाद हार मानकर रिफर किया गया, फिर एमएमआई नारायणा अस्पताल में लेकर गए वहां 14 दिनों तक इलाज चलने के बाद भी वहां भी सभी ने हाथ खड़े कर दिए, तो अंत में एम्स आ गए।

एम्स आने के बाद जब इलाज चालू हुआ तब पता चला कि डिलवरी के समय ऑपरेशन के बाद की गई लापरवाही के कारण ही सारी बीमारियां हुई हैं। जो की लीवर इंफेक्शन, किडनी इंफेक्शन, लम्स में इंफेक्शन, डेंगू, पीलिया, पसलियों में पानी भरना, हार्ट का प्राबल्म्स, खून कम होना, प्लेटलेट का कम होना आदि बहुत सारी बीमारियां घर कर गई है।

राकेश सांगोड़े ने दक्षिण कोसल को अपना दर्द सुनाते हुए कहा कि आए दिन संजीवनी हॉस्पिटल राजनांदगाव में इस प्रकार की घटनाएं होती रहती हैं, सबसे ज्यादा मौतें भी इसी हॉस्पिटल में होती हैं, आज मैं रोजी करने वाला व्यक्ति सारा कुछ बेचने के बाद तीन हॉस्पिटल में इलाज करने के बाद तीनों निजी हॉस्पिटल में लाखों रुपए लगा देने के बाद अपनी पत्नी को सारी जिंदगी डायलिसिस पर जिन्दा रखने में मजबूर हूं।

उन्होंने कहा कि मैं लाखों के कर्ज में होने के बाद आपसे निवेदन कर रहा हूं कि जो मेरी पत्नी के साथ हुआ और जो आज तक बाकी मरीजों के साथ होता आया है, उसे खत्म करने के लिए कड़े से कड़े कदम उठाएं और संजीवनी हॉस्पिटल को बंद करे। साथ ही आप सभी से निवेदन हैं, मेरी बीबी के इलाज में मेरी मदद करें मेरी बीबी के ठीक होने से ही मेरी 2 माह की और 8 साल की बच्ची की जिंदगी बच पाएगी।

उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी की हालत के लिए सिर्फ और सिर्फ संजीवनी हॉस्पिटल की लापरवाही जिम्मेवार हैं। इस अस्पताल और डॉक्टरों की गलत इलाज  तथा लापरवाही के लिए आज तक हुए सम्पूर्ण खर्ज का भुगतान व आने वाले समय में इलाज का पूर्ण भुगतान संजीवनी हास्पिटल द्वारा किया जाना चहिए।

सांगोड़े को न्याय दिलाने खड़े हुए संगठन

बौद्ध कल्याण समिति, बुद्धिस्ट पेंशनर एसोसिएशन, छत्तीसगढ़ सर्व रविदास समाज, हिन्दू युवा मंच, डॉ. आम्बेडकर यूथ फाउंडेशन, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा, समता सुरक्षा सेना, दि बुद्धिस्ट प्रचारक विंग दुर्ग, समता सैनिक दल, बौद्ध सेवा समिति शांतिनगर, युवा विंग बौद्ध कल्याण समति तुलसीपुर, जिला युवा प्रकोष्ठ कांग्रेस, राजनांदगांव, जिला अनुसूचित जाति मोर्चा, भाजपा राजनांदगांव, महिला सशक्तिकरण संघ, जेतवन बुद्ध विहार समिति शंकरपुर, प्रबुद्ध सर्वोदय मंडल स्टेशनपारा, न्यू पंचशील कल्याण समिति लखोली, अजाक्स जिला राजनांदगांव, छत्तीसगढ़ मानव अधिकार संगठन, रिपब्लिकन, सयुंक्त राष्ट्रीय अपराध जांच एवं मानव अधिकार संगठन।

राज्य स्तरीय जांच कमेटी

1. डॉ. डीके तुरे, उप संचालक (नर्सिंग होम एक्ट)
2. डॉ. बीआर भगत, उप संचालक (शिशु स्वास्थ्य)
3. डॉ. शैलेन्द्र अग्रवाल, उप संचालक (मातृत्व स्वास्थ्य)
4. डॉ. पदमनी सिंग, स्त्री रोग विशेषज्ञ (जिला चिकित्सालय, रायपुर)

सात सूत्रीय मांग की फेहरिस्त

संजीवनी अस्पताल, राजनांदगांव तथा डॉ राघव वर्मा  के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो, चार्ज सीट दायर करें, संजीवनी अस्पताल का लाइसेंस रद्द हो, पीडि़त परिवार को मुआवजा राशि उपलब्ध करें, पीडि़ता का किडनी त्वरित ट्रांसप्लांट करें, पुलिस अधीक्षक, जिला कलेक्टर एवं जिला चिकित्सा अधिकारी के समक्ष पीडि़ता का बयान दर्ज कराया जाएं, कलेक्टर द्वारा एक निरीक्षण कमेटी बनाया जाएं, सरकारी अस्पतलों के साथ डॉक्टरों से सांठगांठ कर कमीशनखोरी करने वालों पर कार्रवाई की जाए ताकि इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो पाएं।

 

 

संगठनों ने दी चेतावनी

17 जून से 7 सूत्रीय मांगों की कार्यवाही प्रशासन के द्वारा नहीं किए जाने की दशा में 18 जून से हास्पिटल के सामने अनिश्चितकालीन धरना एवं 1 दिन रायपुर में प्रदेश स्तरीय धरना प्रदर्शन कर विधानसभा का घेराव किया जावेगा एंव राज्यपाल, अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, राज्य एवं राष्ट्रीय महिला आयोग, राज्य एंव राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग  में शिकायत की जाएगी जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी जिला एवं राज्य प्रशासन की होगी।


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